सड़क हादसे में 40 फीसदी मौतें गोल्डन आवर में इलाज नहीं मिलने कारण
खरी खरी डेस्क
नई दिल्ली,15 अक्टूबर। भारत सरकार के सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय के "भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद" (नेशनल सेफ्टी कॉउन्सिल ऑफ इंडिया) के द्वारा 15 एवम 16 अक्टूबर को दिल्ली के इंडियन हैबिटैट सेंटर में "सड़क सुरक्षा पर प्रथम राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया। इस पहले सेमिनार में पूरे देश के अलग अलग कोने से प्रतिभागी और वक्ता पहुंचे जो 2 दिन में 6 सत्रों में 21 अलग अलग क्षेत्र के विशेषज्ञ सड़क हादसों को कम से कम या समाप्त करने हेतु अपने अपने विचार पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के माद्यम से रखेंगे। जिसको आधार बना कर केंद्र सरकार विषेकर सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय सड़क हादसों को समाप्त करने के लिए नीतियां बनाएंगे।
इस सेमिनार का मुख्य विषय बहुक्षेत्रीय भागीदारी से सड़क सुरक्षा में वृद्धि करना (Enhancing Road Safety Through Multi Sectoral Partnership) है। इस राष्ट्रीय सेमिनार में भोपाल डॉ राजेश शर्मा ने "सड़क दुर्घटना व ट्रामा केअर "विषय पर स्पीकर के रूप में भाग लिया। ज्ञात हो कि डॉ राजेश शर्मा "नर्मदा ट्रामा सेंटर भोपाल व नर्मदा अस्पताल होशंगाबाद के डायरेक्टर हैं व सड़क दुर्घटनाओं के पीड़ितों को पिछले डेढ़ दशक से अधिक समय से व्यक्तिगत रूप से देखते आ रहें हैं। मध्यप्रदेश में "हाई वेलोसिटी ट्रामा " के विचार को डॉ राजेश शर्मा ने ही सर्वप्रथम प्रस्तुत किया था। इसीलिए भारत सरकार के सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय ने इस राष्ट्रीय सेमिनार में इन्हें अपने अनुभवों को साझा करने तथा किस प्रकार सड़क पर होने वाली दुर्घटनाओं और इनसे होने वाली मृत्यु, अपंगता एवं नुकसान को कम किया जाए विषय स्पीकर के रूप में आमंत्रित किया। सेमिनार के तीसरे सत्र को संबोधित करते हुए डॉ राजेश शर्मा ने कहा कि किसी भी हाई वेलोसिटी ट्रामा या सड़क दुर्घटना के 2 मुख्य बिंदु होते हैं। पहला है गोल्डन ऑवर एवं प्री हॉस्पिटल केअर... एक्सीडेंट होने के तुरंत बाद का वो पहला घण्टा जब पीड़ित को एक्सीडेंट होते ही तुरंत इलाज या अस्पताल मिल जाये इसे गोल्डन ऑवर कहते हैं। 40 % मृत्यु का कारण इस गोल्डन ऑवर में इलाज न मिलना ही होता है। प्री हॉस्पिटल केअर का मतलब एक्सीडेंट की जगह से ही इलाज शुरू कर देना, जैसे पीड़ित को वाहन से गलत तरीके से निकलना, पीड़ित को रीड़ की हड्डी में बिना सपोर्ट दिए गाड़ी में शिफ्ट करना, उसकी स्वांश के रास्ते "एयर वे" को बाधित करने आदि जैसी कई गलतिया हैं जिनसे लोगों की मृत्यु हो जाती है। "यूनिवर्सल गोल्डन ऑवर ट्रामा केअर कांसेप्ट "UGHTCC" इस विचार को प्रस्तुत करते हुए डॉ शर्मा ने कहा कि ऐसी प्रणाली विकसित की जाए जिसमे गोल्डन ऑवर में पीड़ित को उचित इलाज मिले केवल प्राथमिक चिकित्सा या कहे फर्स्ट एड देकर अपने दायित्व की इतिश्री न हो जाये, । इसके अंतर्गत यदि सभी नैशनल एवम स्टेट हाई वे पर स्थित पुलिस थानों के अंदर ही 15 बेड के "लेवल 3 ट्रामा सेंटर "पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप को आधार बना कर खोले जाएं। जो रिसिव, ट्रीट एंड रेफर के कॉन्सेप्ट पर बनेगे। इन लेवल 3 ट्रामा सेंटरों में आधुनिक उपकरणों से सुसज्जित एम्बुलेंस, आपरेशन थिएटर विशेषज्ञ चिकित्सक होंगे । दो दिनी इस सेमिनार से भविष्य में सड़क सुरक्षा से जुड़े नीति निर्धारण होंगे। डॉ राजेश शर्मा इस राष्ट्रीय सेमिनार में मध्यप्रदेश का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।