यशस्वी पुत्र जन्म के बाद भी ममत्व से वंचित ययति पुत्री का विद्रोह
खरी खरी संवाददाता
ययाति पुत्री माधवी के साथ जिस प्रकार ऋषि-मुनियों, राजाओं-महाराजाओं, यहां तक कि स्वयं उसके पिता ने अपने यश के लिए अन्याय किया। वह एक स्त्री के लिए असह्य था। तीन-तीन राजाओं, ऋषियों ने उसके सौंदर्य और यौवन के साथ खिलवाड़ किया। पत्नी की तरह उसका उपभोग किया पर अर्धांगिनी के सुख और अधिकार से वंचित रखा। संतान को जन्म देने के बाद भी मां के ममत्व से वंचित की जाती रही। माधवी के माध्यम से स्त्री के चरित्र का पुनरावलोकन और विश्लेषण कर उसे सकारात्मक और प्रेरक-प्रतीक के रूप में प्रस्तुत करता नाटक ययाति पुत्री का विद्रोह का मंचन शहीद भवन के सभागार में चंद्र माधव बारिक के निर्देशन में किया गया।
फ्लैश बैक में कहानी
इस बैले नाट्य की कहानी फ्लैश बैक के बाद शुरू होती है। फ्लैश बैक कहानी के अनुसार राजा गधि (विश्वामित्र के पिता) के पास ऋषि ऋचीक आते हैं और उनकी पुत्री ययाति से विवाह की इच्छा प्रकट करते हैं। गाधि उनसे इसके बदले एक हजार अश्वमेघी घोड़ो जिनका पूरा रंग सफेद होता है व कान काले की मांग करते हैं। ऋचीक अश्वतीर्थ से उनको घोड़े लाकर देते हैं और उनका विवाह सत्यवती से हो जाता है। राजा गाधि पुण्डरीक यज्ञ कर सारे घोड़े ब्राम्हणों को दान कर देते हैं। वितस्ता नदी में बाढ़ आने के कारण बहुत से घोड़े नदी में बह जाते हैं और बाकी घोड़ों को ब्राम्हण कई राजाओं को दे देते हैं। पूरे संसार में सिर्फ 600 घोड़े बचते हैं।
बैले नाट्य की मूल कहानी
गुरू विश्वामित्र का शिष्य गालव द्वारा गुरू दक्षिणा लेने की हठ करने पर उन्होंने उससे श्यामवर्णी आठ सौ घोड़ों की मांग की। कई माह भटकने के वावजूद श्यामवर्णी घोड़े प्राप्त करने में असफल होने पर गालव अपने मित्र गरुड़ की सलाह पर धर्मात्मा स्वभाव के चक्रवर्ती सम्राट ययाति के पास जाकर सहायता करने की कहता है। ययाति के पास भी घोड़े न होने पर निराश हो ययाति अपनी खूबसूरत पुत्री माधवी को दान स्वरूप गालव को सौंप कर कहते हैं कि जिन राजाओं के पास श्यामवर्णी घोड़े हों उनसे कहना कि वे उन घोड़ों के बदले माधवी से एक पुत्र उत्पन्न कर लें। इस तरह गालव अयोध्या के राजा हर्यश्व के पास 200 घोड़े होने के समाचर पर वहां जाकर माधवी को पुत्र प्राप्ति के लिए सौंप घोड़े प्राप्त कर लेता है। माधवी की कोख से हर्यस्व के बेटे वसुमना के जन्म के बाद गालव वापस ला माधवी को काशी महाराज दिवोदास को सौंप देता है। यहां पुत्र प्रदर्तन के जन्म के बाद पुनरू गालव वापस ला भोजनगर के राजा उशीनगर को श्यामवर्णी दो सौ घोड़ों के बदले सौंप देता है। यहां पुत्र शिवि के जन्म के बाद गालव फिर वापस ला अन्य घोड़े पाने के लिए भटकता है न मिलने पर घोड़ों के बदले ऋषि गालव को माधवी सौंप देता है और घोड़े प्राप्त करने की व्यथा बताता है। इस पर ऋषि का गालव से कहना होता है तुमने व्यर्थ में इतना परिश्रम किया। यदि तुम सीधे मेरे पास माधवी को ले आते तो मैं उससे चार यशस्वी पुत्र उत्पन्न करता और तुम्हें श्यामवर्णी घोड़ों के लिए इतना भटकना न पड़ता। इस बैले नाट्य के माध्यम से आगे दृष्यांकित किया गया कि गालव माधवी को गुरू विश्वामित्र की शरण में छोड़कर अपने राज्य चला जाता है और विश्वामित्र का माधवी से जो पुत्र उत्पन्न हुआ वह अष्टक कहलाया। अष्टक के जन्म के बाद माधवी अपने पिता ययाति के पास पहुंचती है। यहां पिता ने माधवी के विवाह के लिए स्वयंवर किए जाने की अनुमति मांगी। ययाति ने पुरुष वर्ग से विरक्ति होने के कारण मना कर अविवाहित रहने का निर्णय कर वन में तपस्या करने चली जाती है। यह नाटक भले ही बेहद खूबसूरती से प्रस्तुत किया गया लेकिन पूर्व में और आज की स्त्री की स्थिति को लेकर कई प्रश्न दर्शकों के सामने जरूर छोड़ गयाए जिन्हें नकारना दर्शकों के लिए मुश्किल होगा। मंच पर स्त्री के दर्द को बयां करते दृश्य भव्य मंच सज्जाए भव्य वेशभूषा भी कम नहीं कर सके।
मंच पर
इस बैले नाट्य को लगभग 30 कलाकारों द्वारा अभिनीत किया गया। जिनमें सिद्धार्थ बारिक, रमेश अहीरे, प्रकाश मीना, आशीष ओझा, हितेश दुबे, प्रकाश गायकवाड़, अंकुर राव सूर्यवंशी, विकास जोठे, हेमसागर राठौर, शिवम राठौर, अजय सहारे, शालिनी मालवीय, सुमन कोठारी, मनीषा हुराईया, नदिनी चौरसिया, वर्षा मालवीय, पूजा साहू, यामिनी चक्रपाणि, मनीषा शाक्या, प्रतिभा सल्लम, शोभा मेहरा प्रमुख रहे।