विदा हुआ वित्त वर्ष मप्र को 39 हजार करोड़ का कर्जदार बना गया

Apr 08, 2021

सुमन त्रिपाठी

भोपाल, 8 अप्रैल। हाल ही में समाप्त हुए वित्तीय वर्ष 2020-21 में मध्यप्रदेश पर करीब 39 हजार करोड़ का नया कर्ज बढ़ गया। राज्य सरकार ने इस वित्तीय वर्ष में करीब 39 हजार करोड़ का नया कर्ज लिया है। इसमें से करीब साढ़े सात हजार करोड़ रुपए अंतिम वित्तीय वर्ष के अंतिम महीने मार्च में लिए गए हैं। सब मिलाकर सरकार पर करीब 2 लाख 40 हजार करोड़ का कर्ज हो गया है।

सरकार की तमाम कोशिशों के बाद भी कोरोना महामारी ने व्यावासायिक गतिविधियों पर पाबंदी लगा दी है। इसका असर सरकार के खजाने पर भी पड़ रहा है। सरकार की आय भले कम हो रही है लेकिन कोरोना के कारण कल्याणकारी खर्चे बढ़ रहे हैं। इसलिए सरकार को लगातार कर्ज  लेना पड़ रहा है। सरकार कर्ज लेने की सीमा पार करने के बाद नई मुश्किल का सामना कर रही थी। इसलिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से कर्ज की सीमा बढ़ाए जाने का अनुरोध किया था। सरकार कुल जीडीपी का करीब साढे तीन फीसदी कर्ज ले सकती है। राज्य सरकार के अनुरोध पर केंद्र ने इसे कुछ शर्तों के साथ दो फीसदी बढ़ा दिया था। इसके चलते मप्र सरकार ने वित्तीय वर्ष के आखरी तीन महीनों में बाजार से अधिक कर्ज उठाया है। प्रदेश के वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा की मानें तो सरकार के सारे कर्ज सीमा के अंदर हैं। किसी भी स्तर पर राज्य सरकार ने कर्ज लेने की लिमिट को क्रास नहीं किया है।

राज्य सरकार के सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस सरकार ने अपने पंद्रह महीने के कार्यकाल में आय के स्त्रोत बढ़ाने का कोई प्रयास नहीं किया। सरकार लगातार खजाने खाली होने का रोना रोती रही, लेकिन खर्च को कम करने का कोई उपाय नहीं किया गया। इसका एक मात्र रास्ता कर्ज लेकर गतिविधियां चलाना था। कमलनाथ सरकार ने भले ही पूर्वर्वती सरकार पर कर्ज लेकर घी पीने का आरोप लगाया लेकिन उस सरकार ने भी अपने खर्चे चलाने के लिए कर्ज का ही सहारा लिया। इसलिए कमलनाथ सरकार की विदाई के समय ही राज्य पर करीब दो लाख हजार करोड़ का कर्ज हो गया था। सत्ता में आने के बाद शिवराज सरकार के सामने भी वित्तीय संकट भयावह रूप में था। वित्त विभाग के सूत्रों के मुताबिक कोरोना महामारी के कारण सरकार को जीएसटी से होने वाली आय में काफी गिरावट आई है। जीएसटी कलेक्शन के अलावा कोरोना महामारी से पेट्रोल-डीजल, आबकारी और खनिज विभाग की कर वसूली भी प्रभावित हुई है। कोविड-19 संक्रमण की वजह से आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हुई हैं, न तो निर्माण कार्य गति पकड़ पा रहे हैं और न ही औद्योगिक गतिविधियां पटरी पर आ पाई हैं। इसी के कारण राज्य सरकार को अपना बजट आकार भी 28 हजार करोड़ घटाकर 2 लाख 5 हजार करोड़ से कुछ अधिक का करना पड़ा। कोरोना संकट की वजह से राज्य की अर्थव्यवस्था पर पड़े प्रभाव को देखते हुए केंद्र सरकार ने राज्य को लगभग साढ़े 14 हजार करोड़ रुपये अतिरिक्त कर्ज लेने की सशर्त अनुमति दी है। इसे मिलाकर राज्य सरकार वर्ष 2020-21 में 40 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज ले सकती थी। इसी के चलते राज्य सरकार ने आखिरी दिनों‍ में मंहगी ब्याज दरों पर कर्ज उठाया है। । यही वजह है सरकार को वित्त वर्ष के अंतिम सप्ताह में भी 4473 करोड़ का न केवल नया कर्ज लेना पड़ा है, बल्कि वह भी बेहद अल्पकालीन समय के लिए। इसके अलावा उस पर ब्याज भी अधिक दर पर देना होगा। इस कर्ज की खास बात यह है कि इसे महज 2 वर्ष की अवधि के लिए लेने पर मजबूर होना पड़ा है। इसकी वजह है प्रदेश पर लगातार बढ़ रहा कर्ज का दायरा। इसी वजह से अब वित्तीय संस्थाओं द्वारा अब मध्य प्रदेश सरकार को अपनी शर्तों पर ही कर्ज दिया जा रहा है। इसके लिए भी प्रदेश सरकार को कर्ज की अदायगी का वादा 31 संस्थाओं से करना पड़ा है। इसकी वजह है सरकार का खजाना पूरी तरह से खाली होना। वित्त वर्ष 2020-21 के पूरा होने तक राज्य में हर बच्चा 33 हजार रुपए का कर्जदार बनकर पैदा हो रहा है। राज्य की वित्तीय स्थिति के विश्लेषक बताते हैं कि हर साल 4 हजार रुपए की दर से हर बच्चे, महिला, पुरुष पर कर्ज बढ़ रहा है। साल 2017-18 में जब प्रदेश पर करीब 1 लाख 52 हजार करोड़ का कर्ज था, तब प्रदेश के हर नागरिक पर 21 हजार रुपए का कर्ज था। साल 2018-2019 में हर व्यक्ति 25 हजार रुपए का कर्जदार था, जो 2019-20 में बढ़कर 29 हजार रुपए से ज्यादा हो गया है और अब 2020-21 में करीब 33 हजार रुपए प्रति व्यक्ति हो गया है।  आर्थिक मामलों के जानकारों का अनुमान है कि कोरोना के बाद प्रदेश के कुल राजस्व में 30 फीसदी तक की गिरावट आ सकती है, जो कुल राजस्व की करीब 26 हजार करोड़ रुपए होगी। केन्द्र से करीब 1 लाख करोड़ रुपए के पैकेज की जरूरत है, अगर यह पैकेज नहीं मिला तो सरकार पूरी तरह से बाजार के भरोसे होगी और वित्तीय स्थिति को संभालना बेहद मुश्किल होगा।

 

 

 

Category: