मप्र में बीजेपी की उल्टी गिनती शुरू, कांग्रेस ने तीनों निकाय चुनाव में बाजी मारी
भोपाल।जीत के घोड़े पर सवार मप्र में सत्तारूढ़ भाजपा को सोमवार को करारा राजनीतिक झटका लगा। प्रदेश के तीन नगरीय निकायों के चुनाव में भाजपा क मुंह की खानी पड़ी। पार्टी तीनों चुनाव हार गई। मैहर नगर पालिका और ईसागढ़ नगर पंचायत पर कांग्रेस ने कब्जा बरकरार रखा और भाजपा की परंपरागत मंडीदीप नगरपालिका भी भाजपा से छीन ली।
तीनों निकायों के चुनाव में बीजेपी ने पूरी ताकत झोंक दी थी। मुख्यमंत्री खुद प्रचार मैदान में और अपनी चिरपरिचित शैली में जनता को भरोसा दिलाने की कोशिश की। लेकिन इस बार शिवराज सिंह के भरोसे को जनता ने तोड़ दिया। मैहर और ईसागढ़ कांग्रेस का गढ़ रहा है, लेकिनमंडीदीप भाजपा की परंपरागत सीट रही है। यहां पर हार से भाजपा में संगठन केस्तर पर नपाध्यक्ष के उम्मीदवार के चयन को लेकर सवाल खड़े होने लगे हैं।
रायसेनजिले की मंडीदीप नगर पालिका में अध्यक्ष पद पर कांग्रेस के बद्री सिंहचौहान ने भाजपा के राजेंद्र अग्रवाल को 5311 वोटों से हराया। चौहान को 18731 वोट और अग्रवाल को 13420 वोट मिले हैं। मालूम हो कि बद्री सिंह पूर्वकेंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी के करीबी हैं, जबकि भाजपा के अग्रवाल कोमंत्री सुरेंद्र पटवा की पसंद पर टिकट दिया गया था।यहां तीसरे स्थानपर भाजपा के बागी विपिन भार्गव (निर्दलीय) को 11450 वोट मिले।
अशोकनगर कीईसागढ़ नगर परिषद में अध्यक्ष पद पर कांग्रेस के भूपेंद्र द्विवेदी ने भाजपाके हरिवल्लभ अग्रवाल को 1268 वोटों से हराया। द्विवेदी को 4119 और अग्रवालको 2851 वोट मिले।वर्तमान में भूपेंद्र द्विवेदी की पत्नी वंदनाद्विवेदी अध्यक्ष हैं। इससे पहले भी भूपेंद्र द्विवेदी अध्यक्ष थे।
मैहरनगर पालिका में अध्यक्ष पद पर कांग्रेस के धर्मेश घई ने भाजपा के धीरजपांडे को 4035 वोटों से हराया। घई को 14,185 वोट और पांडे को 10,150 वोटमिले हैं। यह माना जा रहा है कि विधानसभा के उपचुनाव में विरोधी लहर के बाद भी मुख्यमंत्री ने नारायण त्रिपाठी को टिकट दिलवाया और जितवाया। उसी समय की नाराजगी को कम करने के लिए धीरज पांडे को इस चुनाव में प्रत्याशी बनया गया, लेकिन भाजपा के ही लोगों ने पार्टी प्रत्याशी के पक्ष में प्रचार नहीं किया। इसके चलते पार्टी को पराजय का सामना करना पड़ा।
भाजपा के नेता इन चुनावों को स्थानीय मुद्दों पर होने वाला चुनाव बताकर हार की जिम्मेदारी लेने से बच रहे हैं लेकिन तीन चुनाव एक साथ जीतने से उल्लासित कांग्रेस कह रही है कि यह प्रदेश की सत्ता से बीजेपी की विदाई की उलटी गिनती शुरू होने का संकेत है।