सुप्रीम कोर्ट ने व्यापमं मामले की आगे सुनवाई से इंकार किया

Dec 15, 2016

नई दिल्ली, 15 दिसंबर। मध्यप्रदेश के बहुचर्चित व्यापमं घोटाले में गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय सिंह की याचिका पर फाइनल सुनवाई करते हुए सीबीआई को निर्देश दिए कि वह अब सारे तथ्य निचली अदालत में पेश करे। इसमें महत्वपूर्ण मुद्दा यह है कि सीबीआई ने कोर्ट में रिपोर्ट पेश करते हुए कहा कि उसकी अब तक की जांच में यह प्रमाणित हुआ है कि व्यापमं घोटाले से जुड़ी हार्ड डिस्क से कोई छेड़छाड़ नहीं हुई है। जबकि कांग्रेस महासचिव ने अपनी याचिका में कहा था कि हार्ड डिस्क टेंपर्ड की गई थी। यही आरोप इस मामले से जुड़े टेक्नीकल एक्सपर्ट आरटीआई कार्यकर्ता प्रशांत पांडे का भी था। वे भी इस मामले में याचिकाकर्ता हैं। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का यह अर्थ लगया जा रहा है कि उसने हार्ड डिस्क टेंपर्ड नहीं होने की सीबीआई की दलील को मानकर दिग्विजय सिंह की याचिका खारिज कर दी। हालांकि कांग्रेस महासचिव के वकीलों का कहना है कि सर्वोच्च न्यायालय ने हार्ड डिस्क की रिपोर्ट पर कोई टिप्पणी ही नहीं की है।

सीबीआई  के वकील ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि हार्डडिस्क मेंटेंपरिंग नहीं पाई गई है। सुप्रीम कोर्ट के रुख से साफ है कि वह व्यापमंघोटाले से जुड़े केसों की निगरानी नहीं करेगा। सरकार से जुड़े लोग इसे अपनीजीत बताते हुए कह रहे हैं कि सीबीआई ने व्यापमं घोटाले में अब शिवराज सिंहचौहान को क्लीन चिट दे दी है। गौरतलब है कि व्यापम घोटाले में हार्ड डिस्क और पेन ड्राइवमें मौजूद साक्ष्य मिटाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में यह सुनवाई हुई।इस पेन ड्राइव में मौजूद डेटा के आधार पर व्यापमं घोटाले में एक के बादएक कई आरोपी बनाए गए। व्यापमं के सीनियर सिस्टम एनालिस्ट रहे नितिनमहिन्द्रा की गिरफ्तारी के बाद एसटीएफ  ने उसके कम्प्यूटर की हार्ड डिस्क ज़ब्तकी थी।

इस फैसले के कबातद सियासी बयानबाजी शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि व्यापमं मामले में लगाए गए गलत आरोपों से वेदना हुई थी। मेरे परिवार परझूठे आरोप लगाए गए। मेरी छवि खराब करने की कोशिश की गई। आखिरकार सत्य कीजीत हुई।

वहीं दूसरी ओरप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव ने कहा कि, उन्हें सुप्रीम कोर्ट पर पूरा भरोसा है। वे इस मामले को आगे उठाएंगे। भाजपा की ओर से तो इसे खुशी का मौका मानकर आतिशबाजी तक कर दी गई।

 

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