कैसे बना दुनिया में धूम मचाने वाला आरआरआर का नाटू नाटू

Mar 16, 2023

 

खरी खरी डेस्क

फिल्म, गीत, संगीत में थोड़ी भी रुचि रखने वाले किसी भी उम्र के व्यक्ति के दिलोदिमाग पर इन दिनों नाटू नाटू गाना छाया हुआ है। तेलुगू फ़िल्म 'आरआरआर' के इस मशहूर गाने को 'ओरिजिल सॉन्ग' की श्रेणी में ऑस्कर अवॉर्ड मिला है। इसके बाद तो इसकी धूम देश की सीमाएं लांघ कर मच गई।

'नाटू-नाटू' गाने को एनटीआर-रामचरण के डांस और एस.एस. राजामौली के ट्रीटमेंट की वजह से एक नई उड़ान मिली है। इस गाने को पर्दे पर उतारने से पहले फ़िल्म के डायरेक्टर एस.एस. राजामौली, म्यूज़िक डायरेक्टर किरावानी और गीतकार चंद्रबोस के दिमाग़ में बहुत कवायद हुई।

एस.एस. राजामौली के दिमाग़ में ये बात थी कि 'एनटीआर जूनियर और राम चरण दोनों तेलुगू फ़िल्म इंडस्ट्री के बेहतरीन डांसर हैं। अपने-अपने तरीके से अब तक दोनों कई बार अपनी काबिलियत साबित कर चुके हैं। अगर दोनों को एक साथ डांस करते हुए दिखाया जाए तो शायद अच्छा रहेगा। उन्हें साथ-साथ परफ़ॉर्म करते देखना दर्शकों के आनंद और एहसास को एक नए लेवल पर ले जा सकता है। राजामौली ने अपना ये आइडिया फ़िल्म के संगीतकार किरावानी से साझा किया और कहा कि मैं कोई ऐसा गाना चाहता हूं जिसमें दोनों डांसर एक-दूसरे से होड़ करते हुए डांस करें। फिर गाना लिखने के लिए किरावानी ने मौजूदा दौर के तेलुगू फ़िल्म गीतकारों में से अपने पसंदीदा गीतकार चंद्रबोस को चुना। किरावानी ने बोस से कहा, ''गाना ऐसा होना चाहिए कि दोनों लीड एक्टर्स इस पर अपने डांस से एक जोश और उत्साह पैदा कर दें। फ़िल्म 1920 में होने वाली घटनाओं के इर्द-गिर्द घूमती है, इसलिए ये देख लीजिएगा कि शब्द उसी दौर के हों। राजामौली, किरावानी और चंद्रबोस ने इस गाने पर 17 जनवरी 2020 से काम करना शुरू किया था। काम हैदराबाद में एल्यूमीनियम फ़ैक्ट्री में 'आरआरआर' के दफ़्तर से शुरू हुआ था। चंद्रबोस जैसे ही अपनी कार में बैठे उनके दिमाग़ में राजामौली और किरावानी के निर्देश घूमने लगे। कार एल्यूमीनियम फ़ैक्ट्री से जुबिली हिल्स की ओर दौड़ी चली जा रही थी। उनके हाथ स्टीयरिंग पर थे, लेकिन दिमाग़ गाने पर लगा था। तभी उनके दिमाग़ में गाने की हुक लाइन 'नाटू-नाटू' कौंधी।इस तरह की कोई धुन अभी तक नहीं बनी थी. उन्होंने इसे '6-8 ताकिता, ताकिता तीसरा गति' में बुनना शुरू किया। करीब 25 साल से भी पहले किरावानी ने चंद्रबोस को सलाह दी थी कि कोई भी गाना जिससे लोगों में जोश भरना हो उसे इस गति में बुनो। नाटू-नाटू ऐसा गाना है, जिसमें शीर्ष अभिनेता अपने नृत्य कौशल का प्रदर्शन करते हैं। इसलिए चंद्रबोस ने इसे इस गति में बनाया। दो दिनों में उन्होंने गाने के तीन मुखड़े बनाए और फिर किरावानी से मिले।उन्होंने अपना पसंदीदा छंद आखिर में सुनाया। इसके पहले दो और छंद सुनाए गए। चंद्रबोस के इन पसंदीदा मुखड़ों को किरावानी ने भी पसंद किया और इस तरह ये गाना फ़ाइनल हो गया।