हड़ताल: एक साथ सड़क पर उतरे पचास हजार से ज्यादा कर्मचारी
खरी खरी संवाददाता
भोपाल, 8 जनवरी। केंद्रीय ट्रेड यूनियनों द्वारा बुलाई महा हड़ताल का असर नजर आया। मध्य प्रदेश में बिजली कर्मी भी हड़ताल पर हैं। इस हड़ताल में बैंक, बीमा, डाक घर, इनकम टैक्स सहित कई केंद्रीय विभाग और औद्योगिक, निजी, ट्रांसपोर्ट क्षेत्रों के असंगठित मजदूर शामिल हैं। इसकी मुख्य वजह निजीकरण को बढ़ावा देना, पुरानी पेंशन योजना लागू नहीं करना, वेतनमानों में सुधार नहीं करना, बैंकों को मर्ज कर रोजगार के अवसर व बांटे गए हजारों करोड़ रुपए कर्ज से उद्योगपतियों को मुक्त कराना, श्रमिकों के जीवन स्तर से जुड़े निर्णय नहीं लेना बताया जा रहा है। बैंकों की हड़ताल से मध्य प्रदेश की 5 हजार बैंक शाखाओं पर प्रभाव दिखा। बैंकिंग क्षेत्र में केंद्र द्वारा लिए जा रहे गलत निर्णयों के खिलाफ अधिकारी व कर्मचारी बैंक यूनियन हड़ताल में शामिल हैं। कुछ बैंक खुले रहे, लेकिन कामकाज नहीं हुआ। मध्य प्रदेश में महा हड़ताल के समर्थन में इनकम टैक्स कार्यालय बंद रहे। पहली बार राजपत्रित अधिकारियों ने भी काम नहीं किया। ट्रेड यूनियन के सहायक महासचिव एटी पद्मनाभन ने अनुसार भोपाल में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका के अलावा गोविंदपुरा औद्योगिक क्षेत्र में संगठित मजदूर, भेल कारखाने के मजदूर भी हड़ताल में शामिल हैं। भोपाल की 490 बैंकों में भी काम नहीं हुआ। तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ, संविदा अधिकारी कर्मचारी महासंघ संघ ने हड़ताल का समर्थन किया। हड़ताल से आम जनजीवन प्रभावित हो रहा है। भारत बंद से बैंकिंग, औद्योगिक के अलावा परिवहन और सेवा क्षेत्र के कामगारों के शामिल होने से स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को छोड़कर बाकी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में कामकाज ठप है। बीमा, आयकर व डाक सेवाएं भी प्रभावित हुई हैं। इलेक्ट्रिसिटी फोरम के संयोजक वीकेएस परिहार ने बताया कि बिजली शिकायतों का निपटारा नहीं होगा, फॉल्ट भी नहीं सुधर सकेंगे। हड़ताल में इंटक, एटक, एचएमएस, सीटू, एआईयूटीयूसी, टीयूसीसी, यूटीयूसी, सेवा तथा बैंक, बीमा, बीएसएनएल, राज्य व केंद्रीय कर्मचारियों के महासंघों के कार्यकर्ता एवं किसान, महिला, छात्र, युवा शामिल हुए।
सेंटर फॉर इंडियन ट्रेड यूनियंस (सीटू) का कहना है कि सरकारी कंपनियों और बैंकों का निजीकरण रोकने, न्यूनतम मजदूरी बढ़ाने, सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध कराने और उदारीकरण, सुधार संबंधी आर्थिक नीतियों पर सरकार के साथ बातचीत विफल होने पर राष्ट्रव्यापी हड़ताल 'भारत बंद' बुलाया गया है।
इन संगठनों में इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस, ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस, हिन्द मजदूर सभा, सेंटर फॉर इंडियन ट्रेड यूनियंस, ऑल इंडिया यूनाईटेड ट्रेड यूनियन सेंटर, ट्रेड यूनियन कार्डिनेशन सेंटर, सेल्फ इम्प्लॉयड वीमेंस एसोसियेशन, ऑल इंडिया सेंट्रल कौंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस, लेबर प्रोग्रेसिव फेडरेशन और यूनाईटेड ट्रेड यूनियन कांग्रेस से जुड़े श्रमिक संघ हिस्सा ले रहे हैं।