मनीष सिसोदिया ही आप की सत्ता और संगठन के सारथी बनेंगे
खरी खरी संवाददाता
नई दिल्ली, 11 अगस्त। आम आदमी पार्टी में नंबर दो की अहमियत वाले नेता मनीष सिसोदिया की जेल से रिहाई के बाद आप की सत्ता और संगठन में उनकी भूमिका को लेकर सियासी कयास लगाए जा रहे हैं। यह माना जा रहा है कि अब अरविंद केजरीवाल के जेल से बाहर आने तक आप की सत्ता और संगठन में मनीष सिसोदिया की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। मनीष सिसोदिया ही आप की सत्ता और संगठन के सारथी बनेंगे। भले ही वो खुद को रथ में जुते घोड़े और अऱविंद केजरीवाल का रथ का सारथी बता रहे हैं, लेकिन फिलहाल आप के पास कोई विकल्प नही है।
दिल्ली शराब घोटाले में आरोपी मनीष सिसोदिया ने जेल जाने पर उपमुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। वे करीब 17 महीने बाद जेल से बाहर आए हैं। अभी उनके पास आप संगठन या सरकार में कोई पद नही हैं। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अभी भी जेल में बंद हैं और उन्होंने अपने पद से इस्तीफ़ा नहीं दिया है।
सिसोदिया जेल से बाहर आ गए हैं और उनके पद संभालने पर कोई क़ानूनी अड़चन नहीं है।हालांकि आम आदमी पार्टी ने अभी ये साफ़ नहीं किया है कि सिसोदिया अपने पद पर कब लौटेंगे। मनीष सिसोदिया ने जेल से बाहर आकर दिए अपने भाषण में बार-बार अरविंद केजरीवाल का नाम लिया। उन्होंने उन्हें रथ का सारथी बताकर, स्वयं को रथ का घोड़ा कहा। इसमें कोई संदेह नहीं है कि मनीष सिसोदिया, केजरीवाल के सबसे क़रीबी सहयोगी और विश्वासपात्र साथी हैं। राजनीति में आने से पहले केजरीवाल जब गैर सरकारी संस्था चला रहे थे तब मनीष सिसोदिया ही उनके क़रीबी सहयोगी थे। भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ आंदोलन में वो शुरूआत से केजरीवाल के बराबर में खड़े रहे.विश्लेषक मानते हैं कि केजरीवाल के बाद मनीष सिसोदिया ही पार्टी के सबसे बड़े नेता हैं और अब केजरीवाल की ग़ैर मौजूदगी में पार्टी की कमान भी उन्हीं के हाथ में होगी,।
मुकेश केजरीवाल कहते हैं, "अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया के बीच जिस तरह का तालमेल रहा है और दोनों जितने क़रीब रहे हैं। मनीष के जेल से बाहर होने और केजरीवाल जेल में होने से इस बात की संभावना अधिक है कि पार्टी और सरकार के अधिकतर काम सिसोदिया के निर्देशन में ही हों।" इसकी वजह बताते हुए मुकेश केजरीवाल कहते हैं, "सिसोदिया और केजरीवाल का साथ बहुत पुराना है। भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से लेकर सरकार चलाने तक, दोनों ने साथ मिलकर काम किया है।"
"ऐसा कभी कोई मौक़ा नहीं आया है जब केजरीवाल या मनीष के बीच कोई मतभेद रहा हो। मनीष को सर्वमान्य रूप से पार्टी में नंबर दो माना जाता है और उनकी स्वीकार्यता भी है। ऐसे में केजरीवाल की गै़र मौजूदगी में अगर वो कमान संभालते हैं तो इसे लेकर शायद ही कोई असहज हो।"