दिल्ली सरकार की छोटे अंबानी को धमकी
नई दिल्ली। बिजली के मुद्दे पर दिल्ली की सत्ता पर काबिज होने वाली अरविंद केजरीवाल सरकार इस मुद्दे पर अपनी साख बनाए रखने की हर संभव कोशिश कर रही है। इसके लिए सरकार कई कड़े कदम भी उठा रही ताकि जनता के साथ किएगए चुनावी वादे पर खरी उतरी सके। इसी के चलते सरकार ने दिल्ली की बिजली सप्लाई के बड़े हिस्से का जिम्मा संभालने वाले रिलाएंस ग्रुप के मुखिया अनिल अंबानी को न सिर्फ अल्टीमेटम दिया है बल्कि मीटिंग के लिए भी तलब कर लिया है। गौर तलब है कि दिल्ली प्रदेश के बड़े हिस्से में बिजली वितरण की जिम्मेदारी बीएसईएस कंपनीके पास है जो रिलायंस एडीए ग्रुप की है।
आम आदमी पार्टी के ट्विटर हैंडल पर दी गई जानकारी के अनुसार दिल्ली सरकार के ऊर्जा मंत्री सत्येंद्र जैन ने अनिल अंबानी को चिट्ठी लिखकर अगले हफ़्ते मीटिंग के लिए बुलाया है। इस चिट्ठी में दिल्ली की बिगड़ती बिजली व्यवस्था पर नाराजगी जाहिर की गई है। उर्जा मंत्री ने छोटे अंबानी से उन चेतावनियों का भी जिक्र किया है जो सरकार पिछले एक साल में उनकी कंपनी को दे चुकी है।
ऊर्जा मंत्री ने लिखा है कि दिल्ली की पूर्ववर्ती सरकारों के साथ आपके अच्छे संबंध रहे हों लेकिन वर्तमान सरकार जनता के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है, इसलिए जनहित में सरकार कड़ी कार्रवाई करने में भी नहीं हिचकेगी।
चिट्ठी के अनुसार, 14 साल पहले 2002 में दिल्ली के दो तिहाई बिजली वितरण का ठेका इस कंपनी को दिया गया था और उस समय कंपनी ने वादा किया था कि वो बिजली की दरों में कमी लाएगी और विश्वस्तरीय बिजली वितरण व्यवस्था का बंदोबस्त करेगी, लेकिन कंपनी ऐसा करने में असफल रही है। कैग की रिपोर्ट में भी आर्थिक अनियमितता का ज़िक्र किया गया है। ये भी आरोप लगे हैं कि कंपनी अपने आर्थिक संसाधनों को दूसरी कंपनियों में स्थानांतरित कर रही है। चिट्ठी में ऊर्जा मंत्री ने कहा है कि कंपनियों के अधिकारियों को लगातार चेतावनी दी गई लेकिन उन्होंने या तो इसे नज़रअंदाज़ किया या वो इन गड़बड़ियों को दुरुस्त करने के काबिल ही नहीं हैं।
ऊर्जा मंत्री की इस धमकी भरे अंदाज वाली चिट्ठी के बाद सिय़ासी और कारोबारी गलियारों में चर्चा गर्मा गई है। कांग्रेस इस मुद्दे पर अंबानी के पाले में खड़ी नजर आ रही है, क्योंकि बिजली वितरण का जिम्मा रिलाएंस को देने में कांग्रेस सरकार की बड़ी भूमिका रही है। अरविंद केजरीवाल कांग्रेस की 15 साल पुरानी शीला दीक्षित सरकार को ही सत्ता से बाहर कर दिल्ली की सत्ता पर काबिज हुए थे। अब कहीं यह लड़ाई सरकार और एक औद्योगिक घराने की लड़ाई के बाज सियासी लडाई न बन जाए।