ऐतिहासिक क्लीन स्वीप भी नहीं दिला पाएगा एमपी को सरकार में बड़ी हिस्सेदारी
खरी खरी संवाददाता
भोपाल, 6 जून। मध्यप्रदेश के मतदाताओं ने इस बार लोकसभा में पूरी तरह से बीजेपी का साथ दिया और पहली बार बीजेपी क्लीन स्वीप कर सभी सीटें जीतने में सफल रही। इसके बाद केंद्र की सत्ता में मप्र की हिस्सेदारी पिछले सालों की तुलना में बढ़ने के बजाय घटना की संभावना अधिक है। इसका बड़ा कारण एनडीए की मुख्य घटक बीजेपी की सीटें पूर्ण बहुमत से कम हो जाना है और इसके चलते उसे अपने सहयोगी दलों की शर्तों पर काम करना होगा। बीजेपी फिलहाल सरकार बनाने और चलाने की मजबूरी के चलते एनडीए के घटक दलों की बात ज्यादा मानेगी और अपने लोगों को समझाइश देकर फिलहाल शांत कर दिया जाएगा।
एनडीए के सत्तारूढ़ होने के बाद भी मध्यप्रदेश की सत्ता में हिस्सेदारी को लेकर संशय बना हुआ है। एनडीए की मुख्य घटक बीजेपी मध्यप्रदेश में सत्तारूढ़ है। पार्टी ने मध्यप्रदेश में क्लीन स्वीप किया है। वीडी शर्मा, शिवराज सिंह चौहान, ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे दिग्गज चुनाव जीतकर आए हैं। जातीय समीकरणों के चलते एससी, एसटी, ओबीसी के से भी सांसद बने हैं। इसलिए उम्मीदें अधिक हैं लेकिन भाजपा हाईकमान की टाप प्रायरटी पर एनडीए की सरकार बनाना और चलाना है। इसलिए मध्यप्रदेश भाजपा की सारी उम्मीदें हासिए पर ऱखी जाएंगी। पहले मोदी कैबिनेट में मध्य प्रदेश से पांच मंत्री हुआ करते थे लेकिन अब संभावना है कि जोरदार परिणाम देने के बाद भी मध्य प्रदेश को केंद्रीय मंत्रिमंडल में अधिकतम तीन-चार पद मिल सकते हैं। इसमें भी जातिगत और भौगोलिक संतुलन बनाने पर पार्टी ध्यान देगी। संभावना है कि नई सरकार में आदिवासी वर्ग से नए चेहरे को आगे बढ़ाया जा सकता है। वजह यह है कि पार्टी आदिवासी वर्ग में अपनी जड़ें गहरी करने में जुटी है।
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का उपयोग संगठन में किया जाएगा या फिर सत्ता में इस पर निर्णय होना भी बाकी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि मैं शिवराज जी को दिल्ली ले जाना चाहता हूं। ऐसे में, उन्हें अब राष्ट्रीय राजनीति में बड़ा ओहदा मिलने की संभावना प्रबल दिखने लगी हैं। उनके समर्थक ज्यादातर अनुमान यही लगा रहे हैं कि शिवराज को मोदी कैबिनेट में अहम विभाग मिलेगा। मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2023 से पहले नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल के भी केंद्रीय मंत्री थे। इनके अलावा फग्गन सिंह कुलस्ते, वीरेंद्र खटीक और ज्योतिरादित्य सिंधिया केंद्र सरकार में अब तक मंत्री हैं। इस बार संभावना है कि कुलस्ते की जगह किसी नए आदिवासी चेहरे को मोदी सरकार में अवसर मिले। प्रदेश से तीन आदिवासी महिलाएं लोकसभा चुनाव जीतकर संसद में पहुंची हैं। इनमें शहडोल से हिमाद्री सिंह और धार से सावित्री सिंह के अलावा अनीता नागर चौहान शामिल हैं। इनमें हिमाद्री या अनीता को मौका दिया जा सकता है। पार्टी नेताओं का मानना है कि आदिवासी वर्ग में अब नया नेतृत्व तैयार करना आवश्यक है इसलिए किसी महिला को मंत्री बनाने से दो बात बन जाएगी। पहला आदिवासी वर्ग में नया नेतृत्व खड़ा कर लिया जाएगा और दूसरा महिला को कोटा भी बढ़ जाएगा।ज्योतिरादित्य सिंधिया का कैबिनेट में बने रहना तय माना जा रहा है। वहीं विष्णु दत्त शर्मा को भी कैबिनेट में रखा जा सकता है। उनको कैबिनेट में स्थान नहीं मिलता है तो कुछ दिनों तक वे भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के पद पर ही बने रहेंगे। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लिए भी केंद्र में भूमिका तय होगी। ऐसी संभावना है कि उन्हें कैबिनेट अथवा लोकसभा अध्यक्ष पद पर भी बिठाया जा सकता है। केंद्र में लंबे समय तक मंत्री रहे थावरचंद गेहलौत के बाद से वीरेंद्र खटीक को छोड़कर मध्य प्रदेश से कोई भी दलित चेहरा केंद्रीय कैबिनेट में नहीं है। ऐसे में अनुसूचित जाति वर्ग से महेंद्र सिंह सोलंकी को भी स्थान देकर नई पीढ़ी को सामने लाया जा सकता है। सोलंकी न्यायिक सेवा में रहे हैं, ऐसे में उन्हें प्रशासनिक कामकाज का अनुभव भी है। केंद्रीय मंत्री रहे फग्गन सिंह कुलस्ते, वीरेंद्र खटीक लाइन में तो हैं ही, महिला कोटे से शहडोल सांसद हिमाद्रि सिंह और धार सांसद सावित्री ठाकुर का नाम भी मंत्री पद के लिए चर्चा में है। सतना से पांचवीं बार सांसद बने गणेश सिंह भी दौड़ में शामिल हैं।
मध्य प्रदेश कांग्रेस के चाणक्य माने जाने वाले दिग्विजय सिंह को राजगढ़ लोकसभा से हराने वाले रोडमल नागर का दावा भी मजबूत है. यदि मध्य प्रदेश में कांग्रेस को कमजोर करना है तो दिग्विजय सिंह को हराने वाले नेता को मोदी कैबिनेट में जगह देनी चाहिए। मध्य प्रदेश ने जिस तरह का प्रदर्शन भारतीय जनता पार्टी ने किया है उससे यह तो स्पष्ट है कि इसका पुरस्कार मध्य प्रदेश को जरूर मिलना चाहिए और मोदी कैबिनेट में ज्यादा से ज्यादा लोगों को जगह मिलनी चाहिए। पिछले कार्यकाल में मध्य प्रदेश से प्रहलाद सिंह पटेल, फग्गन सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया, नरेंद्र तोमर और वीरेंद्र खटीक मंत्री थे, अब देखना है इस बार मध्य प्रदेश से मोदी कैबिनेट में किस-किस को जगह मिलती है।