शिवराज के "वर्जीनिया वुल्फ" किरदार
सुमन “रमन”
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नर्मदा के संरक्षण और शुद्धिकरण का अभियान क्या चलाया पूरी सरकार नर्मदा सेवा में जुट गई है। मुख्यमंत्री की मंशा ठीक लगती है कि अभियान के बहाने नर्मदा को लेकर कुछ ठोस काम होगा। प्रशासन अपना फर्ज निभा रहा है, क्योंकि इस अभियान से मुख्यमंत्री खुद जुड़े हुए हैं। लेकिन शिवराज के मंत्रियों में अचानक नर्मदा के प्रति जो प्रेम जाग गया है वह कई सवाल पैदा करती है कि कहीं नर्मदा सेवा अभियान भी मुख्यमंत्री की मंशा के विपरीत राजनीतिक शगूफा बनकर न रह जाए।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ग्यारह दिसंबर से ग्यारह मई तक चलने वाली नर्मदा सेवा यात्रा में सक्रिय हुए तो पूरी सरकार उसी काम में जुट गई है। मंत्रियों को पहले तो यह काम बड़ा नीरस और बोरिंग लगा लेकिन मुख्यमंत्री की सक्रियता को देखते हुए मंत्री भी धीरे-धीरे खुद भी सक्रिय होने लगे। सिर्फ एक महीने में ही स्थिति यह हो गई है कि मंत्रियों के बीच नर्मदा सेवा की होड़ मच गई है। हर मंत्री अपने ढंग से नर्मदा सेवा में अपनी सक्रियता दिखा रहा है। यह बात अलग है कि वह अपने काम से भी नर्मदा और उनके भक्तों को प्रभावित करना चाहता है या फिर मुख्यमंत्री को।
जाने-माने व्यंग्यकार स्वर्गीय शरद जोशी की कालजयी रचना “वर्जीनिया वुल्फ” से सब डरते हैं, ऐसे में याद आ जाती है। सियासत में भेड़ चाल की परंपरा कोई नई बात नहीं है। इसलिए नर्मदा सेवा के नाम पर मुख्यमंत्री के साथ मंत्रियों का कदमताल आश्चर्य में नहीं डालता। आश्चर्य सिर्फ इस बात का है कि मंत्रियों ने अपने स्तर पर नर्मदा सेवा का जो अभियान छेड़ दिया है वह उनकी कार्यशैली पर ऊंगली उठाता है। इस समय मंत्रियों में नर्मदा के प्रति अगाध श्रद्धा दिखाने की होड़ सी मची है।
वन मंत्री गौरीशंकर शेजवार नर्मदा सेवा यात्रा में लगातार शामिल हो रहे हैं। यहां तक कि उनकी पत्नी भी लगातार उनके साथ हैं, जबकि वह चिकित्सा विभाग में बड़ी अधिकारी हैं। कोई भी अधिकारी किसी धार्मिक यात्रा के लिए इस तरह छुट्टियां बर्बाद नहीं करता और न ही वह विभाग ऐसे कामों के लिए अपनी ओर से इतनी छुट्टी देता है। लेकिन शेजवार दंपत्ति लगातार नर्मदा सेवा में व्यस्त है। वह मुख्यमंत्री तक यह संदेश पहुंचाने में सफल हो गए हैं कि सीएम की गैरमौजूदगी में भी डॉ. शेजवार नर्मदा सेवा यात्रा को ठीक से सम्भाल रहे हैं। सहकारिता राज्य मंत्री विश्वास सारंग आए दिन न सिर्फ नर्मदा सेवा यात्रा में शामिल हो रहे हैं बल्कि उन्होंन दो कदम आगे बढ़कर भोपाल में अपने विधानसभा क्षेत्र के अशोका गार्डन में नर्मदा परिक्रमा पथ ही बनवा डाला। मोहल्ले में बने नर्मदा पार्क और नर्मदा परिक्रमा पथ पर सरकारी खजाने से पैसा फूंका जा रहा है। आखिर कभी तो सीएम की नजर पड़ेगी और सारंग के मार्क्स बढ़ जाएंगे।
लघु उद्योग मंत्री संजय पाठक की नर्मदा सेवा यात्रा में सक्रियता देखते ही बन रही है। संजय यात्रा के लिए तमाम सुविधाएं जुटाने में पूरी शिद्दत से जुड़े हुए हैं। गृह एवं परिवहन मंत्री भूपेंद्रसिंह तथा उद्योग मंत्री राजेंद्र शुक्ला कभी भी नर्मदा सेवा यात्रा में सीएम के साथ दिखाई पड़ जाते हैं। स्कूल शिक्षा मंत्री विजय शाह भी इसमें पीछे नहीं हैं। मुख्यमंत्री के साथ यात्रा में पैदल चलने से लेकर सभाओं के लिए भीड़ जुटाने तक के काम में शाह लगे हुए हैं। शिवराज के कुछ गणों में उपस्थिति दर्ज कराने की होड़ में राजस्व मंत्री उमा शंकर गुप्ता ने नर्मदा यात्रा की व्याख्या करते हुए स्थानीय कुछ अखबारों में नर्मदा सेवा यात्रा पर लेख भी छपवाए हैं, तो वहीं दूसरी ओर आलोक शर्मा शीतलदास की बगिया में नर्मदा आरती का आयोजन भी करवा रहे हैं।
अधिकांश मंत्री शायद इस कोशिश में हैं कि मुख्यमंत्री तक यह बात अच्छे से पहुंच जाए कि नर्मदा सेवा यात्रा में मंत्रियों की सक्रियता प्रभावी ढंग से हो रही है। यह स्थिति तब है जब मुख्यमंत्री की ओर से मंत्रियों पर इस यात्रा में सक्रिय होने का कोई दबाव नहीं बनाया गया है। मुख्यमंत्री की मंशा है कि नर्मदा सेवा यात्रा से गैर राजनीतिक लोगों को ज्यादा जोड़ा जाए ताकि उनकी मदद से नर्मदा के तटों पर विकास कार्य हो सकें, इसलिए मुख्यमंत्री प्रदेश के उद्योगपतियों, फिल्म कलाकारों, साहित्यकारों और इस तरह के तमाम बड़े नामों से न सिर्फ संपर्क कर रहे हैं बल्कि उन्हें यात्रा में किसी भी तरह से शामिल कराने का प्रयास भी कर रहे हैं। वहीं मंत्रियों की सक्रियता बताती है कि सियासत में सिर्फ अपना लाभ देखा जाता है, लेकिन अपने नेता को भी खुश करना जरूरी होता है। इसलिए मंत्रियों में नर्मदा सेवा की सियासी होड़ मची है, बिल्कुल सही है कि "वर्जीनिया वुल्फ" से सब डरते हैं।