पूर्व राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी ने बताया राज्यपाल का राजधर्म
कला रिपोर्टर, भोपाल
वरिष्ठ राजनेता और हरियाणा तथा त्रिपुरा के पूर्व राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी का कहना है कि राज्यपाल का राजधर्म संविधान का पालन करना है। संविधान में राज्यपाल के अधिकारों और कतर्व्यों के बारे में स्पष्ट उल्लेख किया गया है।
श्री सोलंकी कांग्रेस सांसद और विधिवेत्ता विवेक तन्खा के उस बयान पर मीडिया को प्रतिक्रिया दे रहे थे, जिसमें उन्होंने मप्र के राज्यपाल लालजी टंडन को राजधर्म का पालन करने की नसीहत दी है। मप्र में नगरीय निकायों के महापौर और अध्यक्ष के चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से कराए जाने के अध्यादेश को लेकर राज्य सरकार और राजभवन के बीच चल रहे कोल्डवार को लेकर श्री सोलंकी ने कहा कि राज्यपाल को संविधान ने तीन विकल्प दिए हैं। पहला, असहमत होने पर वह राज्य सरकार के अध्यादेश को स्पष्टीकरण मांगते हुए वापस भेज सकता है। दूसरा, राज्यपाल अध्यादेश को अपने पास लंबित रख सकता है, लंबित रखने की अवधि के बारे में संविधान में किसी समय सीमा का उल्लेख नहीं है। तीसरा, राज्यपाल उस बिल को राष्ट्रपति को भेज सकता है। पूर्व राज्यपाल श्री सोलंकी ने कहा कि राज्यपाल हेड आफ द स्टेट होता है जबकि सीएम हेड आफ गवर्मेंट होता है। इसलिए राज्यपाल जनता की बेहतरी के अनुसार काम करता है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में जनता सर्वोपरि है, इसलिए जनता द्वारा चुनाव कराना ज्यादा लोकतांत्रिक है।