खून गिराए बिना शरीर से मांस का टुकड़ा निकालने की शर्त से हार जाता है एंटोलियो
खरी खरी संवाददाता
भोपाल। मध्यप्रदेश राज्य नाट्य विद्यालय के सत्र 2018-19 के विद्यार्थियों ने सत्र की समाप्ति पर अपनी आखिरी शैक्षणिक प्रस्तुति में शेक्सपीयर के बहुचर्चित नाटक वेनिस का सौदागर का मंचन रवींद्र भवन के सभागार में किया। इस नाटक को विद्यार्थियों के बतौर शोध कार्य तैयार किया गया और इसका निर्देशन बापी बोस ने किया।
दुनिया के महानतम नाटक लेखकों में शामिल शेक्सपियर के बहुचर्चित नाटकों में से एक वेनिस का सौदागार की कहानी एक प्रेमी युवक बैसेनियो के इर्द गिर्द घूमती है। नाटक में दिखाया गया है कि एंटोलियो नाम का एक ईमानदार व्यापारी होता है। जिसका एक मित्र बैसेनियो अपनी प्रेमिका को प्रभावित करने के लिए व्यापार करके धन कमाना चाहता है। व्यापार करने के लिए वह किसी से धन उधार लेने का प्रयास करता है। बैसेनियो अपने मित्र एंटोलियो की गारंटी दिलाकर शायलॉक नाम के व्यापारी से रुपए उधार लेता है। शायलॉक बहुत चतुर व्यापारी है। वह बैसेनियो को पैसे तो उधार दे देता है, मगर उसकी शर्त रहती है कि वह पैसे समय पर न चुक पाया तो वह एंटोलियो के शरीर के किसी भी हिस्से से एक मांस का टुकडा ले लेगा। जब वह पैसे नहीं चुका पाता है तो शायलाक अपनी शर्त के अनुसार एंटोलियो के शरीर से मांस का टुकड़ा निकालना चाहता है। विवाद बढ़ने पर मामला कोर्ट में जाता है। वहां पर शॉयलॉक कहता है कि उसको शर्त अनुसार एण्टोनियो के दिल से मांस का टुकडा चाहिए। यहीं पर बैसेलियो की प्रेमिका, जो कि एक बडी वकील भी होती है, उसको पता चलता है तो वह एंटोलियो की तरफ से केस लडती है। जब खूब समझाने पर भी शॉयलॉक मांस का टुकडा लेने से इंकार नहीं करता है, तब कोर्ट ड्रामे में पोर्शिया बिना खून निकाले टुकडा लेने की दलील पेश करती है। वह कहती है कि शायलाक मास का टुकड़ा तो निकाल ले लेकिन एंटोलियो के शरीर से रक्त की एक भी बूंद नहीं गिरनी चाहिए। यहां पर शॉयलॉक हार जाता है और ईमानदार एंटोलियो जीत जाता है।