स्वराज वीथि: बच्चों ने कैनवास पर उकेरी अपने मन की भावनाएं
खरी खरी संवाददाता
भोपाल, 22 मई। स्वराज भवन में बच्चों द्वारा बनाए गए चित्रों की प्रदर्शनी का शुभारम्भ विगत दिवस हुआ। इस चित्र प्रदर्शनी में 3 वर्ष से लेकर 18 वर्ष तक के लगभग 50 बच्चों द्वारा बनाए गए चित्रों को प्रदर्शित किया गया। इस प्रदर्शनी में बच्चों द्वारा कैनवास पर गहरे रंगों का मेल कर बनाए गए विभिन्न चित्र बेहद खूबसूरत जान पड़े। इन चित्रों में किसी ने धर्म के नाम पर लड़ने वालों को विभिन्न धर्मों के प्रतीक चिन्ह उकेर कर जहां शांति बनाए रखने की अपील इन बच्चों ने की है तो वहीं किसी ने प्रकृति को माध्यम बना कर अपनी बात कहने की कोशिश की तो किसी ने मां-बेटी और मां-बेबी के चित्र के माध्यम से अपनी मां के प्रति प्रेम को सुन्दर रंगों के माध्यम से कैनवास पर उकेर कर अभिव्यक्त किया है।
इस चित्र प्रदर्शनी में सबसे छोटे कलाकार पांच साल के अथर्व ने गहरे हरे, लाल व पीले रंगों के साथ ही अन्य रंगों का प्रयोग कर बगीचे के चित्र में घूमते बच्चों को उकेर कर अपनी तोतली आवाज में बताया कि यह मैं हूं और यह मेरी दीदी है व यह दूसरी बेबी है। हर दर्शक को अपने चित्र की खासियत बताते छोटे से अथर्व की मीठी भाषा ने चित्र को और भी खूबसूरत बना रही है। इसी के बगल में उनकी 8 साल की बहन सृष्टि की पैंटिंग भी बेहद सुंदर थी। सृष्टि ने गहरे रंगों से प्रकृति पर आधारित जंगल के साथ हाथियों को उकेरा। 8 साल की रोशनी विश्वकर्मा ने कैनवास पर एक्रेलिक रंगों का प्रयोग कर चांदनी रात में प्रेम में डूबे कपल को परछाई के माध्यम से दिखाया। जिन पर पड़ रही चांदनी के रंग पेंटिंग को और भी खूबसूरत बना रहे हैं। 12 साल की अन्वी पटेल ने कैनवास पर एक्रेलिक कलर से बांसुरी बजाते श्रीकृष्ण की ओर दौड़ती गोपियों और जंगल में रहने वाले पशुओं की भक्ति को उकेर दिया। नौ साल के आर्या पटेल ने फेब्रिक गहरे कलर से कैनवास पर गणेश जी को उभार कर भगवान के प्रति अगाध प्रेम को रंगों में दिखा दिया।
इस प्रदर्शनी में चैतन्य चौहान ने अनेक रंगों के साथ ब्राउन रंग से दौड़ते घोड़े के चित्र के माध्यम से बताया कि हमें हर समय कोशिश करते रहना चाहिए रुकना नहीं चाहिए तभी हम अपने सपने को पूरा कर सकते हैं। रिशिता श्रीवास्तव ने बगीचे में झूले पर झूलती मां-बेटी के चित्र को रंगों से बनाकर मां के प्रति अपने प्रेम को खूबसूरती से दिखाया। वहीं सृष्टि सिंह का प्रकृति के चित्र में जंगल व बहते झरने के रंग कला को निखार रहे थे। 7 वर्षीय रिशिका सिंह ठाकुर ने तमाम रंगों का प्रयोग कर अंडों से निकलते चूजों के माध्यम से मन में आकार लेते सपनों को कैनवास पर दिखा दिया। ठीक इसी तरह में अंकुरित हो रहे सपनों को कैनवास पर घड़ी को उकेर कर पल्लवित किया। कनिष्क सिंह के अनुसार एक समय आएगा जब मेरे द्वारा देखे जा रहे सपने पूरे होंगे। निशिता रघुवंशी ने भी कृष्ण को बांसुरी बजाते व प्रकृति के रंगों को उकेरा है। मीत चावला की पेंटिंग भी गहरे रंगों के साथ पनप रहे सपनों को उजागर कर रही वहीं विनीता जगताप ने कैनवास पर आइल कलर का प्रयोग कर स्तन पान कराती मां के दु:ख को व्यक्त किया। विनीता के अनुसार कोई भी मां अपना दूध पिलाकर बच्चे को बड़ा करती है और वही बच्चा उसे एक दिन दु:ख पहुंचाता है। वन्स ललवानी ने प्राकृतिक दृष्यों को कैनवास पर एक्रेलिक कलर से जंगल में हिरणों को घूमते हुए दिखाकर अपनी पारंगता को व्यक्त किया।