संविधान बचाने सड़क पर उतरी कांग्रेस के सामने चुनौतियां
खरी खरी संवाददाता
नई दिल्ली। प्रतिष्ठापूर्ण कर्नाटक विधानसभा चुनाव के ठीक पहले कांग्रेस पूरे देश में सड़क पर अपनी ताकत दिखाने जा रही है। इसके लिए पार्टी ने देश व्यापी संविधान बचाओ अभियान शुरू किया है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी खुद इस अभियान की अगुवाई करते हुए सड़क पर उतर गए हैं। इस अभियान के जरिए कांग्रेस भले ही भाजपा पर सियासी हमला करने की योजना बना चुकी है लेकिन अपने शासन काल में कांग्रेस पर संविधान के दुरुपयोग के आरोप कम नहीं लगे हैं, इसलिए कांग्रेस को कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।
कांग्रेस के इस अभियान का लक्ष्य भाजपा शासन के दौरान संविधान और दलितों के ऊपर हो रहे कथित हमले पर लोगों का ध्यान खींचना है। यह अभियान सभी राज्यों के सभी ज़िलों में चलाया जाएगा। अभियान के समापन पर 29 अप्रैल को दिल्ली में एक बड़ी रैली होगी। इसमें देशभर के तमाम कार्यकर्ता और नेता जुटेंगे। कांग्रेस का आरोप है कि जब से केंद्र में बीजेपी की सरकार आई है तब से जो भी संवैधानिक तौर तरीके हैं और सरकार चलाने का जो दायित्व है, न्यायपालिका, कार्यपालिका को सम्मान देने का जो दायित्व बनता है, वो नहीं निभाया जा रहा है।
सियासी चिंतकों का मानना है कि कांग्रेस संविधान बचाने की बात तो करती है, लेकिन उसके शासनकाल में भी संविधान की आत्मा को नकारते हुए कई काम किए गए हैं। इस सवाल कांग्रेस प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी कहती हैं कि संविधान सबसे ऊपर होना चाहिए। जब-जब संविधान पर हमला हुआ है, जिसने भी ऐसा किया है उसे देश की जनता ने नकारा है। हम दूध के धुले नहीं हैं, लेकिन हम यह कहना चाहते हैं कि हमने अपनी ग़लतियों से सीखा है।
वरिष्ठ पत्रकार विनोद शर्मा कहते हैं कि जहां तक संविधान बचाने की बात है तो ये बात सही है कि कांग्रेस ने जब देश में आपातकाल लगाया था तो उसने संविधान की आत्मा को ही नकार दिया था। इस पर देश में व्यापक बहस हो चुकी है, लेकिन आज के संदर्भ में इस विरोध को देखें तो इसका संदर्भ ये है कि भारतीय जनता पार्टी क़ानून निर्माताओं के इरादे के मुताबिक नहीं चल रही है। लोकायुक्त की नियुक्ति को लेकर समिति के गठन पर कांग्रेस के नुमाइंदे को बुलाया जा रहा है और वो नहीं जा रहे हैं जिसके चलते लोकायुक्त नहीं बन पा रहा है। वो कहते हैं कि संसद में जिस तरह से विपक्ष को अपनी बात कहने का मौका दिया जाना चाहिए वो नहीं दिया जा रहा है। पिछले सत्र में विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लाया। इस पर स्पीकर ने कहा कि जब तक सदन में पूरी तरह से शांति नहीं होगी वो इसे नहीं लेंगी, लेकिन उसी सदन में उससे कुछ दिन पहले शोर शराबे के बीच वित्त विधेयक केवल 30 मिनट में पास हो गया।
गुजरात हिंसा से जुड़े मामले, समझौता एक्सप्रेस, हैदराबाद के मक्का मस्जिद और मालेगांव बम धमाके में सबूतों के अभाव में कोर्ट ने एक-एक कर कर्नल पुरोहित, साध्वी प्रज्ञा, स्वामी असीमानंद और गुजरात की पूर्व मंत्री माया कोडनानी को दोषमुक्त कर दिया है। आज देश में यह बहस चल रही है कि क्या अदालतों को स्वतंत्रता से काम करने दिया जा रहा है। सवाल उठ रहा है कि दोषमुक्ति का मेला क्यों लगा हुआ है। विचारधारा से सम्बंध रखने वालों के ख़िलाफ़ केस हैं, वो बरी हो रहे हैं और जो विपक्ष के विचार से जुड़े हुए हैं उनके ख़िलाफ़ केस बन रहे हैं। हालांकि इस मामले में कांग्रेस का रिकार्ड भी अच्छा नहीं है। सिर्फ आपातकाल अकेला ऐसा मुद्दा नहीं है जिसे कांग्रेस शासनकाल में संविधान से खिलवाड़ के नाम पर याद रखा जाए। राष्ट्रपति शासन लगाने के मामले में भी कांग्रेस की फजीहत होती रही है। धारा 356 के तहत राष्ट्रपति शासन संवैधानिक अधिकारों के दायरे में आता है, लेकिन कांग्रेस का राष्ट्रपति शासन लगाने का लंबा इतिहास रहा है। देश में अब तक 124 बार राष्ट्रपति शासन लगाए गए हैं, इनमें से आठ बार जवाहरलाल नेहरू के प्रधानमंत्री काल में लगाया गया तो इंदिरा गांधी के कार्यकाल में 50 बार राष्ट्रपति शासन लगाया गया। सन 1980 में केवल तीन दिनों के भीतर ही नौ राज्यों में बहुमत वाली सरकारों को बर्खास्त किया गया था। कांग्रेस ने राष्ट्रपति शासन लगाने की धारा 356 को खिलौना बना लिया था। जब भी उनको मुख्यमंत्री पसंद नहीं आता तो उन्होंने उसे हटा दिया। फारुक अब्दुल्ला सरकार हटाई गई। एन. टी. रामाराव सरकार को बर्खास्त किया गया। उस दौरान कांग्रेस ने संविधान का कोई ख्याल नहीं रखा। कांग्रेस ने अपने शासनकाल में संविधान की भावना के ख़िलाफ़ बहुत बार काम किया।
इसलिए आज जब कांग्रेस संविधान बचाओ अभियान शुरू कर रही है तो उसके ऊपर तमाम सवाल खड़े किए जा रहे हैं। उसे तमाम आरोपों का सामना करना पड़ रहा है। इस अभियान के दौरान उसे तमाम तरह की चुनौतियों से जूझना पड़ेगा। कांग्रेस की भलाई इसी में है कि वह अपनी पूर्वकाल की गलतियों को इसी तरह मानती चले और कहे कि गलती की सजा उसे मिल चुकी है। अब भाजपा गलती कर रही है तो सजा उसे भी मिलना चाहिए।