अमित शाह ने अपनों से ही खेला सियासी दांव
खरी खरी संवाददाता
भोपाल, 19 अगस्त। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह अपने ही लोगों के साथ बड़ा सियासी दांव खेल गए। उन्होंने एक तरफ तो विधानसभा का अगला चुनाव शिवराज सिंह चौहान की अगुवाई में ही लड़े जाने का ऐलान कर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी से शिवराज सिंह को हटाए जाने की अटकलों को खारिज कर दिया। वहीं दूसरी तरफ 75 पार वालों को चुनाव में टिकट नहीं दिए जाने की किसी भी योजना को खारिज करते हुए कहा कि 75 पार वालों को मंत्री बनाना या न बनाना मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार बता दिया। इस तरह उन्होंने संकेतों में यह खुले आम कह दिया कि बाबूलाल गौर और सरताज सिंह की कैबिनेट से विदाई के पीछे मुख्यमंत्री का हाथ था।
भोपाल के तीन दिनी दौरे पर आए अमित शाह हर मोड़ पर शिवराज सिंह की तारीफ करते नजर आए। यहां तक कि विधायकों, मंत्रियों और कर्यकर्ताओं की तमाम शिकायतों और मीडिया प्रतिनिधियों के तीखे सवालों के बावजूद अमित शाह ने साफ कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव में पार्टी का चेहरा शिवराज सिंह चौहान ही होंगे। अपनी प्रेस कांफ्रेंस में तो उन्होंने यह भी कहा कि 2019 यानि लोकसभा चुनाव में भी मध्यप्रदेश में पार्टी का चेहरा शिवराज सिंह ही होंगे। उन्होंने सरकार पर लगे तमाम आरोपों को दरकिनार करते हुए कहा कि शिवराज सिंह चौहान की अगुवाई में मध्यप्रदेश ने तरक्की की है और प्रदेश विकसित राज्यों की श्रेणी में आ खड़ा हुआ है। उन्होंने शिवराज सिंह सरकार के खिलाफ असंतोष और आरोप को हर तरह से नकार दिया।
एक तरफ तो राष्ट्रीय अध्यक्ष ने एक तरह से शिवराज सिंह चौहान को अभयदान देकर उन्हें चुनाव तक के लिए तानव मुक्त कर दिया लेकिन दूसरी तरफ 75 पार वाले फार्मूले पर उन्हें नए विवाद में उलझा दिया। मीडिया से चर्चा करते हुए अमित शाह ने कहा कि पार्टी ने 75 साल से अधिक उम्र वालों को टिकट नहीं देने का कोई फैसला नहीं किया है। इसलिए अगले चुनाव में 75 पार वालों को टिकट दिया जा सकता है। इस सवाल पर कि फिर मध्यप्रदेश में 75 पार के फार्मूले के आधार पर दो मंत्रियों को कैबिनेट से बाहर का रास्ता क्यों दिखा दिया गया, उन्होंने कहा कि कैबिनेट में किसी को रखने या न रखने का विशेषाधिकार मुख्यमंत्री का होता है। इससे नए सियासी विवाद की स्थिति बन गई है। कैबिनेट विस्तार के दौरान जब बाबूलाल गौर और सरताज सिंह का इस्तीफा लिया गया था, तब यही कहा गया था कि पार्टी हाईकमान ने तय किया है कि 75 पार वालों को कैबिनेट में नही रखा जाए। इसलिए गौर से इस्तीफा मांगने के लिए खुद प्रदेश प्रभारी विनय सहस्त्रबुद्धे प्रदेश अध्यक्ष नंद कुमार सिंह चौहान को लेकर गौर के घर गए थे। उन्होंने उनकी बात पार्टी के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रामलाल से भी कराई थी। रामलाल जी ने भी गौर के सामने इस्तीफे के लिए यही तर्क दिया था। गौर ने इसे पार्टी का फैसला मानते हुए इस्तीफा दे दिया था। मुख्यमंत्री इस आरोप से बच गए कि उन्होंने दोनों बुजुर्ग मंत्रियों को कैबिनेट से बाहर किया है। लेकिन अब पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने सारा खेल उलटा कर दिया। उनका यह कहना कि टिकट वितरण में 75 पार का कोई फार्मूला ही पार्टी ने तय नहीं किया है औऱ मंत्री बनाना मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है, नए विवाद का कारण बन गया है। बाबूलाल गौर ने तो पार्टी अध्यक्ष का यह बयान सामने आने के बाद से ही ताल ठोंकना शुरू कर दी है। वे कह रहे हैं कि उन्हें बताया जाए कि उनका इस्तीफा क्यों लिया गया और उन्हें वापस कैबिनेट में लिया जाए। सत्ता के गलियारों में सियासत का यह खेल कोई नया गुल खिला सकता है।