चच्चा छक्कन के एक्शन में आने से दर्शक हो गए लोटपोट

Apr 25, 2019

 

खरी खरी संवाददाता

 भोपाल।पढ़े लिखे चच्चा छक्कन अपने आगे सभी को गंवार, अनपढ़ समझते हैं और ऐसा चच्चा छक्कन ही नहीं समाज में कई ऐसे चच्चा छक्कन हैं जिनसे आए दिन हर किसी का मिलना हो ही जाता है। उनकी पढ़ाई का खामियाजा बीबी, बच्चों, पड़ौसियों और समाज को उनके तर्जुबों से भुगतना पड़ता है। बेगम कुदसिया जैदीद्वारा लिखित व प्रोफेसर दानिश इकबाल और डॉ. सईद आलम द्वारा निर्देशित नाटक ‘चच्चा छक्कन इन एक्शन’ का मंचन वुधवार को हुआ। टैगोर कला एवं संस्कृति केंद्र, रवींद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय द्वारा प्रायोजित रविंद्र भवन के सभागार में इफ्तेखार 29वां स्मृति नाट्य एवं सम्मान समारोह के अंतर्गत प्येरो ट्रुप नई दिल्ली द्वारा प्रस्तुत किया गया।

कुछ हटकर रही कहानी-

‘ये चार मोजे हैं, दो जोड़ी मोजे नहीं। आप तो ऐेसे ही कह रहीं हैं... ऐसे तो आप छह बच्चों को तीन जोड़ी बच्चे कहेंगी।’ यह डायलाग है चाचा छक्कन का। लखनऊ से पढ़े लिखे छक्कन चाचा खुद को सबसे श्रेष्ठ समझते हैं और यही चाचा छक्कन जब रविंद्र भवन के मंच पर उतरे तो दर्शक हंसते-हंसते बेहाल हो गए। बुधवार को मंचित किए गए नाटक में चाचा छक्कन की इसी श्रेष्ठता ने सभी का खूब मनोरंजन किया। पेरॉज ट्रुप के डॉ. सईद आलम और प्रो. दानिश इकबाल के लिखे और डॉ. सईद इकबाल का निर्देशित यह नाटक एक ऐसे शख्स की कहानी है जो कि लखनऊ में पैदा हुआ हैं और अलीगढ़ में तालीम हासिल की है। वह खुद को सबसे ज्यादा बुद्धिमान समझते हैं। उनकी आदत है कि वह हरेक के काम में टांग अड़ाते हैं। हालांकि जो उनका काम होता है वह उसे भी करते हैं और जो नहीं होता उसे भी करते हैं। उनकी इन आदतों से घर के अलावा आस-पास व मिलने-जुलने वाले भी परेशान रहते हैं।  इस नाटक के एक दृश्य में दिखाया गया कि चच्चा रात में 3 बजे उठ जाते हैं, ऐसे में उनका मानना है कि सभी को उठ जाना चाहिए, बाजार भी खुल जाना चाहिए। इतना ही नहीं, यदि चाचा सुबह तीन बजे जाग जाते हैं तो उनको लगता है कि पूरे शहर को जाग जाना चाहिए। इसी चक्कर में चाचा का अपने घर में झगड़ा होता रहता है। दूसरे दृश्य में दिखाया गया कि उनके एक बच्चे को बुखार आ जाने पर उसकी तीमारदारी पत्नी नहीं बल्कि स्वयं करें। ऐसा करते हुए वे बच्चे को गलत दवाई पिला देते हैं। दूध में पान की पीक गिर जाने पर चाय के रूप में बच्चे को पिलाने के दृश्य ने हाल में बैठे दर्शकों को ठहाके लगाने पर मजबूर कर दिया।

सोने के बटन लगा कुर्ता जब धोबिन के पास चला गया-

अगले दृश्य में उनका मानना है कि धोबिन को कपड़े क्या पत्नी ही दे सकती है वे स्वयं नहीं। ऐसा सोच वे धोबन के आने पर उसे कपड़े देते हैं। धोबिन कहती है कि उनके 19 कपड़े हैं तो चाचा कहते हैं कि 21 कपड़े हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि धोबिन दो जोड़ी मोजे बताती है और चाचा कहते हैं कि चार मोजे दिए हैं। अत: वे धोबिन के घर भाग कर जाते हैं, जहां ताला पड़ा देख अपने आप में तय कर लेते हैं कि धोबिन सोने के बटन का कुरता लेकर नेपाल आदि किसी देश में भाग गई है। घर लौटने पर देखते हैं कि धोबिन वह कुर्ता वापस करने वहां आई हुई है, इसी के साथ नाटक का समापन होता है। 

मंच पर-

इस नाटक में डॉ. सईद आलम ने शानदार ढंग से चाचा छक्कन की भूमिका निभाई है। अन्य कलाकारों में चाची के गेटअप में पूनम भूटानी, मियां मुच्छड़- मनीष सिंह, धोबन- जसकिरण चौपड़ा, सैयद वकील अशरफ- हेमन्ग कपासिया, सैयद शकील- आर्यन प्रताप सिंह, अशरफ व इमामी के गेटअप में राहुल का अभिनय मंजा हुआ रहा। इन कलाकारों के अलावा अन्य कलाकारों में सैयद अलिफ अशरफ- साहिल जैन, सैयद खलील अशरफ- हेमन्द सोनी, बन्नो- भूमि निकहत सिराज व सैयद नबील- गणेश शर्मा व अशरफ के अभिनय ने भी दर्शकों को खूब हंसाया।