हिमाचल प्रदेश में समोसे की सीआईडी जांच पर मचा सियासी बवाल

Nov 09, 2024

खरी खरी संवाददाता

शिमला, 9 नवम्बर। हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री के एक कार्यक्रम में मंगाए गए समोसे सही जगह नहीं पहुंचने के मामले की कथित सीआईडी जांच को लेकर प्रदेश में सियासी बवाल मचा है। विपक्ष और सोशल मीडिया इसे लेकर सरकार पर तंज कस रहा है तो सीएम सहित पूरा शासन और प्रशासन स्पष्टीकरण दे रहा है। स्पष्टीकरण एक जैसा नहीं होने के कारण सरकार की किरकिरी हो रही है।

हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार इस समय सोशल मीडिया की वाइरल समस्या से जूझ रही है। यह खबर तेजी से वाइरल हो रही है कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के एक सरकारी कार्यक्रम में मंगाए गए समोसे नहीं पहुंचे तो इसकी सीआईडी जांच हो रही है। मीडिया इस खबर को अपने अनुसार चला रहा है तो विपक्ष सरकार पर हमलावर है कि सरकार की प्राथमिकताएं किस तरह बदल गई हैं। विपक्षी दल बीजेपी ने कांग्रेस सरकार पर हमला बोलते हुए कहा है कि राज्य में गंभीर मामलों को दरकिनार करते हुए 'समोसे' पर सीआईडी जांच हो रही है। सोशल मीडिया पर कई लोग और बीजेपी के नेता इस मामले पर खूब चुटकी ले रहे हैं। एक समय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर 'समोसा' भी ट्रेंड करने लगा था। विपक्ष के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री  जयराम ठाकुर ने बताया, ''कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री पुलिस मुख्यालय में एक कार्यक्रम में गए थे। वहां समोसे मंगाए गए थे। समोसे जहां पहुंचने चाहिए थे वहां नहीं पहुंचे। रास्ते में गुम हो गए। आख़िरकार ये आदेश हुआ कि वो समोसे कहां गए इसकी जांच हो। सीआईडी के वरिष्ठ अधिकारी ने मामले की जांच का आदेश दिया। जांच हुई और पांच पुलिसकर्मी दोषी पाए गए।''

 

 

समोसे की सीआईडी जांच को लेकर मीडिया में मचे बवाल के बाद शासन प्रशासन की ओऱ से स्पष्टीकऱण दिया जा रहा है, लेकिन इसमें विसंगतियां होने के कारण सरकार की किरकिरी हो रहा है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा है कि सीआईडी दफ़्तर में दुर्व्यवहार के किसी मामले की जांच हुई थी, लेकिन मीडिया ने इसे ‘समोसे’ पर सीआईडी जांच का मामला बना दिया। मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार नरेश चौहान का कहना है कि 'सीएम सीआईडी के एक कार्यक्रम में मुख्य अतिथि बन कर गए थे। वो स्वास्थ्य कारणों से बाहर का खाना नहीं खाते हैं। वहां खाने की जो चीजें ऑर्डर की गई थीं उसे लेकर सीआईडी ने विभागीय जांच की थी। वहीं सीआईडी के डीजी संजीव रंजन ओझा ने कहा कि ''सीआईडी ने अपने डेटा सेंटर के उद्घाटन के लिए मुख्यमंत्री को बुलाया था। कार्यक्रम खत्म होने के बाद सभी अफसर कमरे में चाय पी रहे थे। उसी में ये पूछा गया कि वो खाने का सामान जो मंगाया गया था वो कहां गया। इतनी सी बात को तूल दे दिया गया जो ठीक नहीं है। ये सीआईडी का अंदरूनी मामला था। सरकार का इससे कोई लेना देना नहीं है। सीएम तली-भूनी चीज़ें नहीं खाते। समोसा तो बिल्कुल नहीं। इसलिए हमारी ये प्रार्थना है कि इस छोटी सी बात को बढ़ाया न जाए। इसका राजनीतिकरण कर किसी को टारगेट न बनाया जाए। हम ये पता करेंगे कि ये बात कैसे लीक हुई।

विश्लेषक इस पूरे मामले को सरकार के प्रचार तंत्र का फेल्योर बता रहे हैं। विश्लेषकों का मानना है कि मुख्यमंत्री, सीआईडी के डीजी, मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार आदि सभी लोगों का स्पष्टीकरण अलग अलग है। इसलिए इस मामले ने सोशल मीडिया पर ज्यादा तूल पकड लिया।