एमपी की कोयला लॉबी में हड़कम्प
भोपाल, 23 मई। देश के बहुचर्चित कोयला घोटाले में पूर्व कोयला सचिव सहित 3 अफसरों को अदालत द्वारा सजा सुनाए जाने के बाद मध्यप्रदेश की कोयला लॉबी में हड़कम्प मचा हुआ है। अदालत ने जिस मामले में सजा सुनाई है वह मध्य प्रदेश से जुड़ा है। खदान व्यापारी भी मध्यप्रदेश का है और जिस कोयला खान के आवंटन में गड़बड़ी हुई थी वह भी मध्यप्रदेश का है, इसलिए मध्यप्रदेश की कोयला लॉबी में चिंताएं बढ़ गई हैं।
गौरतलब है कि सीबीआई की विशेष अदालत ने कोल ब्लॉक आवंटन में हुए घोटाले में देश के पूर्व कोयला सचिव एच.सी. गुप्ता को दो साल की सजा सुनाई है। इसके साथ ही दो वर्तमान अधिकारियों के.एस.कोफरा और के.सी सामरिया को भी दो-दो साल की जेल की सजा सुनाई है। अदालत ने तीनों आरोपियों पर एक-एक लाख का जुर्माना भी लगाया है, इसके साथ ही अदालत ने कोल ब्लॉक हासिल करने वाली कंपनी कमल स्पॉञ्ज स्टील एण्ड पॉवर लिमिटेड पर एक करोड़ का जुर्माना लगाया है। अदालत ने कंपनी के एम.डी. पवन कुमार अहलूवालिया को भी तीन साल की सजा सुनाई है, साथ ही 30 लाख रु. का जुर्माना लगाया है। सीबीआई के अनुसार कमल स्पॉञ्ज का कोल ब्लॉक आवंटन के लिए दिया गया आबंटन न सिर्फ निर्धारित मानकों के विपरीत था बल्कि अधूरा भी था। इसके बावजूद कोयला मंत्रालय के अफसरों ने आवेदन पर न सिर्फ विचार किया बल्कि कोल ब्लॉक का आबंटन भी कपर दिया। इसमें मध्यप्रदेश की थेसगोरा बी. रुद्रपुरी खदान का आवंटन किया गया था। माना जा रहा है कि इस मामले में करोड़ों का लेनदेन हुआ। इस फैसले के बाद मध्यप्रदेश के कोयला व्यापारियों और कोल इंडिया के स्थानीय दफ्तरों में हड़कम्प मचा है। कमल स्पॉञ्ज कंपनी के कर्ताधर्ता अहलूवालिया सतना के रहने वाले हैं। बहुत कम समय में अहलूवाला ने हड़ी तरक्की की। अफसरों की मिलीभगत से फर्जी ढंग से कोयला खदान प्राप्त करने के साथ ही अन्य धन्धों में भी अहलूवालिया फैमिली उतर रही थी। उनके संबंध मध्यप्रदेश में मीडिया, माइनिंग, रियल स्टेट तथा एवीएशन का धंधा करने वाली दिल्ली की कंपनी प्रभातम से भी थे। इन दोनों के संबंध झारखंड में माइनिंग और रियल स्टेट का काम करने वाली कंपनियों से बन गए थे। इस तरह म.प्र., झारखंड और दिल्ली की मिलीभगत से कई फर्जी काम किए गए। कमल स्पॉञ्ज ने कोल ब्लॉक आवंटन में हो रहे घपलों का फायदा उठाते हुए कोयला खदान हथिया कर अपने पांव और फैला लिए। कंपनी ने पॉवर स्टील के साथ-साथ सीमेंट उद्योग में भी हाथ डाल दिया। पूरे देश में उनके पार्टनर मिलकर नौकरशाही और राजनीतिक लोगों के बीच पैठ जमा कर अपना काम निकाल रहे थे। अभी भी बहुत सारे मामले ल रहे हैं। लेकिन अदालत के फैसले के बाद सभी में हड़कम्प मचा है। अहलूवालिया के पार्टनर और मददगारों में दहशत व्याप्त है कि कहीं किसी जांच में वह भी लपेटे में न आ जाएं। क्योंकि यह माना जा रहा है कि कोयला घोटाले में आरोप सही साबित होने के बाद अब जांच एजेंसियों की नजर अहलूवालिया के अन्य धन्धों तथा उनके मददगारों और रिश्तेदारों पर हो सकती है।