अभियान चलाने के बाद भी प्रदेश में थम नहीं रही है मिलावटखोरी
खरी खरी संवाददाता
भोपाल, 25 दिसंबर। मिलावटखोरी के खिलाफ सरकार के सख्त अभियानों के बावजूद प्रदेश में इसका सिलसिला थम नहीं पा रहा है। प्रदेश के ग्वालियर चंबल अंचल में दूध से लेकर प्लाज्मा तक में मिलावट के मामले सामने आ रहे हैं। राज्य सरकार ने सख्ती दिखाते हुए खाद्य सुरक्षा कानून में बदलाव कर सजा का प्रावधान बढ़ा दिया है। अब उम्र कैद तक की सजा का प्रावधान कर दिया गया है। इसके बाद भी उम्मीदों का आसमान बहुत साफ नहीं है।
बहुत जल्द आने वाली कोरोना वेक्सीन में मिलावट की खुफिया जानकारी ने राज्य सरकार के होश उड़ा दिए हैं। इस सूचना के पहले कोरोना मरीजों को चढ़ाए जाने वाले प्लाज्मा में मिलावट का मामला ग्वालियर में पकड़ा जा चुका है। ग्वालियर के समीपस्थ जिले भिंड में कई संस्थानों पर हुई छापामारी में सिंथेटिक दूध बनाए जाने के मामले पकड़ में आए हैं। भिंड में तो प्रतिदिन करीब सवा लाख लीटर नकली दूध बनाए जाने का अनुमान है। इसी दूध से सिंथेटिक मावा और अन्य सामग्री भी बनाई जाती है। करीब एक साल पहले कांग्रेस सरकार ने मिलावट खोरी के खिलाफ शुद्ध के लिए युद्ध अभियान चलाकर नकली दूध और मावा बनाने की फैक्ट्रियां मुरैना जिले में पकड़ी थीँ। अब वर्तमान सरकार द्वारा चलाए जा रहे मिलावट के खिलाफ कसावट अभियान में मिलावटखोरी के मामले पकड़े जा रहे हैं। भिंड में नकली दूध और मावा बनाने की फैक्ट्रियां पकड़ी जाना इसी अभियान का हिस्सा है। लोगों की सेहत और जिंदगी से खिलवाड़ का यह खेल इसलिए फलफूल रहा है कि अभियान कुछ दिन चलकर ढंडे हो जाते हैं, लेकिन अब प्रशासन दावा कर रहा है कि अभियान निरंतर चलते रहेंगे।
मिलावटखोरी के खिलाफ सरकार का अभियान आंखें खोल रहा है। दूध एवं अन्य खाद्य सामग्री में जिस तरह की मिलावट पकड़ी जा रही है, उसे देखकर लगता है कि लोगों की जिंदगी से कैसे खिलवाड़ किया जा रहा है। इससे चिकित्सा जगत भी आश्चर्य चकित है। उसका मानना है कि अपने लाभ के लिए मिलावट खोर मौत का सामान बेच रहें है। जिस तरह की मिलावट की जा रही है, वह किसी की भी मौत का कारण बन सकती है।
सरकार को भी समझ में आ गया है कि मिलावट खोरी बड़ा मुद्दा बन गया है। इसलिए सरकार ने पुरानी सरकार के शुद्ध के लिए युद्ध की तर्ज पर मिलावट पर कसावट अभियान शुरू किया है। इसके तहत बीते एक महीने में मिलावट खोरों के खिलाफ करीब 37 बड़ी कार्रवाई की गयी हैं। इनमें 12 कार्रवाई ऐसी हैं जो आईपीसी की धाराओं के तहत की गई है। इस दौरान मिलावट खोरों से करीब सवा करोड़ का सामान जब्त किया गया। इसमें मिलावटी दूध, पनीर, धनिया, मिर्च पावडर, पेड़ा, चीज आदि शामिल हैं। प्रदेश में एक महीने के दौरान जो 37 बड़ी कार्र्वाई मिलावटखोरों के खिलाफ की गई उनमें 127 नमूने जांच के लिए लिए गए थे। इनमें 97 नमूने राज्य खाद्य प्रयोगशाला को मिल चुके हैं। करीब 51 नमूनों की जांच की जा चुकी है। इनमें से 6 मानक स्तर के पाए गए हैं जबकि 28 अमानक स्तर के पाए गए हैं। सरकार का दावा है कि इस तरह का अभियान चलता रहेगा।
तमाम अभियान चलाए जाने के बाद भी मिलावट खोरी पर लगाम नहीं लग पा रही है। राजनैतिक संरक्षण और धन की धमक के चलते यह नहीं हो पा रहा है। गृह मंत्री
नरोत्तम मिश्रा ने भले ही कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा है कि टेबल के ऊपर से सैंपल लिए गए और टेबल के नीचे से उनका सेटलमेंट कर दिया गया, लेकिन यह मिलावट खोरी के खिलाफ छापों की हकीकत है। सैंपल और सेटलमेंट का खेल जब तक चलेगा, कोई भी अभियान मिलावट खोरी को नहीं रोक पाएगा।