एमपी में बिजली अभी भी सियासी मुद्दा, अघोषित कटौती से सहमी सरकार
खरी खरी संवाददाता
भोपाल, 22 अप्रैल। लगभग पंद्रह साल पहले मध्यप्रदेश में सत्ता बदलने का सबसे बड़ा कारण बनी बिजली आज भी मध्यप्रदेश में सियासी मुद्दा बनी है। इसलिए प्रदेश में अघोषित बिजली कटौती ने सरकार के माथे पर पसीना ला दिया है। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने चुनावी व्यस्तता के बीच बिजली कटौती की न सिर्फ रिपोर्ट तलब की बल्कि इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों कर्मचारियों पर भी कार्रवाई के निर्देश दिए। उनके निर्देश पर मुख्य सचिव एस आर मोहंती ने बिजली विभाग के कई अफसरों पर कार्रवाई कर दी।
अघोषित बिजली कटौती के चलते राज्य सरकार अभी तक 415 इंजीनियर और कर्मचारियों पर कार्रवाई कर चुकी है। अब तक 11 एग्जीक्यूटिव इंजीनियर, 12 असिस्टेंट इंजीनियर और 50 जूनियर इंजीनियरों समेत 415 कर्मचारियों पर कार्रवाई की गई है। जिसमें से 223 ऑपरेटरों (आउट सोर्स) को तो टर्मिनेट कर दिया गया है। अघोषित बिजली कटौती को लेकर कमलनाथ सरकार काफी सख्ती बरत रही है जिसके चलते ये बड़ी कार्रवाई की गई है। सरकार ने रविवार को इसी मामले में होशंगाबाद-हरदा जिले के 5 लाइनमैन और 9 आउटसोर्स कर्मचारियों पर कार्रवाई की।
वहीं बिजली कंपनी के सहायक प्रबंधक गौरव चावड़ा ने शिवपुर (होशंगाबाद) पुलिस थाने में शिकायत की है कि 20 अप्रैल की रात कजली क्षेत्र में रात 8 बजे गोविंद नामक किसान ने लाइन पर तार डालकर फॉल्ट पैदा किया। इसकी वजह से भैंसादेह में आधा घंटे बिजली गुल रही।
मुख्य सचिव एसआर मोहंती ने इस मामले में पुलिस महानिदेशक वीके सिंह से बात की और कहा कि भोपाल, राजगढ़ और आष्टा में इस तरह की गड़बड़ियों की सूचना मिल रही है, इस पर निगरानी रखी जाए।
राज्य सरकार द्वारा अभी तक 6 एग्जीक्यूटिव इंजीनियर को सस्पेंड और पांच को नोटिस, सात असिस्टेंट इंजीनियर सस्पेंड, पांच को नोटिस, 32 जूनियर इंजीनियर सस्पेंड, 18 को नोटिस, 110 लाइनमेन सस्पेंड, 9 को नोटिस जारी किया है। जबकि 223 ऑपरेटरों को टर्मिनेट किया गया है।