सीएम का बड़ा फैसलाः निगम मंडलों में अफसर नहीं, मंत्री होंगे अध्यक्ष
खरी खरी संवाददाता
भोपाल, 10 सितंबर। मप्र के मुख्यमंत्री डा मोहन यादव ने प्रदेश के सार्वजनिक उपक्रमों यानि निगम मंडलों में राजनीतिक नियुक्तियां होने तक अफसरों के बजाय विभागीय मंत्रियों को अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपने का फैसला किया है। इस मुद्दे पर बहुत दिनों से अफसरशाही और मंत्रियों के बीच कोल्डवार की स्थिति चल रही थी।
प्रदेश में दिसंबर 2023 में नई सरकार का गठन होने के बाद राज्य सरकार के सभी सार्वजनिक उपक्रमों के अध्यक्ष-उपाध्यक्ष को हटा दिया गया था। राजनीतिक नियुक्तियां नहीं होने के कारण विभाग के एसीएस या पीएस को निगम मंडल के अध्यक्ष का प्रभार सौंप दिया गया था। उस समय से ही सारे मंत्री इस बात से खफा थे। सभी की मांग थी कि अध्यक्ष-उपाध्यक्ष की नियुक्ति होने तक मंत्रियों को अध्यक्ष बनाया जाए। उनकी इस मांग पर सीएम ने अब जाकर अमल शुरू किया है।
राजनीतिक नियुक्तियों की प्रतीक्षा
मध्यप्रदेश में नई सरकार बने करीब 9 महीने हो गए हैं, लेकिन निगम मंडलों में राजनीतिक नियुक्तियों की सुगबुगाहट को अभी तक अमली जामा नहीं पहनाया जा सका है। पहले यह माना जा रहा था कि लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद नियुक्तियां हो जाएंगी, लेकिन अभी तक इस पर कोई फैसला नहीं हुआ है। निगम मंडलों में उन लोगों को प्राथमिकता मिलेगी, जिनसे विधानसभा और लोकसभा चुनाव में टिकट के जिन दावेदारों को दर्जा मंत्री बनाने का आश्वासन दिया गया था। इसके अलावा कांग्रेस से आए कुछ चुनिंदा नेताओं की ताजपोशी भी निगम- मंडलों में हो सकती है। शिवराज सरकार में भाजपा के उन संभागीय संगठन मंत्रियों को भी निगम- मंडल में तैनात किया गया था, जिन्हें पार्टी ने विधानसभा चुनाव के बाद हटाया था। इनमें से कुछ भाजपा के पूर्णकालिक कार्यकर्ता भी हैं। अब तय किया गया है कि उन सभी पूर्व संगठन मंत्रियों को एकबार फिर मंत्री दर्जा दिया जाएगा।विधानसभा और लोकसभा चुनाव में कई नेताओं की टिकट काटी गई थी। इनमें से कुछ नेताओं के पुनर्वास का पार्टी ने आश्वासन दिया था। संभावना है कि सरकार ऐसे नेताओं को मंत्री दर्जा दे सकती है। भाजपा इस बात पर भी विचार कर रही है कि जिन नेताओं को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया है, उन्हें भी निगम-मंडल में समायोजित किया जा सके।
कांग्रेस नेताओं को भी पुनर्वास की आस
कांग्रेस के भी कई नेताओं ने भाजपा का दामन थामा है, उनमें से कुछ को पार्टी ने मंत्री दर्जा देने का आश्वासन दिया था, उनके नाम पर पार्टी विचार कर सकती है। कांग्रेस से सुरेश पचौरी सहित तीन पूर्व सांसदों ने भाजपा की शरण ली थी। इसी तरह कमल नाथ के गढ़ छिंदवाड़ा में भाजपा ने दीपक सक्सेना को तोड़कर झटका दिया था। पार्टी सूत्रों का कहना है कि पार्टी ने सुरेश पचौरी को राज्यसभा भेजने का वादा किया था। लेकिन इस तरह के किसी भी वायदें पर अभी तक अमल नहीं हुआ है। अभ मंत्रियों को उपक्रमों के प्रभार देने की घोषणा से एक बात तय है कि अभी निगम मंडलों में राजनीतिक नियुक्तियों में समय लगेगा।