सर्वोच्च राजपूताना आर्दशों को प्रेरित करता नाटक आहुति
खरी खरी संवाददाता
भोपाल। पधारो म्हारे देश राजपूतों द्वारा बोला जाने वाला यह स्वागत शब्द सभी के मन में गुड़ सी मिठास घोल देता है। राजपूत जिसको जो वचन देता है वह पूरा करता हैए जिसकी रक्षा का वचन लेता है उसके लिए अपने प्राणों तक को न्यौछावर कर देता है। वहीं दूसरी तरफ सत्ता का वह अंधेरा पक्ष जिसमें राजनीति दो सगे भाईयों को भी लड़ा देए अलग कर दे। सत्ता वह है जो मानवीय मूल्यों के नाम पर पीढ़ियों की आहुति ले ले। इन्हीं मानवीय भावनाओंए अच्छे आदर्शों और सम्मान के लिए सर्वोच्च आहुति देने के लिए प्रेरित करता नाटक ष्आहुतिष् का मंचन शहीद भवन के सभागार में रूपेश तिवारी के निर्देशन में किया गया। इस नाटक को हरिकृष्ण प्रेमी ने लिखा है।
नाटक की कहानी
आहुति नाटक की कहानी राजपूतों की आन प्राण जाएं पर वचन न जाए की शान को प्रदर्शित करता है। इसके अनुसार दिल्ली के सुल्तान अलाउद्दीन अपने सिपहसालार मीर महिमा को अपना गैर बाजिब हुक्म न मानने पर अपनी हुकूमत की हद से बाहर चले जाने का आदेश देता है और यह मुनादी पिटवा देता है कि जो कोई भी निष्कासित मीर महिमा को पनाह देगा, उसके जान माल की खैर नहीं। किन्हीं विशेष परिस्थितियों में रणथम्भौर के महाराव हम्मीर सिंह उसे पनाह देते हैं। जब मीर महिमा को शरण दिए जाने की खबर सुल्तान को लगती है तो वह महाराव को संदेश भेजते हैं कि आपने हमारे दुश्मन मीर महिमा शाह को पनाह दी है। आपसे अर्ज है कि हमारे दुश्मन को अपनी रियासत की हद से निकाल दें। अगर ऐसा नहीं किया तो दिल्ली की ताकत रणथम्भौर के घमण्ड को चकनाचूर करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी। यह सुन हम्मीर सिंह अपने शरणागत से धोखा करने के बजाय सुल्तान से युद्ध करने के लिए तैयार हो जाते हैं और अपने वचन की आन रखने के लिए युद्ध भूमि में सुल्तान से लोहा लेते हैं और अपने बन्धु बान्धवों सहित अपना सर्वस्व आहुति देते हैं। राजपूतों की इस आन को दृश्यों के माध्यम से देख दर्शक बेहद रोमांचित हुए व तालियों से कलाकारों का उत्साहवर्धन किया।
मंच पर
इस नाटक को अभिनीत करने वालों में महाराव हम्मीर सिंह-प्रेम सावलानी, अलाउद्दीन खिलजी- योगेश तिवारी, मीर महिमा. रूपेश तिवारी, मीर गभरू- शुभांकर दीक्षित, जमाल खां-प्रयाग साहू, सुरजन सिंह-रवि अर्जुन, भूरी सिंह-अनुज शुक्ला, महरम खां- भगवत दयाल कुशवाह, सोनूद्धए रणधीर सिंह. भरत बमनेलेए महारानी.ज्योति रायकवार, चपला-खुशबू चौबितकर प्रमुख थे। इनके अलावा नृत्यांगनाओं के रूप में यामिनी चक्रपाणी, सोनाली गोतिसे, खुशबू चौबितकर, यामिनी गेदाम, ज्योति रायकवार व राजपूत-जे.पी. मिश्रा के अलावा सैनिक के रूप में बसंत मेहर, उमेश तिवारी, कंचन विश्वास, अरुण भट्ट, नितेश खटवानी, किशन अभिचंदानी का अभिनय भी दर्शकों को बांधे रखने में सफल रहा।