नीट की काउंसलिंग में भी व्यापमं की गंध

Sep 01, 2017

खरी खरी संवाददाता

भोपाल, 1 सितंबर। मध्यप्रदेश का सरकारी अमला शायद व्यापमं जैसे घपलों घोटालों का आदी हो गया है। तभी तो नीट के माध्यम से मेडिकल और डेंटल कालेजों की सीटों पर भर्ती के मामले में लगातार लापरवाही बरती जा रही है। हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में फजीहत के बाद भी चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारी कर्मचारी गफलत करने से बाज नहीं आ रहे हैं।

पहले हाईकोर्ट ने फिर सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश में नीट की परीक्षा के आधार पर स्टेट कोटे से हुई काउंसलिंग को रद्द कर दुबारा भर्ती के निर्देश दिए। कोर्ट का कहना है कि स्टेट कोटे से सिर्फ उन्हीं विद्यार्थियों को सीटें आवंटित की जा सकती हैं जो राज्य के मूल निवासी हैं। सुप्रीम कोर्ट का आदेश होने के कारण राज्य सरकार और उसके चिकित्सा शिक्षा विभाग को फिर से काउंसलिंग का कार्यक्रम तैयार करना पड़ा, लेकिन इसमें भी बड़ी गलती कर दी गई। काउंसलिंग के लिए तैयार सूची में कई ऐसे नाम हैं जो मध्यप्रदेश के मूल निवासी नहीं हैं। बाहरी विद्यार्थियों को काउंसलिंग में मौका दिया जा रहा है। इसके चलते उन्हें फिर एडमीशन मिल जाएगा और यह कोर्ट के फैसले के खिलाफ होगा। शायद कुछ अधिकारी जानबूझकर मामले को कानूनी रूप से उलझाना चाहते हैं या फिर उन विद्यार्थियों को मेडिकल या डेंटल कालेज में प्रवेश दिलाना चाहते हैं जिनसे व्यापमं की तरह पैसा ले लिया गया है। इस कारगुजारी से सरकार की छवि खराब हो रही है। मामला चूंकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से जुड़ा है इसलिए किसी भी तरह की लापरवाही सरकार के लिए परेशानी का सबव बन सकती है।

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