चौबीस पेंटिंग में कैनवास पर उकेर दिया कालीदास का समूचा मेघदूतम
खरी खरी संवाददाता
भोपाल। चित्रकला को मनोयोग से समर्पित चित्रकार रघुबीर अंबर ने महाकवि कालीदास की अमर कृति मेघदूतम को 24 पेंटिंग्स के जरिए कैनवास पर उकेर दिया और एक ही पेंटिंग में 21 दृश्यों के जरिए शकुंतला की पूरी जीवन गाथा रंग डाली। उनके 28 चित्रों की एकल प्रदर्शनी भोपाल की स्वराज कला वीथि में तीन दिन तक कला प्रेमियों का मन मोहती रही।
स्वराज वीथि में तीन दिन चली रघुबीर अंबर की एकल चित्रप्रदशर्नी देखने वालों के मानस पटल पर अंकित हो गई। उन्होंने जिस खूबसूरती के साथ मेघदूतम को कैनवास पर उकेरा है, वह अद्भुत है। उन्होंने मेघदूतम के 275 श्लोकों के जरिए पूरी गाथा चित्रित की है। उन्होंने इसके लिए पहले श्लोकों का हिंदी अनुवाद किया, उसके बाद उन्हें चित्रों का रूप दिया। मेघदूतम में एक यक्ष की कथा है जिसे कुबेर अलकापुरी से निकाल देता है। निष्कासित यक्ष रामगिरि पर्वत पर निवास करता है। वर्षा ऋतु में उसे अपनी प्रेमिका की याद सताने लगती है। विरह वेदना से आहत यक्ष प्रेमिका तक अपना संदेश दूत के माध्यम से भेजने का निश्चय करता है। यक्ष को कोई संदेशवाहक भी नहीं मिलता है तो वह मेघों (बादलों) के माध्यम से अपना संदेश विरहाकुल प्रेमिका तक भेजता है। महाकवि कालीदास ने इस कल्पना को लेकर खंड काव्य रच डाला है। अब रघुबीर अंबर ने उस खंड काव्य को कूची और रंगों के जरिए कैनवास पर उतार दिया। अंबर बताते हैं कि उन्होंने मेघदूतम को इस तरह साकार करने का सपना युवा अवस्था में 1963 में फाइन आर्टस की पढ़ाई करते समय देखा था। उनके शिक्षकों का मन था कि मेघदूतम पर कुछ काम होना चाहिए। इसलिए अंबर ने चित्र बनाने की कल्पना की। बाद में नौकरी लग जाने के बाद वे इस सपने को भूल गए। लेकिन 1979-80 में मेघूदूतम के श्लोकों का हिंदी अनुवाद कर डाला। वे जब 2005 में रिटायर हुए तो एक बार फिर सपना मन में जाग उठा और कूची रंग लेकर जुट गए काम में। आखिर सात साल की मेहनत में अपने सपने को पूरा कर डाला। उन्होंने हर पेटिंग को बहुत बारीकी से बनाया है। चित्र के साथ श्लोक भी लिखे हैं। कालिदास की वाणी के हर भाव को बखूबी दर्शाया गया हैं। चित्रों में मानव आकृतियों की भंगिमाएं उनकी बारीक दृष्टि की परिचायक है। चित्रों के लिए शुद्ध प्राकृतिक रंगो का इस्तेमाल किया गया है, जिसमें लहसुन के छिलके, गुलमोहर के पत्ते, गुलाब का उपयोग किया गया है। मेघदूत आधारित 24 पेंटिग के साथ ही प्रदर्शित शकुंतला और रूप यौवना पेंटिग ने दर्शकों का दिल जीत लिया। पेंटिग ऐसी लगती है मानों वह बातें कर रही हो। इस पेंटिग में 21 दृश्यों के जरिए शंकुलता की प्रेम कहानी और शादी होने तक की घटना का जिक्र है। ऋषि के आश्रम में राजा दुष्यंत की शकुंतला से मुलाकात, नहाने के दौरान राजा दुष्यंत द्वारा शंकुलता को निशानी के तौर पर दी गयी अंगूठी के गुमने, शकुंतला के राजा के दरबार में पेश होने और बिना अंगूठी राजा द्वारा उन्हें नहीं पहचान पाने तथा केवट के अंगूठी के साथ राज दरबार पहुंचने और अंत में दोनो के विवाह की घटना को चित्रों के माध्यम से प्रदर्शित किया गया।