नाटक हां नी तो- परिवार की खुशी में ही सबकी खुशी है
खरी खरी संंवाददाता
भोपाल। मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय में नवीन रंगप्रयोगों के प्रदर्शन की साप्ताहिक श्रृंखला अभिनयन में सुनील सोन्हिया के निर्देशन में नाटक हां नी तो का मंचन संग्रहालय सभागार में हुआ।
इस नाटक के केंद्र में मोहनलाल है, जो अपनी पत्नी के व्यव्हार और बार-बार लड़ाई-झगड़ा करने से परेशान है। अतः वह एक बाबा की शरण में जाता है और बाबा से सलाह माँगता है कि वह अपने जीवन में ख़ुशी और सुख के लिए क्या प्रकल्प करे। बाबा उसे अँगूठी पहनने की सलाह देता है। बाबा ढोंगी है और उसके चक्कर में आकर मोहनलाल एक अंगूठी खरीदता है। इसी ढोंग और बाबा के कहे पर चलने के कारण वह अपने घर, परिवार को बर्बाद कर बैठता है। बात इतनी बिगड़ जाती है कि मोहनलाल को जेल भी जाना पड़ जाता है। अंत में उसको समझ में आता है कि यह पाखंडी बाबा लोगों को सिर्फ धोखा देता है और पैसा बनाता है। अंत में मोहनलाल को कुछ हासिल नहीं होता और पश्चाताप करता है और सोचता है कि परिवार में ही सबकी खुशी है। इसी संदेश के साथ इस खुबसूरत नाटक का अंत होता है।इस नाटक में सार्थकता जीवन में आत्मविश्वास और सकारात्मक सोच के महत्व के साथ ही साथ महिलाओं के त्यागए बलिदान और उनकी पवित्रता को बड़ी ही संजीदगी से निर्देशन ने नाट्य माध्यम से दर्शकों के समक्ष प्रस्तुत किया है। नाट्य प्रस्तुति के दौरान मंच पर सुनील सोन्हिया, प्रतिभा कुलश्रेष्ठ, सुनीता वेलेकर, सुनील नागर, योगेश पटेल, देवेंद्र सिंह देव, रिंकी ओझा, प्रियंका वेलेकर, मोनिका तिवारी, हिमांशु, शुभम यादव, नीरज, प्रभात निगम, संजय और सुनीता वेलेकर आदि ने अपने अभिनय कौशल से सभागार में मौजूद दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। प्रकाश परिकल्पना में आज़म खान ने और संगीत में अभिषेक ने सहयोग किया। नाटक का निर्देशन सुनील सोन्हिया ने किया है। सुनील सोन्हिया कई वर्षों से रंग कर्म के क्षेत्र से जुड़े हैं और कई नाटकों में अभिनय करने के साथ ही साथ कई नाटकों का निर्देशन भी किया है।