जनजातीय संग्रहालय में माच लोकनाट्य शैली में हुआ प्रणवीर तेजाजी का मंचन
खरी खरी संवाददाता
भोपााल। मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय में रंग प्रयोगों के प्रदर्शन की साप्ताहिक श्रृंखला 'अभिनयन' में सत्यनारायण बारोड़ (उज्जैन) के निर्देशन में माच लोकनाट्य शैली में 'प्रणवीर तेजाजी' का मंचन किया गया। इस नाट्य प्रस्तुति में कलाकारों ने तेजाजी के जन्म से लेकर उनके देह त्यागने तक की कथा को संग्रहालय सभागार में माच लोकनाट्य शैली में प्रस्तुत किया।
इसमें कलाकारों ने अभिनय के माध्यम से बताया कि किस तरह नाग देवता की आराधना के बाद तेजा जी का जन्म हुआ था। तेजाजी को 20 वर्ष की आयु में दो माह सावन और भादों में जीवन संकट के योग था। यह जानते हुए भी तेजाजी 20 वर्ष की आयु में उन्हीं महीनों में अपनी पत्नी को लेने चले गए। रास्ते में नागराज ने रास्ता रोककर श्राप को पूर्ण करने का तेजाजी से वचन ले लिया। वचन से बंधे तेजाजी अपना कार्य पूर्ण करने के उपरांत नाग देवता की बांबी पर पहुंच गए। वहां अपनी जीभ नाग देवता से डंसवाकर देह का त्याग कर दिया। इस तरह लोक देवता तेजाजी अमर हो गये। तेजाजी लोक देवता के रूप में पूजे जाते हैं। भादों माह में सुदी 10वीं पर इनका पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।
करीब डेढ़ घंटे की नाट्य प्रस्तुति के दौरान मंच पर मांगीलाल हरौड़, सत्यनारायण बारोड़, सुरेश बरौड़, गोपाल बारोड़, मनोज परमार, कैलाश चंद्र बारोड़, मांगीलाल, भजन सिंह, बलराम, सेवाराम मालवीय, श्याम दयाल और दयाराम गोयल आदि ने अपने नृत्याभिनय कौशल से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। प्रस्तुति के दौरान हारमोनियम पर कन्यादास बैरागी ने और ढोलक पर सुरेश ने सहयोग किया। करीब डेढ़ घंटे की इस नाट्य प्रस्तुति का निर्देशन सत्यनारायण बारोड़ ने किया। सत्यनारायण बारोड़ कई वर्षों से रंग कर्म के क्षेत्र से जुड़े हैं। उन्होंने कई प्रस्तुतियों का निर्देशन करने के साथ ही साथ अभिनय भी किया है।