मानव अधिकार आयोग ने फूड प्वाइजनिंग पर कलेक्टर से रिपोर्ट तलब की

Oct 05, 2019

खरी खरी संवाददाता 

भोपाल, 5 अक्टूबर।  मानवाधिकार आयोग ने दमोह जिले के एक बालिका आवासीय विद्यालय में 39 छात्राओं को फूड प्वाइजनिंग होने पर जिला कलेक्टर से जवाब तलब किया है। आयोग ने मंडीदीप में नगरपालिका द्वारा मिलने के 8 साल बाद भी श्रमिकों के लिए शेड नहीं बनाए जाने, रायसेन में एक व्यापारी द्वारा किसानों का भुगतान नहीं करने और रायसेन शहर में पेयजल की सप्लाई नहीं होने पर संबंधितों से जवाब तलब किया है। आयोग के सदस्य मनोहर ममतानी ने सभी मामलों में संज्ञान लेकर जिम्मेदारों को नोटिस भेजकर प्रतिवेदन मांगा है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार दमोह जिले के टोरी स्थित कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय की 39 छात्राओं को फूड प्वाइजनिंग होने पर जिला अस्पताल में भर्ती किया गया। मानवाधिकार आयोग को शिकायत मिली कि स्कूल के छात्रावास की हालत बहुत खराब है। गंदगी होने के साथ ही शुद्ध पेयजल एवं अन्य जरूरी सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। आयोग ने दमोह के जिला कलेक्टर से एक महीने में रिपोर्ट मांगी है।
किसानों का भुगतान रोका- आयोग ने रायसेन के मंडी व्यापारी राजेंद्र पटेल द्वारा डेढ़ से ज्यादा किसानों से धान खरीदी का पौने दो करोड़ का भुगतान नौ महीने बाद भी नहीं होने पर जवाब तलब किया है। इस मामले में चेक बाउंस हो जाने पर भी व्यापारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं हुई। आयोग ने कलेक्टर तथा पुलिस अधीक्षक, रायसेन से एक माह में प्रतिवेदन मांगा है।
पेयजल की सप्लाई नहीं हुई - रायसेन शहर में लगातार दो दिन पेयजल सप्लाई नहीं होने पर मानव अधिकार आयोग ने नाराजगी जताई है। नवरात्र के समय पानी नहीं मिलने पर लोगों में बेहद आक्रोश है। नगपालिका के पास 40 ट्यूबवेल और माना फिल्टर है। पहले इन्हीं से ही पूरे शहर में पानी की सप्लाई होती थी। इस मामले में आयोग ने आयुक्त, नगरीय प्रशासन भोपाल तथा कलेक्टर, रायसेन से एक माह में प्रतिवेदन मांगा है।
नहीं बना श्रमिक शेड- मंडीदीप में नगर पालिका द्वारा राशि मिलने के आठ साल बाद भी श्रमिकों के लिए शेड नहीं बनाए जाने पर आयोग ने संज्ञान लिया है। शेड नहीं होने के कारण मजदूरी की तलाश में श्रमिकों को धूप और पानी में भटकना पड़ता है। श्रम विभाग 8 साल पहले नपा को श्रमिक शेड बनाने के लिए 2 लाख 20 हजार की राशि दे चुका है। इसके बाद भी नपा अधिकारी मजदूरों को सुविधा उपलब्ध कराने में गंभीरता नहीं बरत रहे हैं। जिम्मेदारों की लापरवाही का खामियाजा मजदूरों को भुगतना पड़ रहा है। इस मामले में आयोग ने कलेक्टर, रायसेन तथा सीएमओ, नगर पालिका, मंडीदीप से गत 8 वर्ष में इस संबंध में की गई कार्यवाही का एक माह में प्रतिवेदन मांगा है।

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