बजट के बहाने साफ्ट हिंदुत्व के रास्ते पर कमलनाथ सरकार

Jul 11, 2019

सुमन त्रिपाठी

भोपाल। चुनावी वायदे के बावजूद बीजेपी सरकार जिस राम वन गमन पथ निर्माण को भुला बैठी थी, उस पर अब कमलनाथ सरकार निर्माण करने जा रही है। विधानसभा में पेश बजट में रामवन गमन पथ के लिए राज्य सरकार ने 22 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। इतना ही नहीं राज्य की सरकार रामपथ कॉरिडोर के दोनों और निर्माण के लिए सरकार पीपीपी मोड पर भी विकास करेगी। बीजेपी को राम के नाम पर कोसने वाली कांग्रेस सरकार को भी हिन्दुत्ववादी भावनाओं को ध्यान में रखते हुए राम याद आ गए।

विधानसभा चुनाव से पहले राम वन गमन पथ का मुद्दा बीजेपी से छीनकर सत्ता में आई कांग्रेस अब अपना ये वचन पूरा करने जा रही है। सरकार ने बजट पेश होने से पूर्व अपने सप्लेमेंट्र बजट में सिर्फ 300 रु. का बजट रखा था तब लगा था शायद कांग्रेस भी राम पथ गमन का वादा भूल गई। जबकि इसी कांग्रेस ने बीजेपी सरकार द्वारा रामपत गमन के लिए 100 के रखे गए बजट पर खूब हो-हल्ला किया था। कांग्रेस द्वारा इसे मुद्दा बनाकर राम वन गमन पथ यात्रा भी निकाली थी। चुनाव से ठीक पहले कमलनाथ ने वादा किया था कि यदि सत्ता में कांग्रेस आती है तो रामवन गमन पथ  पर मुख्यता से पहल की जाएगी। कांग्रेस सरकार ने अपने वादे के अनुसार इसे लगभग पूरा कर दिया। सरकार ने अपने पहले बजट में ही रामपथ निर्माण के लिए राशि का प्रावधान कर हिन्दुत्ववाद को साधने की कोशिश की है। आध्यात्म विभाग के जरिए रामपथ के लिए 22 करोड़ राशि का प्रावधान किया गया है। अन्य वादों पर सरकार का कहना है कि अकेला रामपथ ही नहीं, कांग्रेस के वचन पत्र के अधिकांश वादे सरकार ने बजट में पूरे किए गए हैं। कांग्रेस सरकार राम पथ गमन को प्रमुखता देते हुए उसके दोनों कॉरिडोर के किनारे पीपीपी मोड से विकास की भी तैयारी कर रही है। दूसरी तरफ विपक्ष (बीजेपी) का मानना है कि टोकनमनी से कुछ नहीं होने वाला। किसी भी तरह से कांग्रेस के वचनपत्र की घोषनाएं पूरी नहीं हो रहीं। बाकी सभी योजनाएं जिन्हें कांग्रेस सरकार अपनी बताकर वायदे पूरे करने का कह रही है वह सभी योजनाएं बीजेपी की हैं। वहीं मंदिरों के जीर्णोद्वार के लिए पूर्व सरकार पहले ही फैसला कर चुकी थी उसी को कांग्रेस सरकार ने इस बजट में उठाकर इसके तहत 70 एकड़ से अधिक जमीन वाले मंदिरों की जमीनों का व्यवसायिक उपयोग कर इस राशि से मठ-मंदिरों का जीर्णोद्वार का वादा कर दिया है। नर्मदा के अलावा अन्य नदियों को जोड़कर धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व की स्थापना के लिए पांच करोड़ का प्रावधान इस बजट में किया गया। पहली बार पुजारी कल्याण कोष के लिए एक करोड़ की राशि रखी गई है। आंचलिक भाषा एवं धार्मिक प्रकाशन और नदी न्यास के लिए 50-50 लाख सेवादारों के मानदेय में वृदिध के लिए 20 करोड़ 62 लाख, तीर्थ स्थान एवं मेला प्राधिकरण की राशि तीन करोड़ से बढ़ाकर साढ़े चार करोड़ कर दी गई है।