DGP बनने के लिए अब सिर्फ सीनियरटी और अच्छी सीआर काफी नहीं
खरी खरी संवाददाता
भोपाल, 6 जनवरी। मध्यप्रदेश में इसी साल नए डीजीपी (पुलिस महानिदेशक) की नियुक्ति की जाएगी। मध्यप्रदेश की नई सरकार वर्तमान डीजीपी को बदलकर नए डीजीपी की नियुक्ति भी कर सकती है। डीजीपी प्रदेश के सीनियर आईपीएस अफसर को अच्छी सीआर होने पर बनाए जाने का प्रचलन है, लेकिन अब ऐसा नहीं हो पाएगा। डीजीपी बनने के लिए सिर्फ वरिष्ठता और अच्छी सीआर होना ही काफी नहीं होगा। यूपीएससी ने डीजीपी बनने के लिए नियमों में संशोधन किए हैं। अब सीनियरटी और सीआर के साथ विभिन्न विशिष्ट क्षेत्रों में काम के अनुभव को प्राथमिकता दी जाएगी। इसके लिए विशिष्ट मानदंड़ों को अपनाया जाएगा।
नए दिशानिर्देशों में कहा गया है कि केवल सेवानिवृत्ति से पूर्व न्यूनतम छह महीने की शेष सेवा वाले अधिकारियों को राज्य के DGP का पद प्रदान करने के लिये विचार किया जाएगा।इस कदम का उद्देश्य सेवानिवृत्ति के अंतिम पड़ाव में "पसंदीदा अधिकारियों" को नियुक्त करके कार्यकाल बढ़ाने की प्रथा को हतोत्साहित करना है, जिससे निष्पक्ष चयन को बढ़ावा दिया जा सके। पूर्व में कई राज्यों ने ऐसे DGP नियुक्त किये थे जो सेवानिवृत्त होने वाले थे और कुछ ने यूपीएससी चयन प्रक्रिया से बचने के लिये कार्यवाहक DGP नियुक्त करने का सहारा लिया था। डीजीपी के लिए पहले न्यूनतम 30 वर्ष की सेवा निर्धारित की गई थी, लेकिन अब दिशानिर्देश 25 वर्ष के अनुभव वाले अधिकारियों को DGP पद के लिये अर्हता प्राप्त करने की अनुमति देते हैं। शॉर्टलिस्ट किये गए अधिकारियों की सीमा भी नए सिरे से तय की गई है। तीन बार शॉर्टलिस्ट किये गए अधिकारियों की सीमा निर्धारित की गई है, केवल विशिष्ट परिस्थितियों में अपवादों की अनुमति दी गई है। यह स्वैच्छिक भागीदारी पर ज़ोर देता है, जिससे अधिकारियों को इस पद के लिये विचार किये जाने की इच्छा व्यक्त करने की आवश्यकता होती है।
नए दिशानिर्देश राज्य पुलिस विभाग का नेतृत्व करने के इच्छुक आईपीएस अधिकारी के लिये आवश्यक अनुभव के क्षेत्रों को परिभाषित करते हैं। इन क्षेत्रों में कानून और व्यवस्था, अपराध शाखा, आर्थिक अपराध शाखा या खुफिया विंग जैसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में न्यूनतम दस वर्ष का अनुभव शामिल है।विशिष्ट क्षेत्रों के साथ-साथ दिशानिर्देश इंटेलिजेंस ब्यूरो, रिसर्च एंड एनालिसिस विंग या सीबीआई जैसे केंद्रीय निकायों में प्रतिनियुक्ति की आवश्यकता पर भी ज़ोर देते हैं। इसका लक्ष्य DGP पद के लिये आवेदन करने वाले उम्मीदवारों के बीच व्यापक और विविध अनुभव सुनिश्चित करना है। यूपीएससी द्वारा पेश किये गए संशोधनों का उद्देश्य राज्य पुलिस महानिदेशकों (DGP) की चयन प्रक्रिया को नियंत्रित करने वाले पहले से निहित मानदंडों में पारदर्शिता लाना है।इन दिशानिर्देशों में अब पक्षपात और अनुचित नियुक्तियों को रोकने के लिये स्पष्ट रूप से मानदंड शामिल किये गए हैं।