दांव पर है चार्ल्स कोरिया की अदभुत कल्पना भारत भवन का रखरखाव
सुमन त्रिपाठी
भोपाल, 5 अक्टूबर। की दुनिया में देश-विदेश में ख्यातिलब्ध भारत भवन सिर्फ अपने प्रतिष्ठापूर्ण आयोजनों भर के लिए नहीं बल्कि अपनी खूबसूरत इमारत के लिए भी जाना जाता है। प्रदेश में कला एवं संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए सरकार एक तरफ तो तमाम दावे और वादे कर रही है और दूसरी ओर कलाओं के प्रमुख केंद्र भारत भवन के बजट में कमी की जा रही है। मशहूर आर्किटेक्ट चार्ल्स कोरिया द्वारा डिजाइन इस भवन की खूबसूरती अब धूमिल हो सकती है, क्योंकि सरकार ने भारत भवन के सालाना बजट में भारी कटौती करते हुए इसके रख-रखाव का बजट शून्य कर दिया है। बजट के अभाव में इस विशाल और अनोखे भवन के रखरखाव पर असर पड़ना तय है।
बहुकला केंद्र भारत भवन कला के क्षेत्र में पूरे देश में अलग पहचान रखता है। इसलिए लोग यहां होने वाले कार्यक्रमों के साथ-साथ भारत भवन को देखने के लिए भी लालयित होते हैं। यही कारण है कि कार्यक्रम न होने पर भी भारत भवन में दर्शकों की भीड़ बनी रहती है। भोपाल आने वाला, थोड़ी सी भी सांस्कृतिक अभिरुचि वाला पर्यटक एक बार भारत भवन जरूर देखना चाहता है। वह यहां लगी स्थायी प्रदर्शनियों के साथ साथ भारत भवन की अनोखी डिजाइन वाली इमारत को भी बड़े अचरज से देखता है। दुनिया के मशहूर आर्किटेक्ट चार्ल्स कोरिया के डिजाइन पर बने भारत भवन की इमारत वास्तु कला के साथ-साथ वैज्ञानिक तरीके से भवन निर्माण का नायाब नमूना है। इसलिए कला पारखियों के साथ साथ आर्किटेक्ट के छात्र भी इसे देखने आते हैं। यही कारण है कि भारत भवन का प्रशासन इस भवन के रख-रखाव पर विशेष ध्यान देता है। अब बजट की कमी के चलते इस पर असर पड़ना तय है।
भारत भवन मध्यप्रदेश सरकार के संस्कृति विभाग का उपक्रम है। इसलिए इसका बजट भी संस्कृति विभाग के बजट में शामिल होता है। सरकार ने वित्तीय वर्ष 2019-20 में संस्कृति विभाग का बजट पिछले साल के करीब 262.76 करोड़ से कम करके करके 226.14 करोड़ कर दिया है। इस कटौती का असर भारत भवन के बजट पर भी पड़ा है। भारत भवन के बजट में इस बार करीब 2.25 करोड़ की कमी की गई है। इसका असर लगभग सभी मदों पर पड़ा है। भारत भवन की प्रशासनिक व्यवस्था, रंग मंडल की स्थापना, भारत भवन में कला ग्राम की स्थापना जैसी मदों में बजट काफी कम किया गया है। भारत भवन के रख-रखाव का बजट तो आवंटित ही नहीं है। वित्तीय वर्ष 2017-18 में इस मद में करीब 94 लाख का बजट आवंटित किया गया था। पिछले साल इस मद में बजट नहीं दिया गया था और इस साल भी इस मद में कोई बजट नहीं दिया गया है। एक अनुमान के मुताबिक चार्ल्स कोरिया की अद्भुत कल्पना वाली इस इमारत के रख-रखाव पर सलाना करीब 30 लाख रुपए खर्च होते हैं। भवन की छतपर खूबसूरत बगीचा विकसित है। उसी के नीचे रंगमंडल, रंगदीर्घा, सभागार आदि हैं। रख-रखाव में थोड़ी सी भी लापरवाही सीपेज जैसी बड़ी समस्या खड़ी कर सकती है। इससे न सिर्फ इस भवन की नायाब खूबसूरती नष्ट होगी बल्कि रंगदीर्घा में सहेजी गई अमूल्य निधियां भी नष्ट हो सकती हैं। इसलिए इमारत के रख-रखाव पर विशेष ध्यान दिया जाता है। बजट की कमी चार्ल्स कोरिया की इस अद्भुत कल्पना भारत भवन की शान में बड़ी गुस्ताखी कर सकती है।
पूरक बजट का इंतजार
रख-रखाव का बजट शून्य होने पर हमने शासन को लिख कर इससे अवगत कराया है। शासन की तरफ से पूरक बजट में इसे दिए जाने का आश्वासन दिया गया है।
प्रेम शंकर शुक्ला, मुख्य प्रशासनिक अधिकारी