चरखा कातते गांधी की जगह मोदी ने ले ली

Jan 13, 2017

नई दिल्ली, 13 जनवरी। कुछ लोगों की मोदी भक्ति ने देश में एक नए विवाद को जन्म दे दिया है। केंद्र सरकार के उपक्रम खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) के  नए साल के कैलेंडर और डायरी में  चर्खे के साथ महात्मा गांधी की परंपरागत तस्वीर के स्थान पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चरखा कातते हुए तस्वीर लगाई गई है।
खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग का नया कैलेंडर और डायरी सार्वजनिक होते ही बड़ा बवाल मच गया है। कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दलों ने इसकी जमकर आलोचना शुरू कर दी है, वहीं भाजपा लगातार सफाई दे रही है। खादी विभाग के कर्मचारियों ने भी इसका विरोध किया है और कैलेंडर डायरी लेने से मना कर दिया है। कांग्रेस तो यहां तक आरोप लगा रही है कि गांधी को मारने वालों के इशारे पर यह सब किया जा रहा है। वहीं भाजपा गांधी के प्रति अपनी आस्था व्यक्त करते हुए दावा कर रही है कि मोदी की तस्वीर कैलेंडर डायरी में लगाना गलत नहीं है।
भाजपा के प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि गांधी जी की जगह कोई नहीं ले सकता और कोई ऐसा करने का बारे में नहीं सोच रहा है। वो हमारे दिल में हैं,  हमारे काम में उनके आदर्श ही दिखते हैं। पात्रा ने कहा कि जो लोग कहते हैं कि केवीआईसी के कैलेंडर पर गांधी की ही तस्वीर होनी चाहिए, उन्हें ये जानना चाहिए कि ऐसा कोई नियम नहीं है। साल 1996, 2002, 2005, 2011, 2012 और 2013 में केवीआईसी कैलेंडर पर महात्मा गांधी की तस्वीर नहीं थी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के कार्यकाल के दौरान खादी की बिक्री मात्र 2-7 फीसदी थी, लेकिन भाजपा सरकार के सत्ता में आने के बाद ये बिक्री करीब 35 फीसदी तक बढ़ी है। संबित पात्रा ने कहा कि इसमें पीएम मोदी के 'मन की बात' का योगदान है क्योंकि उन्होंने लोगों से खादी अपनाने के लिए कहा था। उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि कांग्रेस को गांधी की तस्वीर केवल नोट पर अच्छी लगती है जो वो अपने पॉकेट में रखते हैं और जो उन्होंने देश की जनता से लूटा।
वहीं कांग्रेस के प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि खादी की सोच, खादी का प्रचार और खादी का संबंध, चरखा इस पर महात्मा गाँधी के अलावा किसी का अधिकार नहीं हो सकता। उन्होंने कहा पहले भी गांधी की जगह अन्य तस्वीरों का उपयोग किया है, लेकिन उसकी जगह आम आदमी, चरखा और हल था लेकिन तब के प्रधानमंत्री का चेहरा कभी नहीं रहा। सिंघवी ने कहा कि आरएसएस ने गांधी जी को उनके विचारों के लिए मारा। अब मोदी जी ने कैलेंडर और डायरी से गांधी को हटा कर अपनी तस्वीर लगा ली है।  कुछ-कुछ अहंकार जैसा ये जुनून प्रधानमंत्री की पहचान बनता जा रहा है।