गिरफ्तारी की धमकी देकर सायबर अपराधियों ने ठगे 71 लाख

Oct 04, 2024

खरी खरी संवाददाता

इंदौर, 4 अक्टूबर। सायबर अपराधियों ने इंदौर के एक वैज्ञानिक दंपत्ति को मनी लान्ड्रिंग, मानव तस्करी जैसे गंभीर आरोपों में गिरफ्तार करने की धमकी देकर न सिर्फ डिजिटल अरेस्ट में रखा बल्कि उनसे 71 लाख से ज्यादा की रकम भी हड़प ली। अपराधियों ने पति-पत्नी को सात दिन तक अपने सर्विलांस पर रखा और उनसे गहन पूछताछ करते रहे।

अतिरिक्त सहायक पुलिस आयुक्त (अपराध) राजेश दंडोतिया के मुताबिक अनिल कुमार आरआर कैट में सहायक विज्ञानी हैं। एक सितंबर को दोपहर पौने 12 बजे अज्ञात नंबर से फोन काल आया था। फोन करने वाले ने खुद को भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) का अधिकारी बताते हुए अपना नाम सुशांत कुमार बताया। फर्जी अधिकारी ने कहा कि आपके आधार कार्ड से जारी सिमकार्ड (6776414672) का इस्तेमाल गैरकानूनी विज्ञापन, महिला उत्पीड़न संबंधित मैसेज में हो रहा है। उसने शिकायत बताई, कहा कि इस केस में 300 लोग शामिल हैं। दिल्ली क्राइम ब्रांच और सीबीआई जगह-जगह छापे मार रही है। आरोपितों ने गोपनीयता रखने की शर्त पर अनिल और उनकी पत्नी से वीडियो कान्फ्रेंस के माध्यम से पूछताछ करना शुरू कर दी। विज्ञानी और उनकी पत्नी चार दिनों तक नकली सीबीआई-क्राइम ब्रांच और ईडी अफसरों के सवालों का जबाव देते रहे।इस दौरान फर्जी क्राइम ब्रांच अधिकारी राकेश कुमार ने अनिल को सीबीआई का फर्जी नोटिस भेजा और कहा कि मनी लान्ड्रिंग और मानव तस्करी में गिरफ्तारी वारंट जारी हो चुका है। तुम सरकारी अफसर हो और बेगुनाह प्रतीत होते हो। लिहाजा तुम्हे गिरफ्तार न करने और केस को प्राथमिकता से लेने की सीबीआई कोर्ट से अपील की जाएगी, लेकिन इसके लिए पति-पत्नी को डिजिटल सर्विलांस पर रखा जाएगा।

दूसरे दिन फर्जी सीबीआई ने पति-पत्नी से वीडियो कान्फ्रेंस के माध्यम से पूछताछ की। फर्जी सीनियर अफसर से ऑनलाइन चर्चा की। कहा कि दंपती पूछताछ में सहयोग कर रहे हैं। केस की गोपनीयता भी रख रहे हैं। इन्हें गिरफ्तारी से मुक्त रखा जा सकता है। विज्ञानी अनिल से कहा कि चौबीसों घंटे डिजिटल सर्विलांस पर रहना होगा। कई  बच्चों की जिंदगी का सवाल है। केस में बैंक, पुलिस अधिकारी भी संलिप्त हैं। इसलिए सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया की टीम निगरानी कर रही है। ठग ने खातों में जमा राशि, एफडी, म्यूच्युअल फंड और प्रापर्टी की जानकारी ले ली। स्टेटमेंट की कॉपी भी वाट्सएप पर लेते गए। उनसे कहा कि बैंक में जमा रुपयों की भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) द्वारा जांच की जाएगी। आरोपितों ने सीबीआई और ईडी से प्रमाण पत्र देने का झांसा देकर अलग-अलग खातों में 71 लाख 33 हजार 75 रुपये जमा करवा लिए। नजदीकी पुलिस स्टेशन (द्वारकापुरी) जाकर टीआई से बात करवाने के लिए कहा और मोबाइल बंद कर लिए।

 

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