मप्र में गौण खनिजों की पर्यावरणीय मंजूरी प्रक्रिया सरल करने की मांग उठाई
जयपुर, 27 मई। मध्यप्रदेश नें देश में गौण खनिजों की पर्यावरणीय मंजूरी की प्रक्रिय़ा को सरल करने की मांग उठाई है। जयपुर में आयोजित राज्यों के खनिज मंत्रियों के सम्मेलन में मध्यप्रदेश की ओर से यह मांग खनिज मंत्री राजेंद्र शुक्ल ने उठाई। सम्मेलन केंद्रीय खनिज एवं इस्पात मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की अध्यक्षता में जयपुर में आयोजित किया गया। इसमें मध्यप्रदेश का प्रतिनिधित्व खनिज साधन, ऊर्जा, नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा तथा जनसंपर्क मंत्री श्री राजेन्द्र शुक्ल ने किया।बैठक में प्रदेश के खनिज सचिव श्री शिवशेखर शुक्ला सहित विभागीय अधिकारी भी मौजूद थे। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राजेंद्र शुक्ल ने कहा कि गौण खनिजों की पर्यावरणीय स्वीकृति जटिल तथा लम्बी प्रक्रिया को सरल बनाना आवश्यक है। साथ ही केन्द्र सरकार के सहयोग, खनिज अन्वेषण निगम तथा भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण के माध्यम से प्रदेश में अधिक-अधिक खनिज पूर्वेक्षण कार्य लिये जाने का आग्रह किया है। मंत्री श्री शुक्ल ने केन्द्र सरकार द्वारा खनिज क्षेत्र में लिये गये क्रांतिकारी निर्णयों की सराहना करते हुए बताया कि प्रदेश में जिला खनिज प्रतिष्ठान को पूर्ण रूप से संचालित होने के लिए राज्य सरकार द्वारा प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र की योजना के प्रावधान को लागू करते हुए इसका नियम प्रारूप भी तैयार कर लिया गया है। श्री शुक्ल ने बताया कि प्रदेश के सभी जिलों में जिला खनिज संस्थान को अविदाय किये जाने के लिये खाते खोले गये है। जिलों को प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना के प्रावधानों के अनुरूप किये जाने वाले कार्यों के लिए परियोजना तैयार करने के निर्देश भी दिये गये हैं। उन्होंने कहा कि भारत सरकार के निर्देशों के अनुरूप जिला खनिज संस्थान में अविदाय की जाने वाली राशि की वसूली की कार्यवाई शुरू कर दी गई है। गत 12 जनवरी 2015 से 30 अप्रैल 2016 में इस मद में 120.23 करोड़ रूपये की राशि भी वसूल कर ली गई है। इसी प्रकार प्रदेश में राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण न्यास के तहत देय राशि की वसूली की कार्यवाई भी प्रांरभ कर दी गई है। इसके विरूद्ध 18.64 करोड़ रूपये की राशि वसूल की भी जा चुकी है। खनिज मंत्री ने कहा कि मुझे यह बताते हुए प्रसन्नता है कि गौण खनिजों की नीलामी के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने ई-ऑक्शन पद्धति अपनायी है। इससे न केवल पारदर्शिता बड़ी है बल्कि रेत खनिज में प्रतिवर्ष प्राप्त होने वाला राजस्व 150 करोड़ से बढ़कर 1500 करोड़ से भी अधिक हो गया है। अब मध्यप्रदेश में सभी गौण खनिज शासकीय भूमि पर ई-नीलामी पद्धति से नीलाम किये जा रहे है। खनिज मंत्री ने कहा कि अवैध उत्खनन, परिवहन आदि पर रोक लगाने के लिए ई-ट्रांजिट पास के साथ-साथ दण्ड के प्रावधान और सख्त किये जा रहे हैं। भारत सरकार द्वारा प्रस्तावित खनन पद्धति का भी ज्यादा से ज्यादा उपयोग मुख्य खनिजों के साथ गौण खनिजों की निगरानी के लिए किया जायेगा। श्री शुक्ल ने कहा कि प्रदेश में मुख्य खनिज के चार ब्लाक को नीलाम करने के लिए एनआईटी जारी कर दी गई है। इनमें से 3 ब्लाक चूना पत्थर खनिज के है, जिन्हें खनिपट्टा के लिए नीलाम किया जा रहा है। हीरा खनिज से संबंधित एक ब्लाक पन्ना जिले में स्थित है, जिसे कम्पोजिट लाईसेन्स की प्राप्ति हेतु नीलाम किया जा रहा है। नीलाम में लिये गये खनिज सम्पदा का कुल संभावित मूल्य 2 हजार करोड़ रूपये है। श्री शुक्ल ने कहा कि प्रदेश में खदानों में खनन सुचारू रूप से हो तथा पर्यावरण को कोई क्षति न पहुँचे इसे ध्यान में रखते हुए खदानों में खनन से पूर्व पर्यावरणीय अनापत्तियां प्रदेश स्तरीय पर्यावरण समाघात निर्धारण प्राधिकरण, जिला स्तरीय पर्यावरण समाघात निर्धारण प्राधिकरण तथा जिला स्तरीय विशेषज्ञ आकलन समिति द्वारा जारी की जा रही है। विगत 2 माह में जिला स्तरीय पर्यावरण समाघात निर्धारण प्राधिकरण द्वारा 1475 प्रकरणों में से 524 पर्यावरणीय अनापत्ति संबंधी आवेदनों को निराकृत किया गया है। साथ ही 5 हेक्टेयर से ऊपर की खदानों में पर्यावरणीय अनापत्तियाँ जारी की गई हैं। मंत्री श्री शुक्ल ने बताया कि प्रदेश में खनन क्षेत्रों की निगरानी के फलस्वरूप 3600 करोड़ रूपये का खनिज राजस्व वसूल किया गया है। आगामी वर्ष में प्रक्रिया के सरलीकरण तथा इलेक्ट्रानिकीकरण से यह राजस्व 5 हजार करोड़ रूपये से भी अधिक होने की संभावना है। उन्होंने कहा कि खनिज साधन विभाग द्वारा पट्टाधारियों तथा ठेकेदारों को खनिज परिवहन के लिए ई-ट्रांजिट पास जारी किये जाने की ऑनलाईन व्यवस्था की जा रही है। माईनिंग प्लान भी ऑनलाईन प्राप्त किये जाने की व्यवस्था प्रचलन है। श्री शुक्ल ने कहा कि राजस्व प्राप्तियों को जमा करने के लिए ऑनलाईन व्यवस्था की जा रही है। प्रदेश में खनिजों की वैज्ञानिक नीति से खोज तथा आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण खनिज भण्डारों को चिन्हित करने के लिए भारत सरकार के सार्वजनिक उपक्रमों से एमओयू हस्ताक्षरित करने का प्रस्ताव है। इससे प्रदेश में नये खनिज आधारित उद्योग स्थापित हो सकेंगे तथा रोजगार के अधिक से अधिक अवसर जन-सामान्य को उपलब्ध हो सकेंगे। बैठक में श्री शुक्ल ने खनिज क्षेत्र के मुद्दों, चुनौतियों और अवसरों पर राज्य सरकारों के साथ गहन चर्चा करने तथा गत 2 वर्षों में केन्द्र सरकार द्वारा खनिज क्षेत्र में लिये गये क्रांतिकारी निर्णयों की सराहना की। उन्होंने राज्य शासन की ओर से आश्वस्त करते हुए कहा कि भारत सरकार के निदेशों का पालन करते हुए प्रदेश खनिज विकास क्षेत्र को और विकसित करेंगे। |