शहीद भवन में मंचित नाटक पार्क में महसूस हुआ देश के बंटवारे का दर्द

Mar 12, 2019

खरी खरी संवाददाता

लोगों को जब उनकी जगह से निकाल कर दूसरी जगह फैंक दिया जाता हौ तो वह कभी भी उसे अपनी जगह के रूप में स्वीकार नहीं कर पाते। वह दूसरी जगह को कोई भी दिल-दिमाग से स्वीकार नहीं कर पाता न ही वहां के नए परिवेश में सहज रूप से सांस ले पाता है। मजबूरी में उस दूसरी जगह रहता जरूर है पर मन से, कर्म से उस जगह को, नए लोगों को अपना नहीं पाता। शहीद भवन के सभागार में देश के बंटवारे और शिक्षा पर आधारित नाटक ‘पार्क’ का मंचन सिंधु धौलपुरे के निर्देशन में किया गया। एडमायर सोसायटी फॉर थिएटर कल्चरल एंड वेलफेयर समिति द्वारा मंचित इस नाटक को मानव कौल ने लिखा है।

नाटक की कहानी-

नाटक की शुरुआत मंच पर हल्की रोशनी में एक लड़के के प्रवेश के साथ होती है लड़का पार्क में रखी तीन बैंचों में से एक पर बैठ जाता है। थोड़ी देर बाद एक और आदमी मंच पर प्रवेश करता है और बैंच पर बैठे हुए लड़के को वहां से हटा देता है। इस बात को लेकर दोनों में बहस होने लगती है। इसी बीच तीसरे व्यक्ति का प्रवेश होता है और वह बैंच पर बैठ जाता है। यह देख अब तीनों आपस में उस बैंच पर बैठने को लेकर झगड़ने लगते हैं। बेहद सरल शब्दों में दृश्यांकित इस नाटक में संवादों के मुद्दे बेहद गंभीर हैं। इस नाटक के जरिए बहुत ही अहम और संवेदनशील विषय को बहुत ही सुन्दर और सरल शब्दों द्वारा परिभाषित किया गया है। नाटक में हास्य और व्यंग्य के माध्यम से भारत-पाकिस्तान बंटवारा, कश्मीर के मुद्दे, आरक्षण और शिक्षा जैसे गंभीर मुद्दों को बहुत ही सुन्दर दृश्यों के माध्यम से परिकल्पित किया गया। इस नाटक के जरिए यह बताने की कोशिश की गई कि सरहदें देश को बांट सकती हैं पर दिलों को नहीं। देश के लिए शिक्षा कितनी जरूरी है इस विषय को बेहद संजीदा तरीके से दिखाया गया। शिक्षा के प्रचार-प्रशार पर जोर देते हुए यह बताने की कोशिश की गई कि शिक्षा के बिना कोई भी देश तरक्की नहीं कर सकता है। नाटक का सेट बहुत ही स्वाभाविक और दृश्यों के माफिक था। 

मंच पर-

इसमें अभिनय करने वालों में नीलेश अहिरवार, मनोज रावत, मोहित सोनी, सिंधु धौलपुरे, सोम नामदेव, नैना वर्मा, मनीषा विश्वकर्मा मुख्य थे। इनके अलावा बाल कलाकारों ने भी दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया।