हिंदी विवि के अतिथि शिक्षकों का आंदोलन 10 दिन बाद खत्म
कला रिपोर्टर, भोपाल
भोपाल, 30 अगस्त। विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा मांगे माने जाने का लिखित आश्वासन दिए जाने के बाद अटल विहारी वाजपेई हिंदी विश्वविद्यालय में पिछले 10 दिनों से चल रहा है अतिथि शिक्षकों का आंदोलन गुरुवार को समाप्त हो गया। विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ बी भारती ने मांगों का निराकरण लिखित रूप से शिक्षकों को सौंपा और नियमित रूप से अध्यापन कार्य करने की अपील की। शिक्षकों ने सशर्त आंदोलन खत्म कर प्रबंधन को अपने निर्णय से अवगत करवा दिया।
आंदोलनकारियों ने सात सूत्री मांग पत्र विश्व विद्यालय प्रशासन को सौंपा था। इस मांग पत्र के हर बिंदु का जवाब विवि के कुलपति की ओर से दिया गया है। विवि प्रशासन का कहना है कि यूजीसी और मप्र शासन के नियमों के तहत मांगे पूरी करने का हर संभव प्रयास विवि द्वारा किया जाएगा। विवि के स्तर पर हल हो सकने वाली मांगों का त्वरित निराकरण किया जाएगा। अतिथि शिक्षकों की मांग है कि जुलाई माह में हुई मानदेय कटौती का कारण एवं नियम स्पष्ट किया जाए। काटे गए मानदेय का भुगतान तत्काल किया जाए। यूजीसी अथवा उच्च शिक्षा के अनुसार मानदेय का निर्धारण किया जाए। म.प्र. शासन के उच्च शिक्षा विभाग ने 1500 रुपए कार्य दिवस और यूजीसी ने 50 हजार रु. प्रति माह निर्धारित किया है। इनके अतिरिक्त कोई नियम विश्वविद्यालय द्वारा माना जा रहा है तो स्पष्ट किया जाए। मांग पत्र में कहा गया है कि सितंबर 2016 में मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग द्वारा सभी प्रक्रिया पूर्ण करके, साथ ही अनुपात का क्रम स्पष्ट करते हुए वित्त विभाग ने की आर्थिक सहमति पूर्वक पृष्ठांकन कराकर उच्च शिक्षा विभाग को सौंपा। उच्च शिक्षा विभाग ने विश्वविद्यालय को भेज दिया। दो वर्ष बीत जाने पर भी विवि द्वारा स्थायी नियुक्तियां नहीं करायी गई। मांग की गई है कि नियमित नियुक्तियों की प्रक्रिया प्रारंभ की जाय। इन नियुक्तियो में विश्वविद्यालय में कार्यरत शिक्षकों को वरीयता दी जाए, हिंदी माध्यम से किये गए अध्यापन के अनुभव को ही मान्य किया जाए। अतिथि शिक्षकों का कहना है विश्वविद्यालय अपने नियम स्वयं बनाकर छात्रों के लिए गुणवत्ता पूर्ण पाठ्यक्रम तैयार करता है इसलिए प्रतिष्ठा पाठ्यक्रम विश्वविद्यालय में संचालित करे। बंद किए गए सभी पाठ्यक्रम पुन: प्रारंभ किए जाएं। साथ ही विश्वविद्यालय के मूल उद्देश्य तकनीकी, चिकित्सा एवं प्रबंधन के पाठ्यक्रम प्रारंभ करने हेतु आवश्यक प्रयत्न किए जाएं। अतिथि विद्वानों का कहना है कि विश्वविद्यालय की स्थापना से जुड़े सभी अतिथि शिक्षकों ने अपने अपने विषयों के पाठ्यक्रम निर्माण करके विभागों में स्थापित किया परिणाम स्वरूप विश्वविद्यालय में इतने पाठ्यक्रम संचालित हैं। इसके उपरांत भी अतिथि शिक्षकों के साथ विश्वविद्यालय द्वारा किया जाने वाला दुर्व्यवहार अशोभनीय है। आरोप है कि विश्वविद्यालय द्वारा शिक्षकों की उपस्थिति के लिए अलग-अलग मापदण्ड अपनाये जा रहे हैं।