ग्वालियर चंबल की आठ सीटों पर सिंधिया सर्मथक आमने सामने
खरी खरी संवाददाता
भोपाल, 22 अक्टूबर। मध्यप्रदेश के ग्वालियर चंबल अंचल की 16 सीटों में से 8 सीटों पर सिंधिया समर्थकों के बीच मुकाबला है। भाजपा ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आने वालों को टिकट दिया है तो कांग्रेस ने सिंधिया का खास सर्मथक होने के बाद भी पार्टी नहीं छोड़ने वालों को टिकट दिया है। इसलिए इन आठ सीटों पर मुकाबला सियासत के एक ही अखाड़े के दो पहलावनों के बीच है। ये सीट हैं-मुरैना, ग्वालियर, पोहरी, मुगावंली, अशोकनगर, दिमनी, बमोरी, और मेहगांव। दोनों तरफ सिंधिया सर्मथक होने के कारण मुकाबला रोचक हो गया ह
1.मुरैना.. मुरैना में भाजपा के रघुराज कंसाना और कांग्रेस के राकेश मावई के बीच मुकाबला है। रघुराज कंसाना पहले कांग्रेस के विधायक थे,लेकिन सिंधिया के समर्थन में कांग्रेस को छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गये और अब बीजेपी से प्रत्याशी हैं। वहीं राकेश मावई सिंधिया के खास समर्थक रहे है,लेकिन वे कांग्रेस छोड़कर सिंधिया के समर्थन में नहीं गये।कांग्रेस पार्टी ने उनको इसी का इनाम टिकिट देकर दिया है।
2-दिमनी-दिमनी में गिर्राज दंडोतिया और रवीद्र सिंह तोमर के बीच मुकाबला है। गिर्राज दंडोतिया पहले कांग्रेस के विधायक थे,लेकिन सिंधिया के समर्थन में कांग्रेस को छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गये और अब बीजेपी से प्रत्याशी है। वहीं रवीद्र सिंह तोमर सिंधिया के खास समर्थक रहे है,लेकिन वे कांग्रेस को छोड़कर सिंधिया के समर्थन में नहीं गये। अब कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं।
3-ग्वालियर- ग्वालियर सीट पर प्रद्धुमन सिंह तोमर और सुनील शर्मा के बीच मुकाबला है। प्रद्धुमन सिंह तोमर प्रदेश सरकार में मंत्री भी है। वे सिंधिया के सामने सार्वजनिक तौर सास्टांग दंडवत हो जाने वाले समर्थक हैं। सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया। कांग्रेस प्रत्याशी सुनील शर्मा भी सिंधिया के खास समर्थक रहे है,लेकिन उन्होने सिंधिया के समर्थन में पार्टी नहीं छोड़ी। इसी का फायदा उनको कांग्रेस के प्रत्याशी बनने में मिला है।
4-पोहरी- पोहीर में सुरेश राठखेड़ा और हरिबल्लभ शुक्ला के बीच मुकाबला है। कांग्रेस विधायक रहे सुरेश राठखेडा ने सिंधिया के समर्थन में कांग्रेस छोड़ी और अब बीजेपी से प्रत्याशी बने हैं। हरिवल्लभ शुक्ला पहले बीजेपी प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ चुके हैं और सिंधिया के कहने पर ही कांग्रेस में वापस आये थे...लेकिन अब कांग्रेस छोड़ने से इंकार कर दिया।इसके बाद ही कांग्रेस ने उनको प्रत्याशी बनाया है।
5-मुगावली- अशोकनगगर जिले की मुंगावली में बृजेद्र सिंह यादव और कन्हया राम लोधी के बीच मुकाबला है। बृजेद्र सिंह यादव पहले कांग्रेस के विधायक थे,लेकिन सिंधिया के समर्थन में कांग्रेस को छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गये और अब बीजेपी से प्रत्याशी है। वही कन्हई राम लोधी सिंधिया के खास समर्थक रहे है,सिंधिया ने उनको जिलाध्यक्ष बनवाया था। लेकिन वे कांग्रेस को छोड़कर सिंधिया के समर्थन में नहीं गये।कांग्रेस पार्टी ने उनको टिकिट दिया है।
6-अशोकनगर-अशोकनगर में जसपाल सिंह जज्जी और आशा दोहरे के बीच मुकाबला है। जजपाल सिंह जज्जी पहले कांग्रेस के विधायक थे,लेकिन सिंधिया के समर्थन में कांग्रेस को छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गये और अब बीजेपी से प्रत्याशी है। वही आशा दोहरे और उनकी सास सिंधिया की खास समर्थक रहे है,लेकिन कांग्रेस ने आशा दोहरे को ही प्रत्याशी घोषित किया।
7-बमौरी- गुना जिले की बमोरी सीट पर महेद्र सिंह सिसौदिया और कन्हैयालाल अग्रवाल के बीच मुकाबला है। महेद्र सिसौदिया पहले कांग्रेस के विधायक थे,लेकिन सिंधिया के समर्थन में कांग्रेस को छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गये और अब बीजेपी से प्रत्याशी है। प्रदेश सरकार में मंत्री भी है। वही कन्हैयालाल अग्रवाल ने भले ही कांग्रेस पार्टी ज्वाईन नहीं की लेकिन 2019 के लोकसभा के चुनावों में पूरी सक्रियता के साथ सिंधिया का चुनाव प्रचार किया था।
8-मेहगांव – भिंड जिले की मेहगांव सीट पर ओपीएस भदौरिया और हेमंत कटारे के बीच मुकाबला है। भदौरिया सिंधिया के खास लोगों में गिने जाते हैं। वे सिंधिया के साथ विधायक और कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आ गए। उनके सामने मैदान में उतरे कांग्रेस प्रत्याशी हेमंत कटारे सिंधिया के खास समर्थकों में से एक रहे है।उनके पिता सत्यदेव कटारे सिंधिया के प्रबल समर्थक थे।उनके निधन के बाद उपचुनाव में सिंधिया ने प्रचार के दौरान यह तक कहा था कि अटेर की जनता यह समझे की वह सिंधिया को वोट दे रही है,लेकिन हेमंत कटारे सिंधिया के साथ नहीं गये।
सभी की निगाहें इन आठ सीटों पर लगी हैं। देखना होगा कि सिंधिया चुनाव प्रचार के दौरान अपने समर्थकों के बीच किस तरह का व्यवहार करते हैं। सिंधिया की स्टाइल ही दोनों सर्मथकों के बीच हारजीत का फैसला कराएगी।