सीएम की धमकी भी नहीं सुधार पाई राजस्व अमला
सुमन
भोपाल, 01 सितंबर। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सख्त निर्देशों और मुख्य सचिव बंसत प्रताप सिंह की बेहद सक्रियता और कड़े तेवरों के बाद भी मध्यप्रदेश में राजस्व से जुड़े मामलों में लापरवाही खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। इसके चलते प्रदेश भर से लगातार शिकायतें मिल रही हैं। राजस्व अमले की लापरवाहियों के चलते राज्य सरकार की इमेज खराब हो रही है।
मध्यप्रदेश में सबसे बदतर हालात शायद राजस्व विभाग की ही है। इसके चलते किसानों और आम आदमी को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। नामांतरण जैसे छोटे से काम के लिए भी लोगों को महीनों चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। राजस्व विभाग के कर्मचारी छोटे छोटे बहानों के अड़ंगे लगाकर लोगों को परेशान करते हैं। राजधानी भोपाल तक में हालात बहुत बदतर हैं। पिछले दिनों भोपाल कलेक्ट्रेट में जनसुनवाई के दौरान एक व्यक्ति प्रिंटर लेकर पहुंच गया। उसका कहना था कि उसे 6 महीने से नामांतरण की कापी देने में यह कहकर आनाकानी की जा रही है कि प्रिंटर खराब है, प्रिंट नहीं निकल पा रहा है। इसलिए उसने शासन को प्रिंटर देना चाहा ताकि उसका भी प्रिंट मिल जाए और अन्य परेशान लोगों का भी काम हो जाए। इस घटना से जब हंगामा मचा और बात बड़े अधिकारियों तक पहुंची तो उस व्यक्ति को नामांतरण की कापी मिल गई। भोपाल में ही भूखंड का नामांतरण कराने पहुंचे एक व्यक्ति को तहसील के कर्मचारियों ने यह कहकर नामांतरण से मना कर दिया 2100 वर्गफीट से कम के भूखंड का नामांतरण नहीं हो सकता है। जिला कलेक्टर ने बैन कर दिया है। जब उस व्यक्ति ने अपने स्तर पर छानबीन की तब पता चला कि यह आदेश सिर्फ गैर डाइवर्सन वाली कालोनियों के लिए है। तीन दिन बाद इस आशय का मूल आदेश हाथ में थमाने के बाद नामांतरण का उसका आवेदन लिया गया। इसके बाद भी तीन दिन में बनने वाला नामांतरण पचास दिन में नहीं बन पाया। आवेदन के पांच दिन तक तहसीलदार आफिस ही नहीं आ पाए, इसलिए साइन नहीं हो पाए। उसके बाद आफिस का संबंधित लिपिक बीमार पड़ गया। इसलिए काम नहीं हो पाया। यह काम दूसरे लिपिक को दिया गया। लेकिन उस लिपिक की बेटी बीमार पड़ गई तो फिर 5 दिन तक कोई काम नहीं हुआ। इसके बाद कंप्यूटर खराब हो गया तो फिर पांच दिन काम नहीं हो पाया। इसके बाद तहसलीदार दूसरे काम में व्यस्त हो गए तो नामांतरण का काम नहीं हो पाया। अंततः परेशान व्यक्ति ने प्रमुख सचिव राजस्व और राजस्व मंत्री से पूरे घटनाक्रम को लेकर शिकायत की तो पचास दिन में नहीं बन सका नामांतरण आधा घंटे में बन गया।
राजस्व महकमे की लापरवाही का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि राजधानी में लोगों को नामांतरण जैसे छोटे कामों के लिए इस तरह से भटकना पड़ रहा है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रदेश के दूर दराज वाले इलाकों में क्या स्थिति होगी। जिन गांवों या कस्बों से तहसील आफिस और कलेक्टर कार्यालय बहुत दूर हैं, वहां के लोगों को किस तरह परेशान किया जाता होगा, इसका आकंलन किया जा सकता है। यह स्थिति तब है जब खुद मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि अगर स्थिति नहीं सुधरी तो कलेक्टरों को उलटा टांग दूंगा। मुख्य सचिव मंत्रालय छोड़कर संभागीय मुख्यालयों में बैठकें ले रहे हैं। वे तीन तीन दिन तक लगातार दौरे कर रहे हैं। मुख्य सचिव ने ग्वालियर में बैठकों के दौरान कई कर्मचारियों को लापरवाही के चलते दंडित किया। इंदौर में बैठक के दौरान भी सीएस को तमाम शिकायतें सही लगीं और लापरवाहियां सामने आईं। इस पर उन्होंने कई अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ एक्शन लिया। भोपाल, इंदौर, ग्वालियर जैसी स्थिति पूरे प्रदेश में बनी है। पटवारी से लेकर तहसीलदार स्तर तक के कर्मचारी और अधिकारी अगर अपना रवैया सुधार लें तो बहुत कुछ ठीक हो जाएगा।