भानगढ़ किले में भूतों से बातें करने की कोशिश, रिसर्चर गौरव तिवारी की मौत
जयपुर। किलों की विरासत वाले राजस्थान में पुरातत्व विभाग नेअधिकांश पुरासंपत्तियों को अपने कब्जे में ले लिया है। इनमें से कई किलों में आत्माओं और भूतों का डेरा बताया जाता है। इन्हीं में एक है भानगढ़ का किला। इस किले को भूतों का गढ़ माना जाता है। यह किला अक्सर चर्चाओं में बना रहता है, क्योंकि पैरानॉर्मल सोसाइटी के लोग .यहां अक्सर रिसर्च करने आते रहते हैं। किसी ने यहां भूत होने का दावा किया तो किसी ने महज अफवाह करार दिया। लेकिन कुछ समय पहल यहां शोध करने आए गौरव तिवारी की यहां रात गुजारकर जाने के बाद अपने घर में रहस्यमयी परिस्थितियों में हुई मौत ने एक बार फिर इस किले को चर्चा में ला दिया है।
भारतीय पुरातत्व विभाग ने भानगढ़ के किले में सूर्योदय के पहले और सूर्यास्त के बाद जाने पर प्रतिबंध लगा रखा है। लेकिन पैरानॉर्मल रिसर्चर गौरव तिवारी भी अपनी टीम के साथ यहां पहुंचे थे और यहां उन्होंने पूरी रात गुजारी थी और भूतों से बात करने की भी कोशिश की। उन्हें किले में रहने के दौरान कुछ नहीं हुआ। लेकिन बाद में गौरव की अपने घर पर संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। गौरव तिवारी दिल्ली के द्वारका के सेक्टर 19 में अपनी फैमिली के साथ एक फ्लैट में रहते थे। सात जुलाई को वे अपने फ्लैट के बाथरूम में मृत पाए गए।उनकी मौत को पैरानॉर्मल शक्तियों से भी जोड़कर देखा जा रहा है।
गौरव अपनी टीम को लेकर भानगढ़ में रिसर्च करने पहुंचे थे।इस दौरान वे भूतों पर रिसर्च करने वाले सभी इक्विपमेंट लेकर यहां आए थे।भानगढ़ पहुंचकर गौरव ने यहां भूतों से बात करने की भी कोशिश की थी।पूरी रात रिसर्च करते हुए उन्होंने भूतों से सवाल पूछने की कोशिश की, उनके सवाल थे कि क्या राजकुमारी रत्नावती यहां रहती है?इसके साथ ही उन्होंने सिंधिया नाम के एक तांत्रिक के बारे में भी सवाल किया था। उन्होंने पूछा था, क्या तांत्रिक सिंधिया यहां रहता है?रात भर किले के हर कोने में ऐसे सवाल करने के बावजूद गौरव और उसकी टीम को किसी तरह की भूतिया शक्ति का अहसास नहीं हुआ और ना ही उनके सवालों के जवाब मिले।
गौरव और उनकी टीम यहां से सकुशल रवाना हुई थी। बताया जाता है कि यहां से जाने के कुछ दिन बाद गौरव अपने घर में बाथरूम में थे। अचानक कुछ गिरने कि आवाज सुनकर उनकी पत्नी और मां दौड़कर बाथरूम पहुंची तो गौरव मृत पड़े थे। पुलिस के अनुसार गौरव के गले पर निशान पाए गए थे, जिस तरह के निशान फँदा लगने के होते हैं, लेकिन वहां फंदा लगने का कोई सबूत नहीं था। गौरव मूलतः बिहार के रहने वाले थे। वे अमेरिका से प्रोफेशनल पाइलट की ट्रेनिंग ले चुके थे और बोस्टन में कामर्शियल पायलट भी रहे हैं। उन्होंने पायलेट की ट्रेनिंग बीच में छोड़कर पैरानार्मल एक्टीविटी का कोर्स किया और इंडिया पैरानार्मल सोसायटी बनाई थी। वे देश दुनिया के हांन्टेड स्थानों की पड़ताल करते थे। उनके पास बहुत सारे उपकरण भी थे।
क्या है भानगढ़ की कहानी
भानगढ़ के बारे में जो अफवाहें हैं, उनके मुताबिक इस इलाके में सिंधिया नाम का एक तांत्रिक रहता था। उसका दिल भानगढ़ की राजकुमारी रत्नावती पर आ गया। जिसकी सुंदरता समूचे राजपूताना में बेजोड़ थी।एक दिन तांत्रिक ने राजकुमारी की एक दासी को बाजार में खुशबूदार तेल खरीदते देखा। सिंधिया ने तेल पर टोटका कर दिया, ताकि राजकुमारी उसे लगाते ही तांत्रिक की ओर खिंची चली आए। लेकिन शीशी रत्नावती के हाथ से फिसल गई और सारा तेल एक बड़ी चट्टान पर गिर गया।टोटके की वजह से चट्टान को ही तांत्रिक से प्रेम हो गया और वह सिंधिया की ओर लुढ़कने लगी।
चट्टान के नीचे कुचल कर मरने से पहले तांत्रिक ने शाप दिया कि मंदिरों को छोड़ कर समूचा किला जमींदोज हो जाएगा और राजकुमारी समेत भानगढ़ के सभी निवासी मारे जाएंगे।आसपास के गांवों के लोग मानते हैं कि उसके शाप की वजह से ही किले के अंदर की सभी इमारतें रातों-रात ध्वस्त हो गई। यहां रहने वाले लोगों का मानना है कि राजकुमारी रत्नावती समेत उस कथित हादसे में मारे गए भानगढ़ के लोगों की आत्मा आज भी यहां घूम रही है।
