जवान होने की चाहत में लाइन लग गई जवानी की मशीन के आगे

Aug 26, 2019

खरी खरी संवाददाता

भोपाल। क्या कभी ऐसी मशीन हो सकती है जो बूढ़ों को जवान कर दे, ऐसा सुना भी नहीं लेकिन ऐसा हो गया। बुजुर्ग कबाड़ी को ऐसी मशीन मिल जाती है जिसमें  उनकी बेगम अंडों को उसके ऊपर रख देती हैं लेकिन वह गायब हो जाते हैं। उन्हें ढूंढने कल्लन मियां की बेगम मशीन में घुस जाती हैं और जब निकलती हैं तब वह एकदम बदली हुई निकलती हैं फिर जो होता है उन दृश्यों को हास्य नाटक ‘एक मशीन जवानी की’ का मंचन शहीद भवन के सभागार में किया गया। एस.एन. नौटियाल द्वारा लिखित यह नाटक एकता शासकीय कर्मचारी रंगमंच एकता के अंतर्गत सुमित द्विवैदी के निर्देशन में मंचित किया गया।

नाटक की कहानी-

लगभग डेढ घंटे के इस हास्य नाटक की कहानी के अनुसार फाकामस्त बुजुर्ग कल्लन मियां पेशे से कबाड़ी होते हैं जिन्हें एक अन्य कबाड़ी सामान छोटा करने की मशीन कह कर बेच देता है। कल्लन कबाड़ी अधिक आमदनी की उम्मीद से उसे घर लेकर आ जाते हैं। एक दृश्य में दिखाया गया कि कल्लन की बीबी उस मशीन पर अंडे रख कर भूल जाती है। अंडों के गायब हो जाने पर वह उन्हें ढूंढने मशीन के अंदर जाती है। 50-55 की हुस्नआरा मशीन में से 18 साल की होकर निकलती है। इसके बाद अनेक हास्यास्पद दृश्य पैदा होते हैं।

बदल गई कल्लन मियां की किस्मत-

हुस्नआरा की बेटी का बॉयफ्रेंड हुस्न आरा को ज्यादा जवान देख बेटी की बजाय उससे प्यार करने लगता है। कल्लन को कर्ज देने वाला रामभरोसे कहता है कि उसकी मोटी बीबी को भी उस मशीन का एक फेरा लगवा दे ताकि वह भी कम उम्र की हो जाए, जिसके बदले वह पूरा कर्ज माफ कर देगा। एक अन्य दृश्य में दिखाया गया कि एक मंत्री को जब अपने ड्राइवर से इस मशीन के बारे में पता चलता है, वह खबर पहुंचाता है कि उसे भी इस मशीन का एक फेरा लगवा दिया जाए जिसके बदले कल्लन मियां जो चाहेंगे वह देंगे। इस तरह जवानी की मशीन चल पड़ती है और उनके दरवाजे पर जवां होने के ख्वाईशमंदों की लाइन लग जाती है। खूब धन आने से उनका छोटा सा घर एक बड़े घर में तब्दील हो जाता है। जी.एस.टी वाले भी आ जाते हैं, उन्हें देख कल्लन मियां कहते हैं अभी तो मैंने अच्छे से कमाई भी नहीं की और यह भी आ गए। हुस्नआरा मशीन के अन्दर मेकअप का सामान रख भीड़ से बात करने लगती है।  बाद में वह उस सामान को उठाने के लिए पुन: मशीन के अन्दर जाती है और जब वह लौटती है तो वही पुरानी 50-55 की होकर निकलती है। इसी के साथ इस हास्य नाटक का समापन होता है। नाटक के दृश्यों के साथ मिलते-जुलते 3-4 गानों को भी दृश्यांकित किया गया। मंच सज्जा भी कबाड़ के सामान के साथ नाटक के अनुसार ही था।

मंच पर-इस नाटक में अभिनय करने वालों में कल्लन के गेटअप में अखिलेश वर्मा, हुस्ना बनी नीलिमा रावत, कुलसुम- आशी विश्वकर्मा, अजीम- संकल्प कुमार, मिर्जा- खालिद हसन व प्रोफेसर बने योगेश रावत मुख्य रहे। इन्होंने अपने अभिनय से दर्शकों को खूब हंसाया।