महाराष्ट्र और झारखंड में लाड़ली बहनें साबित हुईं इलेक्शन की गेमचेंजर
खरी खरी संवाददाता
नई दिल्ली, 23 नवंबर। महाराष्ट्र और झारखंड के चुनाव परिणामों ने राजनीतिक विश्लेषकों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। अगर यह माना जाए कि महाराष्ट्र में मोदी और योगी के नारे बंटेंगे तो कटेंगे- एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे, ने सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन की जीत में बड़ी भूमिका निभाई है तो यह नारा झारखंड़ में क्यों प्रभाव नहीं डाल पाया। झारखंड में बीजेपी के नेतृत्व वाला एनडीए चुनाव हार गया। हेमंत सोरेन भ्रष्टाचार के आरोप में जेल जाने के बाद भी सत्ता में वापसी करने में सफल रहे। इसलिए दोनों राज्यों के चुनाव में जीत का बड़ा फैक्टर महिला वोटरों को माना जा रहा है।
मध्यप्रदेश की लाड़ली बहना योजना की तर्ज पर दोनों राज्यों में महिलाओं को हर महीने नगद राशि देने की योजना ने जीत में बड़ी भूमिका निभाई।महाराष्ट्र में जहां महायुति गदगद है, वहीं झारखंड में सोरेन की एक बार फिर वापसी हो गई है। दोनों राज्यों के विधानसभा चुनावों के नतीजों के बाद लोगों के जहन में सवाल है कि आखिर इन परिणामों के पीछे कौन-कौन से फैक्टर अहम रहे। राजनीति के जानकारों का मानना है कि दोनों सूबों में महिलाओं ने चुनाव परिणाम को बखूबी प्रभावित किया है। यहां महिलाएं गेमचेंजर साबित हुई हैं। दरअसल, उन्होंने उन दलों को वोट किया जिन्होंने उनकी चिंता की। महाराष्ट्र चुनाव में लाडली बहिन योजना का महायुति को बंपर फायदा मिलता नजर आ रहा है। इस महिला केंद्रित योजना का चुनाव प्रचार के दौरान खूब बखान किया गया। इस बार यहां के चुनाव में महिलाओं की भागीदारी अच्छी-खासी देखने को मिली। महायुति को इस बात का भी फायदा मिला जब उन्होंने सत्ता में वापसी पर 'लाडली बहिन योजना' के तहत मिलने वाली राशि 1500 रुपये से बढ़ाकर 2100 रुपये करने का वादा किया।झारखंड में हेमंत सोरेन को दोबारा सत्ता मिलने में भी महिला मतदाताओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही। इस जीत के बाद मइया सम्मान निधि योजना की काफी चर्चा हो रही है। हेमंत सरकार ने महिलाओं को ध्यान में रखते हुए चुनाव से पहले मइया सम्मान निधि का ऐलान किया था। इस योजना के अंतर्गत चुनाव से पहले महिलाओं के अकाउंट में हजार-हजार रुपये आ चुके हैं। चुनाव के ऐलान से कुछ वक्त पहले हेमंत सोरेन ने कहा था कि अब हर महीने 2500 रुपये मिलेंगे। इस योजना के तहत 18 से 50 वर्ष की आयु की महिलाओं को हर महीने 1000 रुपये देने की शुरुआत हुई थी। लिहाजा आज जो नतीजे आए हैं उसके पीछे कई वजहें हो सकती हैं लेकिन यह भी समझ आ रहा है कि हेमंत सोरेन का यह कदम इस चुनाव में तुरूप का इक्का साबित हुआ।महिलाओं को सीधे आर्थिक लाभ देने की योजना सबसे पहले 2023 के चुनाव के समय मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शुरू की थी। महिलाओं को 1000 रुपए महीने दिए गए और फिर बढ़ाकर 1200 रुपए प्रति माह कर दिया गया। इसे बढ़ाकर तीन हजार रुपए महीने तक करने का वादा किया गया। यह योजना मुख्यरूप में से कांग्रेस के चुनावी वाय़दों में शामिल थी। लेकिन सत्तारूढ़ बीजेपी ने सरकार में होने का फायदा उठाते हुए योजना पर तुरंत अमल भी शुरू कर दिया। इस योजना ने बीजेपी को 2023 का हारा हुआ विधानसभा चुनाव भारी बहुमत से जिता दिया। इसका असर यह हुआ कि अन्य कई राज्यों की सरकारों ने अपने यहां यह योजना सरकार बनते ही शुरू कर दी। महाऱाष्ट्र ने मध्यप्रदेश की स्टाइल में चुनाव के पहले योजना बनाकर उस पर अमल शुरू कर दिया, वही काम झारखंड में भी सोरेन से सरकार ने किया। परिणाम हम सबके सामने है। महिलाओं ने झारखंड में सोरेन सरकार और महाऱाष्ट्र में महायुति सरकार को सत्ता सिंहासन पर फिर बैठा दिया।