जयपुर। किलों की विरासत वाले राजस्थान में पुरातत्व विभाग नेअधिकांश पुरासंपत्तियों को अपने कब्जे में ले लिया है। इनमें से कई किलों में आत्माओं और भूतों का डेरा बताया जाता है। इन्हीं में एक है भानगढ़ का किला। इस किले को भूतों का गढ़ माना जाता है। यह किला अक्सर चर्चाओं में बना रहता है, क्योंकि पैरानॉर्मल सोसाइटी के लोग .यहां अक्सर रिसर्च करने आते रहते हैं। किसी ने यहां भूत होने का दावा किया तो किसी ने महज अफवाह करार दिया। लेकिन कुछ समय पहल यहां शोध करने आए गौरव तिवारी की यहां रात गुजारकर जाने के बाद अपने घर में रहस्यमयी परिस्थितियों में हुई मौत ने एक बार फिर इस किले को चर्चा में ला दिया है।
भारतीय पुरातत्व विभाग ने भानगढ़ के किले में सूर्योदय के पहले और सूर्यास्त के बाद जाने पर प्रतिबंध लगा रखा है। लेकिन पैरानॉर्मल रिसर्चर गौरव तिवारी भी अपनी टीम के साथ यहां पहुंचे थे और यहां उन्होंने पूरी रात गुजारी थी और भूतों से बात करने की भी कोशिश की। उन्हें किले में रहने के दौरान कुछ नहीं हुआ। लेकिन बाद में गौरव की अपने घर पर संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। गौरव तिवारी दिल्ली के द्वारका के सेक्टर 19 में अपनी फैमिली के साथ एक फ्लैट में रहते थे। सात जुलाई को वे अपने फ्लैट के बाथरूम में मृत पाए गए।उनकी मौत को पैरानॉर्मल शक्तियों से भी जोड़कर देखा जा रहा है।
गौरव अपनी टीम को लेकर भानगढ़ में रिसर्च करने पहुंचे थे।इस दौरान वे भूतों पर रिसर्च करने वाले सभी इक्विपमेंट लेकर यहां आए थे।भानगढ़ पहुंचकर गौरव ने यहां भूतों से बात करने की भी कोशिश की थी।पूरी रात रिसर्च करते हुए उन्होंने भूतों से सवाल पूछने की कोशिश की, उनके सवाल थे कि क्या राजकुमारी रत्नावती यहां रहती है?इसके साथ ही उन्होंने सिंधिया नाम के एक तांत्रिक के बारे में भी सवाल किया था। उन्होंने पूछा था, क्या तांत्रिक सिंधिया यहां रहता है?रात भर किले के हर कोने में ऐसे सवाल करने के बावजूद गौरव और उसकी टीम को किसी तरह की भूतिया शक्ति का अहसास नहीं हुआ और ना ही उनके सवालों के जवाब मिले।
गौरव और उनकी टीम यहां से सकुशल रवाना हुई थी। बताया जाता है कि यहां से जाने के कुछ दिन बाद गौरव अपने घर में बाथरूम में थे। अचानक कुछ गिरने कि आवाज सुनकर उनकी पत्नी और मां दौड़कर बाथरूम पहुंची तो गौरव मृत पड़े थे। पुलिस के अनुसार गौरव के गले पर निशान पाए गए थे, जिस तरह के निशान फँदा लगने के होते हैं, लेकिन वहां फंदा लगने का कोई सबूत नहीं था। गौरव मूलतः बिहार के रहने वाले थे। वे अमेरिका से प्रोफेशनल पाइलट की ट्रेनिंग ले चुके थे और बोस्टन में कामर्शियल पायलट भी रहे हैं। उन्होंने पायलेट की ट्रेनिंग बीच में छोड़कर पैरानार्मल एक्टीविटी का कोर्स किया और इंडिया पैरानार्मल सोसायटी बनाई थी। वे देश दुनिया के हांन्टेड स्थानों की पड़ताल करते थे। उनके पास बहुत सारे उपकरण भी थे।
क्या है भानगढ़ की कहानी
भानगढ़ के बारे में जो अफवाहें हैं, उनके मुताबिक इस इलाके में सिंधिया नाम का एक तांत्रिक रहता था। उसका दिल भानगढ़ की राजकुमारी रत्नावती पर आ गया। जिसकी सुंदरता समूचे राजपूताना में बेजोड़ थी।एक दिन तांत्रिक ने राजकुमारी की एक दासी को बाजार में खुशबूदार तेल खरीदते देखा। सिंधिया ने तेल पर टोटका कर दिया, ताकि राजकुमारी उसे लगाते ही तांत्रिक की ओर खिंची चली आए। लेकिन शीशी रत्नावती के हाथ से फिसल गई और सारा तेल एक बड़ी चट्टान पर गिर गया।टोटके की वजह से चट्टान को ही तांत्रिक से प्रेम हो गया और वह सिंधिया की ओर लुढ़कने लगी।
चट्टान के नीचे कुचल कर मरने से पहले तांत्रिक ने शाप दिया कि मंदिरों को छोड़ कर समूचा किला जमींदोज हो जाएगा और राजकुमारी समेत भानगढ़ के सभी निवासी मारे जाएंगे।आसपास के गांवों के लोग मानते हैं कि उसके शाप की वजह से ही किले के अंदर की सभी इमारतें रातों-रात ध्वस्त हो गई। यहां रहने वाले लोगों का मानना है कि राजकुमारी रत्नावती समेत उस कथित हादसे में मारे गए भानगढ़ के लोगों की आत्मा आज भी यहां घूम रही है।