सीएम से भेंट के बाद राज्यपाल ने दी महापौर चुनाव अध्यादेश को मंजूरी

Oct 08, 2019

खरी खरी संवाददाता

भोपाल,8 अक्टूबर। मध्यप्रदेश में अब जनता सीधे महापौर को नहीं चुन पाएगी, बल्कि जनता द्वारा चुने गए पार्षद महापौर का चुनाव करेंगे। राज्यपाल लालजी टंडन ने मंगलवार सुबह महापौर निर्वाचन अध्यादेश को मंजूरी दे दी है।

राज्य सरकार महापौर का चुनाव पार्षदों के जरिए कराने के संबंधित कानून में संशोधन के लिए अध्यादेश लाई थी। यह अध्यादेश राज्यपाल के पास अटका था। बीजेपी इस संशोधन के खिलाफ है, इसलिए उसने राज्यपाल से इस रोकने का अनुरोध किया था। कांग्रेस और सरकार इसे मंजूर करने के लिए राज्यपाल से अनुरोध कर रही थी। इसके चलते राज्यपाल ने कुछ मुद्दों पर सरकार से स्पष्टीकरण मांगा था। इसके बाद नगरीय प्रशासन मंत्री जयवर्धन सिंह ने विभाग के प्रमुख सचिव संजय दुबे के साथ राज्यपाल से भेंट कर उन्हें सारी बाते बताईं। मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव अशोक वर्णवाल ने भी राज्यपाल से भेंटकर बिल पर सारी स्थिति स्पष्ट की। इस बीच पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उमा भारत ने राज्यपाल से भेंटकर बिल पर साइन नही करने का अनुरोध किया। कांग्रेस सांसद विवेक तनखा द्वारा राज्यपाल को राजधर्म का पालन करने की सलाह देने से मामला बिगड़ता सा लग रहा था। इससे इस मुददे पर नई सियासत शुरू हो गई। भाजपा के तमाम बड़े नेताओं ने तनखा के बयान को गलत बताया। पूर्व राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी ने राज्यपाल का राजधर्म संविधान का पालन बताया। अंतत: मुख्यमंत्री कमलनाथ खुद सोमवार की शाम राजभवन गए और राज्यपाल से करीब एक घंटे की मुलाकात की। इसके बाद मंगलवार को राज्यपाल ने इस संशोधन अध्यादेश को मंजूरी दे दी।  

इसके साथ ही जनता के बजाय पार्षदों द्वारा महापौर के चुनाव का रास्ता साफ हो गया। भोपाल कलेक्टर ने नगर निगम को दो भागों में बांटने का प्रस्ताव भी जारी कर दिया गया है। इसके बाद भोपाल में अब दो नगर निगम बन जाएंगे। इसमें भोपाल ईस्ट और भोपाल वेस्ट नाम से दो नगर निगम बनाए जाने की तैयारी की जा रही है।

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