विपक्षी इंडिया की एकता को विधानसभा चुनाव में मिलेगी चुनौती
खरी खरी संवाददाता
भोपाल, 19 जुलाई। देश के विपक्ष ने इंडिया नाम की एकता की नाव पर सवार होकर चुनावी वैतरणी पार करने की योजना बनाई है। यह योजना 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर बनी है लेकिन इसका प्रायोगिक परीक्षण इस साल के अंत में होने जा रहे पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में हो जाएगा। इन राज्यों में मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ भी शामिल है। दोनों ही राज्यों में वर्तमान सरकारों का वजूद काफी गहरा है। मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान 18 साल से मामा का मैजिक चला रहे हैं तो छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल भले ही पहली बार पांच साल पूरे कर रहे हैं लेकिन वजूद मजबूत हो गया है। ऐसे में विपक्ष के इंडिया को दोनों ही राज्यों में चुनौती का सामना करना पड़ेगा।
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार होने के कारण नया सियासी संघर्ष हो सकता है क्योंकि कांग्रेस इंडिया का प्रमुख घटक होने के कारण अन्य किसी दल को छत्तीसगढ़ में वजूद नहीं बनाने देगा, ऐसे में आप जैसे इंडिया के घटक नई चुनौती बन सकते हैं। इन राज्यों के चुनाव को सत्ता का सेमीफाइनल माना जा रहा है। यहां से शुरू हुआ चुनौती का खेल 2024 में नई दिक्कत खड़ी कर सकती है। इस गठबंधन का असर मध्यप्रदेश में भी पड़ेगा। इसलिए इस एकता को लेकर मध्यप्रदेश में बयानबाजी शुरू हो गई है। एमपी बीजेपी के अध्यक्ष वीडी शर्मा ने ट्वीट किया है कि नाम बदलने से नियत नही बदलती। बीजेपी के प्रदेश मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल कहते हैं कि देश को इतिहास देखना चाहिए जब भी भ्रष्टाचारियों ने अपने नाम के आगे इण्डिया जोड़ा है तब तब जनता ने उन्होंने नकार दिया है। बीजेपी के वरिष्ठ नेता गोविंद मालू कहते हैं कि दुकान का नाम अच्छा रख लेने भर से दुकान नहीं चलती है, इसके लिए अच्छा माल रखना भी जरूरी है। बीजेपी का आरोप है कि विपक्षी दलों ने अपना पाप छुपाने के लिए गटबंधन नाम इण्डिया दिया है। मध्यप्रदेश में यह नहीं चल पाएगा।बीजेपी के तंज पर कांग्रेस विधायक कुणाल चौधरी कहते हैं कि कांग्रेस की सोच गरीबों को हक देने की है कांग्रेस पार्टी की नीति पहले देश है जबकि बीजेपी से जुड़े हुए दल की नियत और निति देश के चंद चुनिन्दा व्यापारियों के लिए है।
मध्यप्रदेश उन राज्यों में शामिल हैं जहां दो दलीय व्यवस्था है... कांग्रेस और बीजेपी ही यहां सत्तारूढ़ होती हैं। लेकिन कई छोटे दल अपना वजूद बनाने में कामयाब रहते हैं। समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी, जय आदिवासी संगठन आदि दलों नें यहां ताकत दिखाई है। अगले विधानसभा चुनाव में भी इन दलों की ताकत देखने को मिलेगी। इस कतार में अब आम आदमी पार्टी भी नजर आ रही है। ऐसे में इंडिया की एकता को मध्यप्रदेश के चुनाव में ही चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।