कामयाब प्रशासकों के भरोसे मिशन 2019 की तैयारी
खरी खरी संवाददाता
नई दिल्ली, 3 सितंबर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी कैबिनेट के विस्तार में यह संकेत दे दिया है कि 20 महीने बाद होने जा लोकसभा चुनाव की तैयारी वे सिर्फ नेताओँ की दम पर नहीं कर रहे हैं, बल्कि विशेषज्ञों की भी सेवाएं उन्हें राजनीतिज्ञ बनाकर ली जा रही हैं। कैबिनेट के इस विस्तार में जिन नौ नए चेहरों को शामिल किया गया है, उनमें चार पुराने ब्यूरोक्रेट्स भी शामिल हैं जिन्हें अलग-अलग क्षेत्रों में विशेषज्ञता हासिल है और वे अपने समय में दक्ष, कुशल और कामयाब प्रशासक रहे हैं।
नरेंद्र मोदी कैबिनेट का तीसरा विस्तार आखिरकार रविवार को हो गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की जोड़ी ने अपने फैसलों से एक बार फिर सभी को चौंकाया है। एनडीए के नए साथियों जनता दल यू और एआईडीएमके तथा शिवसेना जैसे पुराने साथियो को इस विस्तार में जगह नहीं दी गई। वहीं भाजपा के भी लोकसभा और राज्य सभा के कई सदस्य बाट जोहते रहे गए लेकिन किसी भी सदन का सदस्य न होने वालों को कैबिनेट में जगह मिल गई। मोदी और शाह के इस फैसले के तमाम अर्थ लगाए जा रहे हैं। लेकिन एक बात एकदम साफ है कि यह जोड़ी विजन न्यू इंडिया के लिए नए चेहरों पर भरोसा कर रही है। इसलिए विस्तार में दो आईएएस, एक आईपीएस और एक आईएफएस पर भरोसा किया गया है। हालांकि चारों पूर्व नौकरशाहों को राज्यमंत्री बनाया गया है और चारों अपने समय में चर्चित और कामयाब चेहरे रहे हैं।
पूर्व आईएएस आफीसर आर के सिंह को कैबिनेट में शामिल किया गया है। यह वही आरके सिंह ने जिन्होंने 1990 में बिहार के समस्तीपुर में डीएम रहते हुए तत्तकालीन भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा को रोकते हुए उन्हें गिरफ्तार करने के आदेश दिए थे। इसके चलते भाजपा ने केंद्र सरकार से समर्थन वापस ले लिया था और वीपी सिंह की सरकार गिर गई थी। आर के सिंह बाद में केंद्रीय गृह सचिव भी बने। इस बार के लोकसभा चुनाव में वे भाजपा के टिकट पर बिहार के आरा संसदीय क्षेत्र से सांसद चुने गए। उन्हे आंतरिक सुरक्षा के मामलों की बेहद समझ है। एक और पूर्व आईएएस केरल कैडर के अल्फांस कन्नाथानम को भी मोदी सरकार में जगह मिली है। कन्नाथानम ने दिल्ली विकास प्राधिकरण का कमिश्नर रहते हुए लगभग पंद्रह हजार अवैध इमारतों को गिरा दिया था और उनकी छवि बुलडोजरमैन की बन गई थी। उन्होंने केरल के कोट्टायम जिले को देश का पहला शत-प्रतिशत साक्षऱ जिला तब बनाया था जब वे वहां के कलेक्टर थे। उन्हें टाइम मैगजीन ने 100 यंग लीडर्स में भी शामिल किया था। उन्हें शिक्षा और शहरीकरण की बेहद अच्छी समझ है।
मुंबई पुलिस कमिश्नर रहते हुए माफिया पर नकेल कसने वाले पूर्व आईपीएस सत्यपाल सिंह को भी कैबिनेट में जगह मिली है। वे उत्तरप्रदेश की बागपत सीट से दिग्गज नेता अजीत सिंह को हराकर लोकसभा पहुंचे हैं। उन्हें संगठित अपराधों के खिलाफ एक्शन लेने में काफी महारत है। भारतीय विदेश सेवा के अधिकारी रहे हरदीप पुरी को संसद के किसी भी सदन का सदस्य न होने के बाद भी कैबिनेट में शामिल किया गया है। पुरी यूएनओ में भी लंबे समय तक रहे हैं। उन्हें विदेशी और कूटनीतिक मामलों में विशेषज्ञता हासिल है।इन चार पूर्व नौकरशाहों के अलावा पांच अन्य राज्यमंत्री भी टीम मोदी के नए सदस्य बने हैं। इनमें मध्यप्रदेश के लोकसभा सदस्य वीरेंद्र कुमार, उत्तरप्रदेश से शिवप्रताप शुक्ला, कर्नाटक से अनंत हेगड़े, बिहार से अश्विनी कुमार चौबे और राजस्थान से सांसद गजेंद्र सिंह शेखावत शामिल हैं। चार राज्यमंत्रियों मुख्तार अब्बास नकवी, धर्मेंद्र प्रधान, पियूष गोयल और निर्मला सीतारमण को पदोन्नत कर कैबिनेट मंत्री बनाया गया है।