नितीश कुमार की मोदी से मुलाकात ने देश में सियासी हलचल मचाई
खरी खरी संवाददाता
नई दिल्ली, 3 मई। लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के एक दिन पहले बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार की नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात ने सियासी हलचल तेज कर दी है। नितीश कुमार बिहार में एनडीए शासित राज्य सरकार के मुखिया हैं और एक्जिट पोल्स में बिहार में एनडीए को नुकसान बताया जा रहा है।
जनता दल (यूनाइटेड) के प्रमुख नीतिश कुमार वक्त से साथ सामंजस्य बैठाकर करीब ढाई दशक से बिहार की सत्ता पर अपनी पार्टी को काबिज किए हैं। वे इस समय आठवीं बार बिहार के सीएम हैं। यह माना जा रहा है कि एक्जिट पोल में देश में फिर से एनडीए की सरकार बनने की संभावना ने नितीश कुमार को जितना उत्साहित किया है, उतना ही बिहार में सीटें कम होने की संभावना ने निराश किया है। इसलिए उऩकी पीएम और अमित शाह से भेंट के कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। इस दौरान दोनों वरिष्ठ नेताओं के बीच क्या बात हुई, इस बारे में आधिकारिक रूप से कोई जानकारी नहीं दी गई। नीतीश कुमार के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का हिस्सा है। माना जा रहा है कि बिहार में जद (यू) की लोकप्रियता में हाल के वर्षों में कुछ गिरावट आई है। इसके बावजूद नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली ये पार्टी एक प्रमुख राजनीतिक ताकत है। लोकसभा चुनाव के 4 जून को आने वाले नतीजे से पहले दिल्ली में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। दिल्ली में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आधिकारिक आवास, 7 लोक कल्याण मार्ग पर दोनों नेताओं के बीच करीब 35 मिनट से ज्यादा देर तक बातचीत हुई। बताया जा रहा है कि बैठक में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पीएम मोदी को राज्य में हुए लोकसभा चुनाव के संभावित नतीजों के बारे में जानकारी दी है
एग्जिट पोल ने यह तो साफ कर दिया कि एनडीए में अगर लोकसभा सीटों को ले कर नुकसान हो रहा है तो, उसके पीछे जदयू उम्मीदवारों की संभावित हार है। लोकसभा चुनाव के पहले इंडिया गठबंधन की मशाल जलाने वाले नीतीश कुमार ही थे। लेकिन जब नीतीश ने महागठबंधन की सरकार से नाता तोड़ भाजपा से हाथ मिलाया तब राजनीतिक विशेषज्ञों की भी राय थी कि अस्थिर नीतीश कुमार को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। लाइक माइंडेड जनता की नाराजगी नीतीश कुमार पर भारी पड़ेगी। कमोबेश एग्जिट पोल में जो कुछ भी परिणाम दिखाए जा रहे हैं उससे इसकी पुष्टि भी होती है।भाजपा की रणनीति की बात करें तो चुनाव में हार मिले या जीत, ये पार्टी एक परिपाटी के तहत सामूहिक जिम्मेवारी लेती है। इसलिए यह उम्मीद तो नहीं है कि 4 जून के बाद बिहार की राजनीति में कोई परिवर्तन होगा। केंद्रीय राजनीति का विश्लेषण करें तो अभी तक बिहार में बीजेपी अकेले लड़ने की हिम्मत नहीं जुटा सकी है। वैसे भाजपा की पहली प्राथमिकता केंद्र सरकार को बनाना और बहुमत के पार जाने की है, जिससे सरकार स्थिर रह सके। राज्य की राजनीति उनकी दूसरी प्राथमिकता है, इस लिहाजा साल 2025 विधानसभा चुनाव के पहले तक सीएम नीतीश कुमार बने रहेंगे। ये अलग बात है कि बिहार बीजेपी के मन में अभी भी अकेले चुनाव लड़ने की इच्छा बाकी है।