सिंधिया का समर्थन कर कमलनाथ ने खेला दांव
खरी खरी संवाददाता
भोपाल, 27 सितंबर। मध्यप्रदेश में शिवराज के मुकाबले के लिए कांग्रेस में किसी एक नेता के नाम पर सहमति की रस्साकशी के बीच दिग्गज नेता कमलनाथ ने ज्योतिरादित्य सिंधिया का समर्थन करके नया सियासी दांव खेल दिया है। कमलनाथ ने सिंधिया के नेतृत्व को स्वीकार करने की घोषणा सिंधिया के संसदीय क्षेत्र गुना में करके सिंधिया समर्थकों को खुश कर दिया है, लेकिन सियासत के जानकार मानते हैं कि कमलनाथ का बयान इतना सहज नहीं है, जितना लग रहा है।
कांग्रेस नेतृत्व इस बार शिवराज के मुकाबले किसी न किसी बड़े नेता को नेतृत्व सौंपने का मन बना रहा है। कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और नेताओं की भी यही इच्छा है। किसी एक नाम पर सहमति न बन पाने के कारण यह मामला टलता जा रहा है। अब माना जा रहा है कि दो दिग्गज नेताओं कमलनाथ अथवा ज्योतिरादित्य सिंधिया में किसी एक को कमान सौंपी जाएगी। ज्योतिरादित्य सिंधिया को पिछले चुनाव में पार्टी के चुनाव अभियान के मुखिया बनाया गया था। एक तरह से उनका चेहरा सामने रखकर चुनाव लड़ा गया था लेकिन परिणाम पाजीटिव नहीं मिला। यह माना जा रहा है कि सिंधिया अभी भी आम आदमी के नेता की तरह व्यवहार नहीं कर पा रहे हैं, जबकि शिवराज से मुकाबले के लिए जमीनी नेता की जरूरत है। इसलिए इस बार जब सिंधिया का नाम आगे बढ़ा तो उनके विरोधियों ने पिछली बार के परिणामों को विश्लेषण सामने रख दिया। इसलिए कमलनाथ का नाम आगे किया गया। नाथ का नाम लगभग फाइनल हो गया था। भोपाल स्थित उनके बंगले की साज सज्जा के साथ स्टाफ की भी नियुक्ति हो गई, लेकिन मामला फिर अटक गया। पार्टी के अंदरखाने से खबर आई कि कमलनाथ प्रदेश प्रभारी मोहन प्रकाश के साथ काम नहीं करना चाहते हैं। अब मोहन प्रकाश को भी हटा दिया गया है। इसलिए माना जा रहा है कि कमलनाथ की नियुक्ति की घोषणा कभी भी हो सकती है।
ऐसे समय में कमलनाथ ने सिंधिया के नेतृत्व को स्वीकार कर नया सियासी दांव खेल दिया है। कमलनाथ के बयान का मतलब साफ है कि कल अगर नाथ के नाम पर हाईकमान मुहर लगाता है तो सिंधिया को भी इसी दरियादिली के साथ उनका समर्थन करना चाहिए। नाथ के इस सियासी दांव को कार्यकर्ता भले ही न समझ पाएं लेकिन राजनीति को विरासत में सीखने वाले सिंधिया जरूर समझ गए होंगे। कमलनाथ का यह सियासी दांव कांग्रेस में एक बार फिर हलचल पैदा करेगा।