खर्चे कम करने और आमदनी बढा़ने रेलवे बंद कर सकता है कुछ ट्रेनें

Oct 01, 2019

खरीखरी डेस्क

नई दिल्ली, 1 अक्टूबर। वित्तीय संकट का सामना कर रही भारतीय रेलवे साफ सफाई के लिए प्रायोजक खोजने और घाटे में चलने वाली ट्रेनों को बंद करने जैसे उपायों पर विचार कर रही है। यह सुझाव रेलवे बोर्ड के सदस्यों की ओर से आया है।

रेलवे बोर्ड को खर्च और आमदनी के बीच सामंजस्य बैठाने के लिए करीब तीस हजार करोड़ की नगदी की जरूरत महसूस हो रही है। ऐसे में बचत बढाने और खर्चे कम करने के तमाम उपायों पर विचार हो रहा है। बोर्ड की ओर से 17 जोनल यूनिट्स को हाल ही में भेजे एक लेटर में कहा गया है कि, ‘खर्च को कम करने और आमदनी बढ़ाने के नजरिए से रेलवे बोर्ड ने कई तात्कालिक और अल्पकालिक उपायों पर विचार किया जिन पर कार्य करने की जरुरत है।’ ताजा आकड़ों से पता चलता है कि रेलवे पहले ही अपने खर्च की समीक्षा कर चुका है। इसमें पता चला है कि रेलवे की करीब 3.4 फीसदी कमाई बढ़ी है जबकि खर्चों में 9 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन वीके यादव ने  बताया, ‘जुलाई तक हमारे खर्च और कमाई के आकंड़े ठीक थे। मगर अगस्त में हमारी कमाई में कमी आई क्योंकि अभूतपूर्व बाढ़ से कोयले के लदान पर फर्क पड़ा। हालांकि हम हालात से निपटने में सक्षम है और स्थिति को नियंत्रण में बनाए रखने के लिए तात्कालिक उपाय लागू कर रहे हैं।’

रेलवे बोर्ड में जो प्रस्तावित उपाय बताए हैं उनमें स्पॉन्सरशिप और कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी के जरिए ट्रेनों और स्टेशनों की सफाई करवाएं, पचास फीसदी से कम भीड़ वाली गाड़ियों की समीक्षा करें और उनका संचालन कम करें या दूसरी ट्रेनों से मर्ज करें, डीजल बचाने के लिए 30 साल से पुराने डीजल इंजनों को रिटायर्ड करें, बेहतर कमाई के लिए रखरखाव और संचालन कार्यों को बेहतर करें। वीके यादव ने कहा, ‘हमने ईंधन की खपत को कम करने और इन्वेंट्री की लागत को कम करने के लिए रणनीति बनाई है, जिससे कमाई में बढ़ोतरी हो। जोनल को गैर-किराया राजस्व बढ़ाने के लिए पूरी छूट दी गई है। हमें उम्मीद है कि साल के आखिर तक अपने बजट टारगेट का मिलान करने में सक्षम होंगे। हालांकि तत्काल में हमारा पूरा ध्यान पांच हजार करोड़ रुपए की बचत करना है।’