हनी ट्रैप: हुस्न में हुनरमंदी का तड़का लगाकर ही हुए बड़े काम
खरी खरी संवाददाता
भोपाल/इंदौर, 30 सितंबर। मध्यप्रदेश में हनीट्रैप की कहानी सुलझने की बजाय उलझती जा रही है। रोज हो रहे खुलासों से एक बात साबित हो गई है कि हनी गैंग वास्तव में सिर्फ हनी की दम पर काम नहीं कर रहा था। शिकार करने के लिए जिस्म के साथ तमाम तकनीकों का भी उपयोग किया जा रहा था। शिकार का वीडियो बनाने के लिए जहां लिपिस्टिक जैसे यंत्रों का इस्तेमाल होता था, वहीं शिकार के फोन भी टेप कराए जाते थे। साफ है कि हुस्न में हुनरमंदी का तड़का लगाकर ही गैंग इतना बड़ा काम कर सका।
पुलिस के नए खुलासे के मुताबिक, आरोपी श्वेता विजय जैन ने बेंगलुरु की एक निजी कंपनी को सर्विलांस का जिम्मा सौंपा था। इस सॉफ्टवेयर कंपनी को बेंगलुरु के संतोष चलाते हैं। श्वेता ने कंपनी से सायबर सिक्युरिटी, सायबर फॉरेंसिक और फोन सिक्युरिटी के काम कराए। चैटिंग, एसएमएस के साथ कॉल भी रिकॉर्ड किए गए थे। बताया जा रहा है कि संतोष के साथ 5 लोगों का स्टाफ था, जो भोपाल में सक्रिय रहा। इनमें शिखा, सोनू, अंशिका, साक्षी और साक्षी का भाई शामिल हैं। इनमें से दो लोग सायबर फॉरेंसिक के एक्सपर्ट रहे। उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि श्वेता के साथ संतोष और उनकी टीम हनी ट्रैप केस से भी जुड़े हैं और सायबर सर्विलांस के कनेक्शन भी इनकी ओर इशारा कर रहे हैं। सायबर सेल के दफ्तर में श्वेता अक्सर देखी जाती थी। कुछ लोगों का कहना है कि वह और उसकी टीम यहीं से काम करती थी। बेंगलुरु की जिस कंपनी को यह काम दिया गया था, वह सर्विलांस में एक्सपर्ट मानी जाती है। इसकी एंट्री मप्र में भाजपा सरकार जाने के बाद हुई। कहा जाता है कि यह कंपनी पहले केंद्रीय एजेंसियों के लिए भी काम कर चुकी है। ब्लैकमेलर्स गैंग अफसरों, नेताओं और व्यापारियों को न केवल हनी ट्रैप में फंसाता था, बल्कि बाद में उन पर पैनी नजर भी रखता था। सॉफ्टवेयर कंपनी फोन की निगरानी के लिए पिगासस सॉफ्टवेयर के बग का इस्तेमाल करती थी। इसे वॉट्सऐप, एसएमएस या अन्य तरीकों से नेताओं और अफसरों के फोन की गैलरी में भेजा जाता था। इसके बाद यह फोन में छिपकर कॉल रिकॉर्डिंग, वॉट्सऐप चैटिंग, एसएमएस के साथ अन्य चीजों की सर्विलांस करता था। कहा जाता है कि यह सॉफ्टवेयर आईफोन की भी निगरानी कर सकता है। ये उसे हैक कर लेता था, जिसकी जानकारी फोन चलाने वाले को नहीं होती है।