बुजुर्ग भाजपा नेता ने अयोध्या की विवादित भूमि बौद्धों की बताई
खरी खरी संवाददाता
इंदौर, 18 जुलाई। भारतीय जनता पार्टी के बुजुर्ग नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री संघप्रिय गौतम ने अयोध्या की विवादित भूमि हिंदुओं और मुसलमानों की बजाय बौद्धों की बताई है। मध्यप्रदेश के भ्रमण पर आए गौतम ने एक लिखित बयान में यह दावा किया है। उन्होंने प्रसिद्ध पर्यटन स्थल मांडव का भ्रमण करने के बाद धार से इंदौर जाते समय लिखित बयान दिया। उनके लिखित बयान मे कहा गया है कि ‘‘अयोध्या विवाद को चलते हुए लगभग सत्तर वर्ष हो गये लेकिन अभीतक इस विवाद का तीन जजों सर्वश्री शर्मा, खान और अग्रवाल खण्ड पीठ का निर्णय 30 सितम्बर 2010 ई. को घोषित हुआ तदनुसार न्याय मुर्ति शर्मा ने निष्कर्ष निकाला कि मंदिर तोडकर मस्जिद बनाई गयी है। हालांकि ऐसा सबुत फाईल पर नहीं है। न्याय मुर्ति शर्मा ने निस्कर्स निकाला की कोई मंदिर नहीं तोडा गया हैं और समतल भूमि पर मस्जिद बनाई गयी और उसमे आसपास के ढाचों से जो मेटेरियल लगा उसमें से जो मस्जिद में चालीस कसौटी खम्बे लगे है वे पूरी तरह बनारस (सारनाथ) के बौद्ध मंदिर के खम्बों से मिलते है इससे ऐसा प्रतीत होता है कि मस्जिद के नीचे या आसपास बौद्ध स्मार्को (मंदिर) के अवषेष रहे होगें। इससे प्रतीत हेता है कि विवादित भूमि बौद्धो की है और इसलिए बौद्धो को ही मिलनी चाहिए। फिर भी बौद्ध चाहेगें कि हिन्दू और मुसलमान आपस में मिलझुल कर इस विवाद को सुलझा ले यदि ऐसा नहीं होता तो दोनों पक्ष माननीय सुप्रीम कोट के निर्णय को स्वीकार करे। यदि ऐसा भी ना हो तो मुसलमानों से अपील है की वे बहुसंख्यक हिन्दुओं को राम मंदिर के लिए समर्पित कर दे। यदी ऐसा भी नहीं होता है तो फिर ये भूमि बौद्धो को ही दे दी जाय। बौद्ध इस भूमि को सरकार को समर्पित कर देगें और अनुरोध करेगें कि सरकार विवादित भूमि पर सभी धर्म जातियों के आकर्षण का भव्य राष्ट्रीय स्मार्क का निर्माण करे और अयोध्या में ही अलग-अलग स्थानों पर भव्य राम मंदिर और भव्य समझौता मस्जिद का निर्माण करे’’।