एमपी के उच्च शिक्षा मंत्री कोलंबस को अमेरिका खोजने वाला नहीं मानते

Aug 16, 2024

खरी खरी संवाददाता

भोपाल, 16 अगस्त। मध्यप्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार इतिहास को बदलने की तैयारी में हैं। इसी कड़ी में उन्होंने अमेरिका की खोज कोलंब द्वारा किए जाने के ऐतिहासिक तथ्य को नकार दिया है। उनका दावा है कि अमेरिका तो पहले से ही था, भारत के व्यापारी कोलंबस से पहले वहां व्यापार करने जाते थे।

अभी तक इतिहास में पढ़ते आए हैं कि अमेरिका की खोज कोलंबस द्वारा की गई थी। लेकिन इतिहास में पढ़ाए जाने वाले इस तथ्य को मध्य प्रदेश की डॉ मोहन सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री डॉक्टर इंदर सिंह परमार ने गलत बताया है। इंदर सिंह परमार ने कहा कि 'अमेरिका की खोज कोलंबस ने नहीं की, बल्कि अमेरिका पहले से था। कोलंबस से पहले 11वीं शताब्दी में भारत के व्यापारी व्यापार करने जाते थे। वहां सूर्य के मंदिर का निर्माण उन्होंने कर दिया, अब ऐसे में हम भी कह सकते हैं कि भारतीय व्यापारियों ने अमेरिका की खोज की, लेकिन अमेरिका पहले से हैं, वहां हमारे लोग व्यापार करने जाते थे। उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि कोलंबस इटली का व्यापारी था और इसलिए इटालियन लोगों द्वारा गलत इतिहास पढ़ाया जाता रहा है। अब मध्य प्रदेश सरकार सही भारतीय ज्ञान परंपरा को छात्रों को पढ़ाएगी। इसीलिए मध्य प्रदेश के विश्वविधालय की लाइब्रेरी में भारतीय ज्ञान परंपरा को लेकर लिखी गई अच्छी पुस्तकों को रखा जाएगा। उच्च शिक्षा मंत्री ने आरएसएस से जुड़े लेखकों की किताबों को लेकर कांग्रेस नेताओं की आपत्ति पर कहा कि यदि छात्रों को सही इतिहास पढ़ाया जाए तो इसमें राहुल गांधी या कांग्रेस के किसी दूसरे नेता को आपत्ति क्यों है।

उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि 'अभी तक कई भ्रांतियां किताबों के माध्यम से पैदा की जाती रही है, लेकिन अब भारतीय ज्ञान परंपरा और दर्शन को सही परिप्रेक्ष्य में और सही तथ्यों के साथ छात्रों के सामने रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि सुरेश सोनी की किताब भारत में विज्ञान की उज्जवल परंपरा में लिखा गया है कि सेल का निर्माण ईशा से 900 साल पहले भारत में किया गया था। अब यदि यह तथ्य छात्रों को पढ़ाया जाता है, तो फिर राहुल गांधी, जीतू पटवारी और कांग्रेस के दूसरे नेताओं के पेट में दर्द क्यों हो रहा है? भारत के प्राचीन ऋषि कणक ने कण की सबसे पहले कल्पना की थी, यदि यह छात्रों को पढ़ाया जाए तो इसमें कांग्रेस को आपत्ति क्यों है'?

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